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आग की लपटों से क्यों धधक रहे हैं छत्तीसगढ़ के जंगल? वन्य जीवों पर गहराया बड़ा संकट

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रायपुर । नक्सली समस्या से जूझ रहा छत्तीसगढ़ इस वक्त एक अलग ही प्रकार की समस्या से जूझ रहा है। गर्मी का मौसम आते ही छत्तीसगढ़ के घने जंगलों में आग लग गई है। मिली जानकारी के मुताबिक यह आग सरगुजा, धमतरी और कवर्धा के जंगलों में तेजी से फैल रही है। हालांकि वन विभाग का अमला इस आग को बुझाने में जुटा हुआ है, लेकिन समस्या यह है कि आग दोबारा लग जाती है।

सरगुजा से लेकर धमतरी तक फैली आग
पिछले 3 दिनों के भीतर छत्तीसगढ़ में आग की लपटों में आकर हजारों हेक्टेयर के जंगल तबाह हो गए हैं। यह आग सरगुजा, कवर्धा और धमतरी के जंगलों में लगी है। माना जाता है कि गर्मी का मौसम आने बाद ऐसी आग हर साल जंगलों में लग जाती है। कभी यह आग खुद ब खुद लग जाती है, तो कभी इसे लगाया जाता है। बहरहाल इस मामले में सरगुजा संभाग के वन अधिकारी पंकज कमल ने बताया ने बताया कि सरगुजा के उदयपुर इलाके में फैले जंगलों में भीषण आग लगी हुई है, जो तेजी के साथ फैल रही है। उन्होंने बताया कि इस समय वन विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर चल रहे हैं, इसलिए आग बुझाने में दिक्कते पेश आ रही हैं, आग यदि अनियंत्रित होती है, तब हम पुलिस विभाग की मदद लेंगे।

ग्रामीण भी लगा सकते हैं आग
उधर धमतरी जिले के केरेगांव वन परिक्षेत्र में भी दावानल की स्थिति बनी हुई है। धमतरी के वन अधिकारियों का कहना है कि गर्मी का मौसम आते ही जंगलों में हर साल आग लगती है, इस मौसम में वन विभाग हमेशा सजग रहता है, लेकिन इस बार वन कर्मियों की हड़ताल के कारण आग बुझाने में समस्या आ रही है। वन विभाग को संदेह है कि यह आग ग्रामीणों ने ही लगाई है। दरअसल इस मौसम में महुआ बीनने के लिए ग्रामीण जंगल के पत्तों में आग लगा देते हैं, जिसकी वजह से अक्सर आग फैल जाती है।

हड़ताल पर हैं वनकर्मी, आग बुझाना हुआ मुश्किल
जंगलो में आग की स्थिति असामान्य होने की वजह वन कर्मचारियों का हड़ताल पर चले जाना है। मिली जानकारी के मुताबिक प्रदेश के वन कर्मी वेतन विसंगति दूर करने समेत अपनी 12 सूत्रीय मांगों को लेकर 21 मार्च से हड़ताल पर चल रहे हैं। जंगलो में आग लगने के बाद उन्हें बुझाने के लिए कोई नहीं है और जंगलो में आग लगने की सूचना मिलने में भी देरी हो रही है। बहरहाल इस हड़ताल के कारण वन विभाग के अधिकारी खुद फील्ड पर एक्टिव हो गए हैं और ग्रामीणों की मदद से आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं। माना जाता है कि हर साल 16 फरवरी से 15 जून तक गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लगने की घटनायें बढ़ती हैं।

घट रहा है ऑक्सीजन लेवल, इंसान, जानवर दोनों असुरक्षित
इस समय कवर्धा के जंगलों में भी आग की लपटें दूर तक देखी जा रही है। भोरमदेव अभ्यारण्य का क्षेत्र होने के कारण यहां वन्य जीव भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं, लिहाजा वन विभाग की चिंता बढ़ी हुई है, क्योंकि आग लगने से हिंसक वन्य जीव भी अपना जीवन बचाने के लिए इंसानी बस्तियों की तरफ भागते हैं। बहरहाल जंगलों में आग लगने से जहां, वन संपदा को बड़ा नुकसान हो रहा है, वहीं पेड़ों की संख्या घट जाती है, जिससे इलाके के ऑक्सीजन लेवल पर बुरा असर पड़ता है।

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