जगदलपुर । छत्तीसगढ़ के बस्तर को दंडकारण्य भी कहते है। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने अपने वनवास 14 सालों में से 10 साल छत्तीसगढ़ में ही बिताये थे, दंडकारण्य में ऐसे कई स्थान है,जहां भगवान राम के चरण पड़े। बस्तर में कई ऐसे स्थान है, जो प्रसिद्ध नहीं हैं,लेकिन उनके इतिहास पर रिसर्च जारी है। आज हम आपको ऐसे ही शिवलिंग के बारे में बता रहे है,जिसके बारे में किया गया शोध कहता हैं कि उसे स्वयं भगवान राम ने स्थापित किया था।
ग्राम रामपाल में सदियों से ग्रामीण भगवान राम और शिव की साथ पूजा करते आ रहे हैं। गांव में स्थापित लिंगेश्वर शिव मंदिर के पुजारी कैलाश सिंह ठाकुर के मुताबिक पूर्वजो से मिली जानकारी के मुताबिक सालों पहले गांव में यह शिवलिंग खुदाई के दौरान दिखाई दिया था,उस समय खोदने के दौरान शिवलिंग का अंत नहीं मिला था।स्थानीय बुज़ुर्ग बताते हैं कि समय के साथ-साथ शिवलिंग की ऊंचाई बढ़ रही रही है।
भगवान श्रीराम के वनवास पर किताब लिखने वाले शोधकर्ता डॉ. राम अवतार का कहना है कि श्रीराम के गमन मार्ग में जगदलपुर के रामपाल का क्षेत्र आता है। रामपाल गांव में विराजमान ;लिंगेश्वर महादेव मंदिर के परिसर की खुदाई के दौरान इतिहासकारों को पत्थर, पुराने ईंट और घंटियां मिली थी।इसमें से एक घंटी पर 1860 , लंदन लिखा हुआ है। शोधकर्ताओं का मानना है कि अंग्रेजो के गवर्नर ने यह घंटी मंदिर में अर्पित की थी। वहीं पुरातत्व विभाग अब भी इस मंदिर पर शोध कर रहा है।