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छत्तीसगढ़ सरकार करेगी भाषाई सर्वे, ताकि अपनी ही भाषा में पढ़ाई कर सकें बच्चे

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में भाषा को लेकर एकरूपता नहीं है।बस्तर संभाग में हल्बी ,गोंडी बोली जाती है ,तो वही सरगुजा में सरगुजिहा, जबकि मैदानी इलाकों में हिंदी और छत्तीसगढ़ी अधिक बोली जाती है। बच्चों को उन्ही की भाषा में शिक्षा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार बेहद ही महत्त्वपूर्ण योजना पर काम करने जा रही है। भूपेश बघेल सरकार ने फैसला किया है कि राज्य के प्राथमिक स्कूलों में बच्चों की तरफ से अपने घर पर बोले जाने वाली भाषा का संकलन करके भाषाई सर्वे किया जाएगा। इस सर्वे के आधार पर बच्चों को पढ़ाई के लिए नई योजना तैयार की जाएगी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत होगा सर्वे
महाप्रबंधक समग्र शिक्षा नरेन्द्र दुग्गा ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हर प्रदेश को भाषाई सर्वेक्षण करने का जिम्मा सौंपा गया है। छत्तीसगढ़ राज्य पूरी गंभीरता के साथ इस भाषाई सर्वेक्षण को करने के लिए तैयार है। उन्होंने बताया कि इस सर्वेक्षण के मदद से छत्तीसगढ़ राज्य में प्राथमिक कक्षाओं की भाषाई विविधता पर आंकड़े जुटा पाएंगे और भाषाई परिदृश्य की स्पष्टता के साथ समझ सकेंगे। इसके आधार पर राज्य में आगे की शिक्षा नीति और क्षमता निर्माण की रणनीति में मदद मिलेगी।

छत्तीसगढ़ में है भाषाई विविधता
छत्तीसगढ़ में वर्तमान में बच्चे छत्तीसगढ़ी दोरली, हल्बी, भतरी, धुरवी, गोंडी, सादरी, कमारी, कुडुख, बघेली, सरगुजिया, बैगानी, माड़िया के अलावा अन्य राज्यों की भाषाओं में ओड़िया , बंगला, मराठी और तेलुगु में किताबें पढ़ रहे हैं। कक्षा पहली और दूसरी बच्चों के लिए स्थानीय भाषा में किताबों का प्रकाशन स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से किया गया है। नई शिक्षा नीति में भी मातृ भाषा और क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया गया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की ओर तैयार की गई किताब में एक पेज हिन्दी का दूसरा पेज स्थानीय भाषा में तैयार किया गया है।

अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के दौरान 22 फरवरी को सभी प्राथमिक स्कूलों में भाषा के आधार पर सर्वे किया जाएगा। छत्तीसगढ़ में मूलभूत साक्षरता और गणितीय कौशल विकास अभियान के तहत प्राथमिक स्कूली बच्चों के द्वारा बोली जाने वाली घर भाषा की जानकारी संकलित की जाएगी। राज्य स्तर पर सर्वे कार्य को पूरा करने के लिए दिशा-निर्देश सभी प्रधान पाठकों को दिए गए हैं। सर्वे की जानकारी के आधार पर बच्चों को उनकी भाषा में अध्ययन के लिए योजना बनाने में सहयोग मिलेगा। सर्वे के पहले प्राथमिक स्कूल के प्रधान पाठकों को प्रशिक्षण देकर सर्वे के संबंध में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।

भाषाई सर्वे के लिया तैयार किया गया है खास प्रपत्र
छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि स्कूलों में बच्चों को हिन्दी में पढ़ाया जाता है, लेकिन बच्चे अपनी मातृ भाषा में बात करते हैं। इससे दूरस्थ अंचलों के बच्चों को पढ़ने में कठिनाई होती है। इस कठिनाई को दूर करने के लिए ही प्रदेश के कई क्षेत्रों में स्थानीय भाषा पर आधारित द्विभाषाई पुस्तके बच्चों को प्रदान की गई है। स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि भाषाई सर्वे के लिए बिन्दुवार प्रपत्र तैयार किया गया है,जो की कक्षा पहली के क्लास टीचर की तरफ से भरा जाएगा।

इस फॉर्मेट को भरने के लिए स्कूल का यू-डाईस कोड, कक्षा में शिक्षण के माध्यम के रूप में उपयोगी की जाने वाली भाषा को समझने और बोलने की विद्यार्थियों की क्षमता, कक्षा के विद्यर्थियों के घर की भाषा और विद्यार्थियों के घर की भाषा को समझने और बोलने की क्षमता पर ध्यान दिया जाएगा। प्रपत्र को भरने से पहले कक्षा के विद्यार्थियों की सूची तैयार की जाएगी, जिसमें कक्षा के हर बच्चे के नाम के आगे उसकी घर की भाषा लिखी जाएगी। इस सूची को कक्षा के रजिस्टर में भी दर्ज किया जाएगा।

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