Indian Republic News

कोरिया-ना रुकेंगे ना थकेंगे, आज दिग्गज नेताओं में है, सुमार जनसेवा ही सरोकार

0

- Advertisement -

लालो के लाल भईयालाल

पांच बार विधायक का चुनाव लड़ा तीन बार जीत दर्ज की…संसदीय सचिव से लेकर कैबिनेट मंत्री तक बनने का मौका मिला

पहली बार विधायक का चुनाव हारे…उसके बाद लगातार दो बार विधायक का चुनाव जीते…चौथी बार किस्मत रूठी फिर हारे…सेवा भावना खत्म नहीं हुई पांचवीं बार विधानसभा चुनाव लड़े और जीत दर्ज की

कोरिया जिले के इतिहास में कोरिया कुमार के बाद यदि किसी दिग्गज नेता का नाम लिया जाएगा तो वह होंगे भईयालाल राजवाड़े

कुदरत ने भी भईयालाल राजवाड़े को दर्द पहुंचाने का प्रयास किया फिर भी दर्द झेलते हुए आगे उठकर उन्होंने आगे बढ़ने का काम किया

भईयालाल राजवाड़े के राजनीतिक जीवन में पहले समस्या फिर सफलता…फिर समस्या…फिर सफलता कुछ ऐसा ही रहा भईयालाल राजवाड़े का कार्यकाल और उनका राजनीतिक जीवन

कोरिया जिले के लिए के इतिहास के पन्नों में भइयालाल राजवाड़े का नाम हो चुका है दर्ज

सर्व सहज रूप से सर्वत्र उपलब्ध होना रही है खासियत,जनता से सीधा जुड़ाव ही उनकी है काबिलियत।

IRN.24(गणतंत्र भारत की स्वतंत्र आवाज़)

कोरिया – कोरिया जिले के राजनीति में भैइया लाल राजवाड़े का नाम बड़े गर्व से लिया जाता है और लिया भी जाए तो क्यों ना क्योंकि उन्होंने अपना जीवन वाकई में राजनीति के क्षेत्र में लोगों के बीच समर्पित कर दिया, वह अपनी दूरदृष्टि की वजह से काफी चर्चित थे और विषम परिस्थितियों में अपनी पार्टी के लिए चुनाव जीतकर अपने क्षेत्र के विकास में उन्होंने योगदान दिया है आज किसी भी जलाशयों की बात हो कुछ ऐसा ही इनका राजनीतिक सफर भी काफी बड़ा हो चुका है सरपंच से लेकर कैबिनेट मंत्री तक का सफर इनका समाज की सेवा में ही निकल गया और वह नाम है भईयालाल राजवाड़े का जो कोरिया जिले के छोटे से गांव सरडी से आते हैं, काफी सामान्य परिवार में जन्मे भईयालाल राजवाड़े आज राजनीति के क्षेत्र में बड़ा नाम हैं, अपने क्षेत्र की जनता के लिए सदैव उपलब्ध रहने वाले भईयालाल राजवाड़े अपने सरल सौम्य मिजाज की वजह से जाने जाते हैं, जहां पहले जनता नेताओं के पास पहुंचती थी वहीं इन्होंने राजनीति की परंपरा को ही बदल दिया यह स्वयं जनता के बीच पहुंचने लगे। सरपंच से लेकर जनपद जिला का चुनाव लड़ा जीत भी हासिल की, यहां तक की एसईसीएल की नौकरी भी समाज सेवा व राजनीति के लिए त्याग दिया था इन्होंने, भाजपा से यह दूसरे विधायक थे जिन्होंने कांग्रेस के गढ़ में कांग्रेस को हराकर भाजपा को जीत दिलाई थी इनके तीन बार के विधानसभा सदस्य चुने जाने के दौरान भाजपा की ही सरकार बनी यह भी एक उपलब्धि इनसे जुड़ती है। एक बार हारना भी पड़ा तो उस समय भाजपा की सरकार भी प्रदेश में नहीं बनी। वैसे भईयालाल राजवाड़े को जानने वाले बताते हैं की उन्होंने चुनाव जीतने के बाद कभी भी खुद को विशेष नहीं बनने दिया उन्होंने खुद को आम लोगों के लिए उनके दुख सुख के लिए समर्पित रखा।पिछला कार्यालय में संसदीय सचिव व मंत्री बने के दौरान उन्होंने एक जनप्रतिनिधि क्या कर सकता यह अहसास करा दिया था हैउनका पिछला कार्यालय जिसमे वह संसदीय सचिव एक बार बने एक बार वह मंत्री भी बने के दौरान उन्होंने एक जनप्रतिनिधि क्या कर सकता है अपने क्षेत्र की जनता के लिए साबित किया। मरीजों और खासकर जरूरतमंद मरीजों के लिए भईयालाल राजवाड़े का कार्यकाल कभी नहीं भूलने वाला कार्यकाल पिछला रहा है। उन्होंने अपने शासकीय आवास को जो राजधानी में था एक आश्रय स्थल बना दिया था जिसमे केवल मरीजों के लिए ही जगह हुआ करती थी कभी उनका कोई खास मेहमान आ भी जाया करता था तो उसके लिए जगह का आभाव हो जाया करता था जो लोगों की ही जबानी कहानी है। आज भईयालाल राजवाड़े पुनः निर्वाचित हुए हैं वहीं उनके निर्वाचित होते ही अब क्षेत्र की जनता की उम्मीदें भी उनसे बढ़ी हैं क्योंकि उनका कार्यकाल जिन्होंने भी देखा है उनका यही कहना है की उन्होंने ज़रूरत के समय कभी भेदभाव नहीं किया उन्होंने हमेशा जरूरतमंदों की मदद की और खुद की सुविधाओं में भी कटौती की और लोगों की मदद करते रहे।कई बार मुसीबतों का भी सामना करना पड़ा भईयालाल राजवाड़े का पूरा जीवन यदि देखा जाए तो उनके साथ उनके कर्तव्यपथ में उन्हे कई बार मुसीबतों का भी सामना करना पड़ा उन्हें कई बड़े अघात भी झेलने पड़े लेकिन उन्होंने सभी कुछ ईश्वर की मर्जी मानकर स्वीकार किया और अपने मार्ग पर जो जन सेवा का मार्ग था चलते रहे और उन्हे सफलता भी मिलती रही। आज भईयालाल राजवाड़े एक जन नेता हैं ऐसा कहना कतई अतिश्योक्तिपूर्ण कथन नहीं होगा क्योंकि उन्होंने कई बार ऐसा साबित भी किया है की वह जनता की सेवा के लिए ही बने हैं।जनता ने वर्तमान विधायक की तुलना में कहीं अधिक बेहतर माना और उन्हे बंपर वोटों से जिताकर विधानसभा भेज उन्हे भाजपा ने पांच बार मौका दिया और वह तीन बार सफल हुए इस मामले में भी देखा जाए तो उनकी सफलता के साथ सरकार भी भाजपा की बनती रही यदि पहले चुनाव को उनके छोड़ दिया जाए तो। इस बार भाजपा ने कई नामों पर विचार किया और कई नामों में विचार के बाद भी भाजपा नए चेहरे पर जीत का विश्वास नहीं कर पाई और भईयालाल राजवाड़े का टिकट तय हो गया और उन्होंने बड़ी जीत भी दर्ज कर ली। वैसे इस बार शुरू से ही माना जा रहा था की भईयालाल राजवाड़े के आगे कोई प्रत्याशी अन्य दल का टिकने वाला नहीं है और वैसा ही हुआ भी इस बार वर्तमान विधायक के कार्यकाल की तुलना भईयालाल राजवाड़े से हुई और लोगों ने भईयालाल राजवाड़े को वर्तमान विधायक की तुलना में कहीं अधिक बेहतर माना और उन्हे बंपर वोटों से जिताकर विधानसभा भेज दिया।अप्रत्याशित रहा जनता समर्थन भईयालाल राजवाड़े की जीत शुरू से ही इस बार से सुनिश्चित थी और हुआ भी वैसा ही लेकिन इस बार उन्हे जैसा समर्थन जनता का मिला वह अप्रत्याशित रहा और यह साबित हुआ की क्षेत्र की जनता ने पांच सालों तक एक जननेता को कहीं न कहीं अपने बीच नहीं पाया था और जिसकी कमी उन्हे खल रही थी। इस बार के चुनाव परिणाम के बाद अब भले ही भईयालाल राजवाड़े के समर्थक उनके कद को और अधिक बड़ा बनाने के प्रयासों और प्रार्थनाओं एम जुटे हुए हैं वहीं उनके कार्यकाल को जानने वाले जानते हैं की वह पद प्रतिष्ठा से ऊपर जन सेवा के कार्यों को ही महत्वपूर्ण मानते आए हैं और यही कारण था की विपक्ष में रहते हुए चुनाव में पराजय के बाद भी जनता उनके पास समस्या लेकर जाया करती थी और वह अपनी क्षमता अनुसार समाधान का प्रयास भी किया करते थे। आज कोरिया जिला कहें या सरगुजा संभाग या पूरा प्रदेश सभी खुश और प्रसन्न हैं क्योंकि जरूरत पर बिना किसी भेदभाव उनकी मदद के लिए आगे आकर मदद करने वाला जन नेता अब चुनाव जीतकर जनसेवा के लिए अधिकृत हो चुका है।पहला चुनाव हारकर भी नहीं मानी हार,जिला पंचायत जीतकर फिर बने दावेदार और दूसरी बार मौका मिला पहुंचे विधानसभा भईयालाल राजवाड़े का राजनीतिक जीवन वैसे तो कालरी कर्मी होकर ग्राम पंचायत सरपंच बनने के लिए त्याग पत्र से शुरू होता है और वहीं से वह धीरे धीरे आगे बढ़ते चले गए जनपद सदस्य बने अध्यक्ष बने फिर उन्हे भाजपा से विधानसभा का प्रत्याशी बनने का मौका मिला। भईयालाल राजवाड़े जब विधायक पद की दौड़ में शामिल हुए तब उनके सामने कोरिया की बैकुंठपुर सीट के अजेय योद्धा कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉक्टर रामचंद्र सिंहदेव सामने थे तब उन्हे मामूली अंतर से चुनाव में पराजित होना पड़ा लेकिन भईयालाल राजवाड़े ने हार नहीं मानी और उन्होंने चुनाव हारकर भी जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा जिसमे वह विजई घोषित हुए। जिला पंचायत सदस्य का चुनाव ही उनकी लोकप्रियता बढ़ाने वाला और उनके जनाधार को साबित करने वाला साबित हुआ और फिर भाजपा ने उन्हे प्रत्याशी बनाया वहीं कांग्रेस से नए चेहरे को मौका मिला,भईयालाल राजवाड़े ने कांग्रेस प्रत्याशी को मात देकर विधानसभा के लिए अपना रास्ता बनाया और पहली बार के कार्यकाल में ही उन्हे संसदीय सचिव की जिम्मेदारी मिली,फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और वह जन सेवा में जुट गए। मरीजों के लिए उन्होंने अपने बंगले को अघोषित अस्पताल बना दिया और अपनी तरफ से उन्हे सेवाएं प्रदान करते रहे। पहले कार्यकाल के बाद उन्हे पार्टी ने फिर तीसरी बार मौका दिया,तीसरे मौके में भी उन्होने जीत दर्ज की और कैबिनेट मंत्री बनाए गए। कैबिनेट मंत्री रहते हुए भईयालाल राजवाड़े ने जन सेवा के कार्य को जारी रखा और उन्होंने फिर पूरे प्रदेश के मरीजों के लिए अपने आवास को एक आश्रय बना दिया। हर मरीज पूरे विश्वास के साथ उनके पास जाने लगा और जिसकी मदद वह करते रहे।चौथी बार पार्टी ने दिया मौका, हार मिली लेकिन हिम्मत नहीं हारे भईयालाल राजवाड़े भईयालाल राजवाड़े को भाजपा ने चौथी बार भी प्रत्याशी बनाया,इस बार उन्हे हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी,उन्होंने जनता से जुड़ाव कायम रखा। जनता का दरबार वह अपने घर पर लगाते रहे और लोगों के बीच वह जाते भी रहे। उन्होंने थकने की बजाए हार मानने की बजाए अपने हार को भी हथियार बनाया और लोगों के दुख सुख में वह जाते रहे। लोगों ने भी उनकी हार के बाद महसूस किया की उनसे गलती हुई है और कहीं न कहीं एक जन सेवा की भावना रखने वाले को उन्होंने खुद की सेवा का मौका नहीं दिया है।चौथी बार के मौके में अपनी हार से उन्होंने पांचवी बार की जीत का लक्ष्य निर्धारित किया और हुआ भी वैसा ही,पांचवी बार पार्टी ने पूरी समीक्षा के बाद फिर उन्हे मौका दिया और उन्होंने बंपर जीत दर्ज कर पार्टी की झोली में बैकुंठपुर विधानसभा की सीट डाल दी। आज भईयालाल राजवाड़े राजनीति में एक अलग पहचान बना चुके नेताओं में शुमार हो चुके जिनका कोई शानी नही।जनता से सीधा जुड़ाव रखने मामले में ख्याति है भईयालाल राजवाड़े की भईयालाल राजवाड़े की ख्याति जनता से सीधा जुड़ाव रखने मामले में सबसे अधिक है। जहां नेता जनता से सीधा संवाद नहीं रखते देखे जाते थे भईयालाल राजवाड़े ने अपने मंत्री पद वाले कार्यकाल में हर व्यक्ति तक अपना मोबाइल नम्बर प्रदान करने का काम किया था। उन्होंने कभी भी किसी समस्या में खुद से संपर्क को आसान करने के लिए ऐसा किया था। लोग भी किसी भी समस्या में उनसे किसी भी समय बात कर सकते थे और अपनी समस्या बता सकते थे। कुल मिलाकर उन्होंने जनता और खुद के बीच संवाद को आसान किया था जिसके कारण वह काफी लोकप्रिय हुए थे।सरल, सहज ,सर्व उपलब्ध छवि वाले नेता भी माने जाते हैं भईयालाल राजवाड़े भईयालाल राजवाड़े को सरल सहज और सर्व उपलब्ध छवि वाला नेता भी माना जाता है। उनसे मिलना लोगों के लिए हमेशा आसान रहा है। घर की बात हो या राजधानी की या किसी कार्यक्रम की ही उन्होंने कभी खुद के और जनता के बीच कोई लकीर नहीं खींची। उन्होंने सभी से समान रूप से भेंट कर समस्या जानने का प्रयास किया और निदान का भी भरसक प्रयास किया। आज उनकी छवि यह है की लोग उनसे मिलने किसी भी समय पहुंच जाते हैं। कई ऐसे भी अवसर लोगों ने मुलाकात के बताए जब लोग उन्हे सोते से जगाकर भी मिल आए और अपनी समस्या सुना आए।अंत भला तो सब भला की चाहत ने चुनाव जीता छत्तीसगढ़ सरकार में एकबार संसदीय सचिव रह चुके व एकबार कैबिनेट मंत्री रह चुके बैकुंठपुर विधानसभा से दो बार के विधायक भी चुने जा चुके भइयालाल राजवाड़े के लिए यह चुनाव उनके राजनीतिक जीवन की समाप्ति की ओर था जिसमे उनकी सफलता जरुरी थी जो उन्हें मिली भी, भइयालाल राजवाड़े अपने राजनीतिक जीवन से संन्यास लेने की इक्षा के साथ यह चुनाव लड़ रहे थे और बाकायदा इसकी घोषणा करते हुए वह भाजपा से 2023 के विधानसभा चुनावों में बैकुंठपुर विधानसभा से टिकट की मांग कर रहें थे,भइयालाल राजवाड़े का राजनीतिक सफर कैसे जारी हुआ यह भी एक रोचक विषय रहा है।सरपंच बनने के लिए एसईसीएल की नौकरी छोड़ी पूर्व कैबिनेट मंत्री भइयालाल राजवाड़े की सन 1970 में एसईसीएल में नौकरी लगी और इन्होंने 1978 तक माइनिंग सरदार पद पर रहते हुए एसईसीएल की नौकरी की इसी दौरान 1972 में जिस समय सरपंच का चुनाव नहीं होता था ग्रामीण ही अपने से सरपंच चुनते थे उस दौरान सरडी गांव के लोगों ने इन्हें सरपंच चुना इसके बाद 1978 में जब ग्राम पंचायत का चुनाव होना शुरू हुआ तब उन्होंने एसईसीएल की नौकरी छोड़ लोगों की सेवा के लिए निर्वाचित होकर सरपंच बनना पसंद किया और 20 साल उन्होंने सरपंची की 1993-94 में सरपंच निर्वाचित होने के साथ-साथ उन्होंने जनपद पंचायत सदस्य का भी चुनाव लड़ा और वहां पर भी उन्होंने जीत हासिल की और अध्यक्ष निर्वाचित हुए इसके बाद 1998 में कोरिया जिला पांचवी अनुसूची में शामिल हो गया जिस वजह से इन्होंने सरपंच पद का चुनाव नहीं लड़ पाने की वजह से जिला पंचायत लड़ना शुरू किया दो बार इन्होंने जिला पंचायत सदस्य बनकर कार्य किया जिला पंचायत सदस्य का चुनाव उन्होंने 1998,2003 व 2008 में जिला पंचायत सदस्य बने भइयालाल राजवाड़े ने 2003 में विधानसभा चुनाव भी लड़ा पर डॉ रामचन्द्र सिंहदेव कोरिया कुमार से बड़ी ही कम अंतरों से उन्हें हारना पड़ा लेकिन उन्होंने राजनीति नहीं छोड़ी और जनता से जुड़ाव बना रहे इसलिए उन्होंने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा और विजयी हुए।2008 में फिर दूसरी बार भाजपा से इन्हें विधानसभा का टिकट दिया 2008 में फिर दूसरी बार भाजपा से इन्हें विधानसभा का टिकट मिला और इन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा और उन्हें जीत मिली जीत के साथ और 2 वर्षों बाद ही सरकार ने भइयालाल राजवाड़े की योग्यता और जनता से जुड़ाव को समझा और उन्हें संसदीय सचिव बनाया, 2013 में तीसरी बार भाजपा से इन्हें टिकट मिला और इन्होंने ने विधानसभा चुनाव लड़ा और फिर इन्होंने चुनाव में जीत दर्ज की विधायक बनने और पूर्व के संसदीय सचिव कार्यों की योग्यता साथ ही लोकप्रियता के कारण इसबार उन्हें दो वर्ष बीतते बीतते ही कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। 2018 विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा इस तरह उन्होंने चार बार विधानसभा चुनाव लड़ा जिसमें 2 बार जीत और दो बार हार हुई।जिले में सभी विभागों मे अंकुश लगाने में रहे थे सफल भइयालाल राजवाड़े के कार्यकाल में जिले के सभी विभाग अंकुश के साथ कार्य किया करते थे,जनसरोकार सबसे ज्यादा आवश्यक समझते थे और जनता से जुड़े विषयों को लेकर सजग रहा करते थे क्योंकि सभी विभाग प्रमुखों की यह मालूम था कि भइयालाल राजवाड़े जमीन स्तर से राजनीति के शीर्ष पर हैं और उन्हें सभी योजनाओं और उसके क्रियान्वयन को लेकर सभी जानकारियां हैं और वह जनता को उसका लाभ मिल सके इसको लेकर कोई समझौता नहीं करने वाले।विपक्ष नहीं लगा सका कोई भी भ्रस्टाचार का आरोप भइयालाल राजवाड़े पर विपक्ष भले ही कभी जबान फिसलने को लेकर आरोप लगा चुका है लेकिन भ्रस्टाचार को लेकर कोई आरोप उनके ऊपर विपक्ष नहीं लगा सका यह उनके कार्यकाल की गुणवत्ता को बताता है।मंच से ही घोषणा और उसके क्रियान्वयन को लेकर आदेश किया करते थे जारी भइयालाल राजवाड़े मंच से उद्बोधन के दौरान ही उपस्थित जनों की मांगों का निराकरण करते थे यही नहीं वह मंच से घोषणा भी मांगो के संदर्भ में तत्काल किया करते थे,वह घोषणा करने तक ही नहीं रुका करते थे वह घोषणा पर अमल हो यह आदेश भी मंच से ही अधिकारियों को दिया करते थे जो पूरा भी हुआ करता था और यही उनकी लोकप्रियता की सबसे महत्वपूर्ण पहलू है अपने कार्यकाल के दौरान मंच पर लोगों की मांग पर घोषणा करने से भी नहीं घबराते थे जो चाहता था वह उनसे मांग सकता था और वह तत्काल मंचो से घोषणा भी कर दिया करते थे जिस वजह से उन्हें घोषणा वाले बाबा भी कहा जाने लगा था, खास कर इन्होंने हर गांव गांव में पंडाल दिए जहां आज भी उनके नाम उन पंडालो लिखा मिलता है पूरे जिले में काफी सारे स्टेडियम बनाए गए जो इनकी देना है

Leave A Reply

Your email address will not be published.