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वेदराम मनहरे समेत 10 कांग्रेस नेता BJP में शामिल, भूपेश सरकार को लगा बड़ा झटका !

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साल 2018 में सतनामी समाज के गुरू बलदास ने अपने बेटे खुशवंत साहब के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया था. जिसके चलते बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सतनामी समाज का साथ मिला था !

रायपुरः छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. बता दें कि पार्टी के वरिष्ठ नेता वेदराम मनहरे समेत उनके समर्थक 10 कांग्रेसी नेताओं ने आज भाजपा का दामन थाम लिया. छत्तीसगढ़ भाजपा की प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी ने दिल्ली में वेदराम मनहरे समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं को पार्टी की सदस्यता दिलाई. इस दौरान भाजपा के वरिष्ठ आदिवासी नेता और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष नंद कुमार साय भी मौजूद रहे. बता दें कि मनहरे तिल्दा जनपद पंचायत के 2 बार अध्यक्ष और उपाध्यक्ष रह चुके हैं. वेदराम मनहरे सतनामी समाज के संरक्षक भी हैं.  


वेदराम मनहरे का भाजपा में जाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इसकी वजह ये है कि वेदराम मनहरे सतनामी समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी हैं और समाज के प्रभावी नेता माने जाते हैं. गौरतलब है कि सतनामी समाज छत्तीसगढ़ में खासा अहम वोटबैंक है. कुल वोटों में इस समाज की हिस्सेदारी 16 फीसदी है. राज्य की 14 विधानसभा सीटों पर सतनामी समाज 20-35 फीसदी वोट शेयर रखता है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ में सियासी पार्टियों के लिए सतनामी समाज की काफी अहमियत है. 

साल 2018 में सतनामी समाज के गुरू बलदास ने अपने बेटे खुशवंत साहब के साथ कांग्रेस का दामन थाम लिया था. जिसके चलते बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सतनामी समाज का साथ मिला था. अब वेदराम मनहरे के भाजपा में आने से भाजपा कांग्रेस के इस वोटबैंक में सेंध लगाने की उम्मीद कर सकती है. 

बता दें कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में वेदराम मनहरे रायपुर की आरंग सीट से कांग्रेस से टिकट के दावेदार थे. हालांकि पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था. माना जा रहा है कि तभी से वेदराम मनहरे पार्टी से नाराज चल रहे थे. 

वेदराम मनहरे अपने समर्थकों के साथ गुरुवार को दिल्ली पहुंचे थे. भाजपा में शामिल होने के अपने फैसले पर वेदराम मनहरे ने कहा कि “जब वह राजनीति में आए थे, तब से ही वह कांग्रेस में थे. इस दौरान मैंने कई जिम्मेदारियों का निर्वहन किया.  लेकिन बीते कुछ सालों से पार्टी की विचारधारा के साथ मेरी मानसिकता मेल नहीं खा रही थी. इसलिए मैंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है. किसी के साथ भी मेरे निजी मतभेद नहीं हैं.” ऐसी चर्चाएं हैं कि वेदराम मनहरे अभी कुछ दिन दिल्ली में ही रहेंगे और वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उनकी मुलाकात हो सकती है.  

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