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एसडीएम ने आदेश में लिख दी ऐसी धारा जो पंचायत राज अधिनियम में है ही नहीं : हाई कोर्ट

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बिलासपुर। सरपंच चुनाव के मामले में एक आवेदन को एसडीएम ने बिना गुण दोष के खारिज कर दी। साथ ही उसमें पंचायत राज अधिनियम की ऐसी धारा लिख दी जो प्रविधान में है ही नहीं।

इस प्रकरण में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने एसडीएम के आदेश को खारिज कर दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता के आवेदनपत्र की गुणदोष के आधार पर सुनवाई करने का आदेश दिया है।

मामला महासमुंद जिले के बसना जनपद पंचायत के गनेकेरा पंचायत का है। यहां वर्ष 2020 में हुए पंचायत चुनाव में जगमोहन चौहान भी उम्मीदवार थे। उन्हें अनुसुइया चौहान ने पराजित की। परिणाम आने पर जगमोहन ने एसडीएम के समक्ष पुनर्मतगणना की मांग करते हुए आवेदनपत्र प्रस्तुत किया। जिसे सराईपाली के एसडीएम ने तकनीकी खामियां बताकर पंचायत राज अधिनियम 1993 की धारा 22 के नियम 17 के तहत खारिज कर दिया।

इस पर जगमोहन चौहान ने अपने अधिवक्ता सिद्धार्थ दुबे व माला दुबे के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में बताया गया कि याचिकाकर्ता सरपंच पद के पराजित उम्मीदवार हैं। उन्होंने मतगणना में गड़बड़ी करने का आरोप लगाते हुए पुर्नमतगणना की मांग को लेकर एसडीएम के समक्ष आवेदन पत्र प्रस्तुत किया था। जिसे एसडीएम ने बिना गुणदोष के आधार पर पंचायत राज अधिनियम का हवाला देकर मनगढंत धारा बताकर खारिज कर दिया।

याचिका में एसडीएम के आदेश को अवैधानिक बताया गया। साथ ही उनके आदेश को चुनौती देते हुए खारिज करने की मांग की गई। याचिका में यह भी कहा गया कि निर्वाचित प्रत्याशी ने अनुप्रमाणित होने का आरोप लगाकर आपत्ति की। जिसे एसडीएम ने बिना किसी तथ्य के स्वीकार कर लिया। इस प्रकरण में हाई कोर्ट ने एसडीएम से जवाब मांगा। जिस पर सराईपाली एसडीएम ने संतुष्टिजनक जवाब नहीं दिया।

इस पर हाई कोर्ट ने एसडीएम के आदेश को निरस्त कर दिया है। साथ ही एसडीएम को आदेशित किया है कि चार माह के भीतर याचिकाकर्ता के आवेदनपत्र पर गुणदोष के आधार पर सुनवाई की जाए। इसी के तहत उन्हें गुणदोष के आधार पर पुनर्मगणना का निर्णय लेने को कहा गया है।

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