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छत्तीसगढ़ की सियासत के लिए बेहद अहम होगा साल 2022, भाजपा-कांग्रेस में से कौन पहुंचेगा अपने लक्ष्य के करीब?

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रायपुर: छत्तीसगढ़ की सरकार और संगठन के लिए भी काफी महत्वपूर्ण रहेगा। सरकार को अपनी योजनाओं का फायदा अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना है, तो इसके प्रचार प्रसार के लिए संगठन पूरी रणनीति तैयार कर रही है। दूसरी ओर प्रदेश बीजेपी भी पूरी जोर लगा रही कि 2022 में वो अपनी जमीनी पकड़ मजबूत कर सके, ताकि 2023 में उसकी सत्ता वापसी की राह आसान हो।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लिये कई मायनों में खास रहा। 17 दिसंबर को छत्तीसगढ़ की सरकार ने अपने कार्यकाल का तीन साल पूरा किए, तो वहीं साल की विदाई से ऐन पहले निकाय चुनाव में एकतरफा अंदाज में जीती। बीते साल भूपेश सरकार ने कई ऐसे बड़े फैसले लिए, जिनकी चर्चा छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि पूरे देश में हुई। ऐसे में अब जब विधानसभा चुनाव में दो साल से भी कम का वक्त रह गया है, तो कांग्रेस उम्मीद करेगी कि साल 2022 भी उसके लिये बेहतर गुजरे। सत्ता और संगठन दोनों की कोशिश होगी कि वो जनता के बीच अपनी पकड़ को और अधिक मजबूत करे। ताकि 2023 में सत्ता तक पहुंचने का रास्ता आसान हो।

दूसरी ओर कांग्रेस संगठन भी राज्य सरकार की योजनाओं को जन जन तक पहुंचाने में जुट गई है। 90 विधानसभा सीटों पर मजबूत करने के लिए 10 लाख से ज्यादा पार्टी सदस्यता दिलाने का काम जोरों पर है। प्रदेश की 23 हजार से ज्यादा बूथ को मजबूत करने के लिए कमेटी गठन का काम चल रहा है। देवव्रत सिंह के निधन के बाद अब खैरागढ़ में उपचुनाव होने है, जिसकी तैयारी कांग्रेस ने शुरू कर दी है।

वहीं 2018 से सत्ता से बाहर छत्तीसगढ़ बीजेपी के लिए अब तक कुछ भी सही नहीं घटा है। हालांकि डी पुरंदेश्वरी ने पूरी कोशिश रही कि पार्टी एकजुट होकर मजबूत विपक्ष के तौर सरकार को घेरे। बावजूद इसके साल 2021 बीजेपी के लिए मायूसी ही लेकर आया। निकाय चुनाव में नतीजे उसकी उम्मीदों के विपरित रहे, लेकिन 2022 में बीजेपी उम्मीद करेगी। अपने लक्ष्यों को पूरा करे और 2023 के चुनावी दंगल से पहले कार्यकर्ताओं में नया जोश भरे। जाहिर तौर पर 2022 बीजेपी और कांग्रेस के लिए अहम है। दोनों सियासी दलों ने अपने-अपने लिये लक्ष्य तय किये हैं। अब देखना ये है कि कौन अपने लक्ष्य के कितना करीब पहुंच पाता है।

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