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कोरोना के खिलाफ सार्वजनिक क्षेत्र मदद में आगे , बड़े कॉर्पोरेट्स हैं नदारद- अतुल कुमार “अनजान”

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डॉ प्रताप नारायण सिंह (साभार संतोष चौरसिया): देश में कोरोना महामारी के दूसरे दौर ने आतंकी स्थिति पैदा कर दी है। चारों ओर देश के 26 राज्यों में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है। दिल दहला देने वाले देहांत के समाचार सभी राज्यों से आ रहे हैं। ऐसे दौर में देश के सार्वजनिक क्षेत्र ने आगे आकर पीड़ित लोगों को राहत देने का नया रिकॉर्ड कायम कर दिया। अपनी सामाजिक जिम्मेदारी के तहत सार्वजनिक क्षेत्र और उसके कर्मचारी पूरे मनोयोग से करोना प्रभावित लोगों के लिए अस्पताल, भोजन, ऑक्सीजन, आवश्यक मेडिकल साजो सामान देने में रोज नया कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं।

भारत की रेल को सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात कारखानों से तरलीकृत मेडिकल ऑक्सीजन ले जाते हुए लोग देखते हैं तो उन्हें असीम श्रद्धा दिखाते हैं। उक्त विचार व्यक्त करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के किसान कम्युनिस्ट नेता अतुल कुमार “अनजान” ने कहा कि देश के सार्वजनिक क्षेत्र के कारखानों के उपक्रमों ने महामारी से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए खुले मन से अपनी सारी सुविधाएं देने का काम शुरू कर दिया है। सार्वजनिक क्षेत्र के इस्पात कंपनियां सेल, रेल, गेल, कोचीन शिपयार्ड, एचसीएल, एचएएल सहित अन्य उपक्रम सहायता के रोज नए रिकॉर्ड स्थापित कर रहे हैं। इपीएफ इंडिया, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया प्रतिदिन लगभग 1100 मेट्रिक टन ऑक्सीजन अपने प्लांट भिलाई , राउरकेला बोकारो, दुर्गापुर और बर्नपुर से उत्पादित कर विभिन्न राज्यों को रेल और ट्रकों के माध्यम से भेज रहे हैं l इसके अतिरिक्त ढाई हजार ऑक्सीजन युक्त मरीज बेड अपने अस्पतालों में स्थापित किए हैं। भारतीय रेलवे ने अब तक 27 ऑक्सीजन एक्सप्रेस चलाकर लगभग 1585 मीट्रिक टन तरलीकृत मेडिकल ऑक्सीजन को विभिन्न राज्यों में जरूरतमंदों को पहुंचाया है। सार्वजनिक क्षेत्र की बिजली संयंत्र निर्माण इकाई भेल ने भोपाल और हरिद्वार के अस्पतालों मे ऑक्सीजन सप्लाई की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड जिसका निजीकरण मोदी सरकार करने जा रही है। उसने अब तक 1300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन सप्लाई की है। गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड गेल प्रेशर आधारित ऑक्सीजन (पी एस ए) उत्पादित करने के लिए 10 कारखाने तैयार करने मे तेजी से जुट गया है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने अपने खाली सभी टैंकरों को पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में ऑक्सीजन गैस के आवाजाही के लिए लगा दिया है।तेल कंपनियों ने देश के 93 ठिकानों पर मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादित करने के लिए अपने इंजीनियरों, कर्मचारियों, तकनीशियनओं को जुटा दिया है। कोल इंडिया ने भी अति आवश्यक मेडिकल मशीनों, दवाइयों के साथ-साथ अब तक 1400 सिलेंडर विभिन्न स्थानों पर सरकारी और निजी अस्पतालों के रोगियों तक पहुंचाया है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड एमडीएल, पीएफसी, एसबीआई बीसी, एसजेवीएन सहित एनएलसी भी पूरी ताकत से महामारी से प्रभावित लोगों की मदद के लिए ऑक्सीजन से लेकर दवाई तक का इंतजाम कर रहे हैं । कम्युनिस्ट किसान नेता अतुल कुमार “अनजान” ने आगे कहा कि इन सबके बीच आश्चर्य की बात यह है कि भारत के बड़े-बड़े खरबपति और दुनिया में ऊंचा स्थान रखने वाले कारपोरेट घरानों के द्वारा महामारी से प्रभावित लोगों की सुविधा के लिए हाथ बढ़ाने के समाचार नहीं आ रहे हैं, जो चिंता का विषय है l उन्होंने बताया कि अब तक मिली जानकारी के अनुसार विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में एसएनचूअर ने करोना प्रभावित भारतीयों के उपचार के लिए 250 लाख डॉलर देने के ऐलान के साथ यह भी कहां है कि बेरोजगार, गरीब ,असहाय लोगों को लाखों की संख्या में भोजन किट देंगे।साथ ही साथ करोना फ्रंटलाइन वर्कर्स को अत्यंत आधुनिक पीपीई किट सहित स्वास्थ्य कर्मियों को तमाम तरह के आधुनिक साजो सामान इस महामारी से निपटने के लिए देंगे। इसके अलावा सरकार से पेशकश की है कि वैक्सीनेशन कैंप लगाने में पूरा सहयोग और मदद करेंगे।

वर्तमान अस्पतालों में बेड और आईसीयू सहित पोर्टेबल त्वरित अस्पताल बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। मोंडीज इंटरनेशनल ने बीस लाख अमेरिकी डॉलर दवाई फ्रंटलाइन वर्कर के बचाव सामग्रियां खरीदने के लिए दिए हैं।उसी प्रकार प्रकार लैम रिसर्च ने दस लाख डॉलर, अमेजॉन यूरोप बिजनेस ने 25 लाख डॉलर देने की पेशकश की है। विख्यात कंपनी सैमसंग ने पचास लाख डॉलर सहयोग राशि दिए जाने का ऐलान करते हुए कहा कि इसमें केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश सरकार एवं तमिलनाडु सरकार को दस- दस लाख डॉलर दिए जाएं और अतिरिक्त दो लाख डॉलर केंद्र सरकार मेडिकल सप्लाई के लिए प्रयोग करें। इसी प्रकार अन्य देशों की सरकारें भी सहयोग कर रही हैं l प्रधानमंत्री, गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय सहित विदेश मंत्रालय को इस बात के लिए देश को पूर्ण जानकारी देनी चाहिए कि संकट की घड़ी में किन-किन देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों, कारपोरेट घरानों और भारतीय कारपोरेट घरानों ने कितनी सहयोग राशि, सहायता किस रूप में प्रदान की है।

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