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कोरोना संक्रमण से नक्सली हुए लाचार,ना दवा ना इलाज़! आगे कुआं पीछे खाई की है स्थिति…

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न्यूज डेस्क, रायपुर: छत्तीसगढ़ में सर्च ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों एक चिट्ठी मिली है। इस चिट्ठी में नक्सली संगठन के एक सदस्य ने बहुत ही मार्मिक स्थिति का वर्णन किया है। इस चिट्ठी में लिखा है, दक्षिण बस्तर, दरभा और पश्चिम बस्तर इलाके में कई साथी बीमारी (कोरोना) से लड़ रहे हैं। दरभा डिविजन की चेतना नाट्य मंडली के कमांडर हूंगा, बटालियन के देवे, गंगा, सुदारू, मुन्नी और रीना की इस बीमारी से मौत हो चुकी है। कमांडर राजेश दादा, सुरेश और मनोज की हालत बहुत गंभीर है। यह बीमारी बहुत तेजी से फैलती है। हमारे पास जो दवाएं हैं उसका कोई असर नहीं हो रहा है। गंगालूर एरिया कमेटी के पलाटून से बुधराम, बिमला, रितेश और जोगा भाग गये हैं। दरभा डिविजन से नागेश, सुमित्रा, अनिता ने संगठन छोड़ दिया है। इस चिट्ठी के मिलने के बाद यह कहा जा रहा है कि जंगलों में छिपे नक्सली गंभीर स्थिति में फंस गये हैं। कई बार उन्हें एक छोटे से बंकर या पहाड़ की गुफा में छिपना पड़ता है। जगह छोटी होती है और संख्या अधिक। ऐसे में एक संक्रिमत नक्सली पूरे गिरोह को कोरोना पोजिटिव बना देता है। दवा और इलाज के अभाव में बीमार की मौत हो जाती है। पकड़े जाने के डर से वे सरकारी या निजी अस्पतालों में नहीं जाते।

न दवा, ना इलाज! डर तो लगेगा ही

हाल ही में छत्तीगढ़ के बांकेर बीएसएफ कैंप में एक नक्सली दम्पति ने सरेंडर कर दिया। वे सर्दी-खांसी और बुखार से परेशान थे। नक्सली पति-पत्नी को बीएसएफ के अस्पताल में भर्ती कराया गया। दोनों कोरोना पोजिटिव निकले। उनका इलाज शुरू हुआ तो किसी तरह तरह स्थिति सुधरी। उन्होंने बताया कि जब वे बीमार पड़ गये तो गिरोह के कमांडरों ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया। वहां किसी दवा का भी इंतजाम नहीं था। जब उन्हें लगा कि जंगल में पड़े-पड़े तो उनकी मौत हो जाएगी, तब वे वहां से भाग निकले। भागने के बाद वे जानते थे कि पुलिस उन्हें पकड़ लेगी। पुलिस की पकड़ में आने से पहले ही उन्होंने बीएसएफ से सामने सरेंडर कर दिया ताकि कम से कम इलाज की सुविधा मिल जाए। इन नक्सलियों ने बताया कि कोरोना गाइडलाइन की सख्ती के कारण अब संगठन के पास खाने-पीने के सामान की बहुत कमी हो गयी है। उसकी तरह कई और सदस्य बीमारी से जूझ रहे हैं। वे गांव में आदिवासियों के बीच रह रहे हैं। बीमारी से संगठन के सदस्यों का हौसला बहुत गिरा हुआ है। जो कैडर पुलिस की गोली से नहीं डरे अब वे बेजुबान कोरोना से पस्त हो गये हैं।

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