इंडियन रिपब्लिक / केंद्र सरकार ने न्यूज पोर्टल्स और OTT प्लेटफॉर्म से 15 दिनों के भीतर नए नियमों की अनुपालना से संबंधित रिपोर्ट मांगी है। यानी उन्हें 15 दिनों के भीतर यह बताना होगा कि उन्होंने नए नियमों को लागू करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं या वो क्या कदम उठाने जा रहे हैं। इससे पहले बीते दिन सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को पत्र भेजकर 24 घंटों के भीतर ऐसी रिपोर्ट जमा कराने को कहा था।
केंद्र सरकार ने फरवरी में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, OTT प्लेटफॉर्म्स और ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स के लिए नए नियमों का ऐलान किया था। उस वक्त केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था, “हमने कोई नया कानून नहीं बनाया। हमने मौजूदा IT एक्ट के अंतर्गत नए नियम तैयार किए हैं।” सरकार ने कंपनियों को ये नियम लागू करने के लिए तीन महीने का समय दिया था, जो मई में पूरा हो चुका है। व्हाट्सऐप नए नियमों के खिलाफ हाई कोर्ट गई है।
NDTV के अनुसार, करीब 60 डिजिटल न्यूज पोर्टल्स नए नियमों के पालन के लिए स्व-नियमन संस्था का काम शुरू कर दिया है और कुछ प्रकाशकों ने पंजीकरण के लिए मंत्रालय को पत्र भेजा है।
बताया जा रहा है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म को तीन श्रेणियां में बांटा है।
पहली श्रेणी में उन प्रकाशकों को रखा गया है कि जो अखबार या टीवी के अलावा ऑनलाइन न्यूज पोर्टल्स चलाते हैं। दूसरी श्रेणी समाचार प्रकाशकों की है और तीसरी श्रेणी में OTT प्लेटफॉर्म जैसे नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम आदि को रखा गया है।
पहली और दूसरी श्रेणी के प्रकाशकों से सरकार ने लगभग एक जैसी जानकारी मांगी है। उन्हें अपने पोर्टल का नाम, URL, भाषा, ऐप, सोशल मीडिया अकाउंट, टीवी चैनल का लाइसेंस, अखबार का RNI रजिस्ट्रेशन, संपर्क सूचना और शिकायत निवारण की व्यवस्था के बारे में जानकारी देनी होगी। दूसरी श्रेणी में आने वाली कंपनियों को इन सूचनाओं के साथ-साथ कंपनी आइडेंटिफिकेशन नंबर और निदेशक मंडल की जानकारी भी सरकार को बतानी होगी।
इसके अलावा अगर कोई OTT प्लेटफॉर्म विदेशी है तो उसे यह बताना होगा कि वह किस देश में रजिस्टर्ड है, भारत में उसने काम कब से शुरू किया और शिकायत निवारण को लेकर उसके यहां क्या व्यवस्था है। ऐसे प्लेटफॉर्म को कंटेट मैनेजर का नाम भी बताना होगा। इन प्लेटफॉर्म्स को भी स्व-नियमन के लिए काम करना होगा।
व्हाट्सऐप ने सरकार के नए नियमों में से उस नियम के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें उसे यह पता लगाना होगा कि कोई मेसेज सबसे पहले किसने भेजा था। व्हाट्सऐप ने इस असंवैधानिक बताते हुए कहा कि यह निजता के अधिकार का हनन करेगा। इसके जवाब में सरकार ने कहा कि निजता के अधिकार सहित कोई भी मौलिक अधिकार पूर्ण नहीं हैं और यह उचित प्रतिबंधों के अधीन है।