कोरबा में SECL के खिलाफ विस्थापित ग्रामीणों ने खोला मोर्चा,आउटसोर्सिंग कंपनियों में रोजगार देने की मांग
कोरबा । छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में कोयला खनन करने वाली एसईसीएल के प्रति स्थानीय लोगों की नाराजगी खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। कोयला खनन से उपजे जल संकट झेल रहे इलाके के ग्रामीणों ने अब कोयला खनन परियोजनाओं से विस्थापित हुए परिवारों के रोजगार की मांगको लेकर एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
दरअसल एसईसीएल के माध्यम से रोजगार देने का विषय कोरबा क्षेत्र की एक प्रमुख मांग के रूप में उभर रही है, क्योंकि अपनी जमीन से हाथ धो चुके परिवार आजीविका के साधनों के अभाव में बेरोजगारी का दंश सहने पर मजबूर है। इन विस्थापित परिवारों से एसईसीएल ने रोजगार देने का वादा किया था, जिस पर उसने आज तक अमल नहीं किया है। अब किसान सभा की अगुआई में प्रभावित गांवों के बेरोजगारों ने काम उपलब्ध कराने, अन्यथा गेवरा खदान बंदी की चेतावनी प्रबंधन को दे दी है।
एसईसीएल से विस्थापित बेरोजगारों को उपलब्ध
गुरुवार को छत्तीसगढ़ किसान सभा के नेताओं ने एसईसीएल के गेवरा कार्मिक प्रबंधक एस.परीडा को अपनी मांगो को लेकर सौंपा। ज्ञापन सौंपने वालों में माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर, जवाहर सिंह कंवर, प्रशांत झा, दीपक साहू, जय कौशिक, देव कुंवर, वनवासा, शशि, गणेश कुंवर, आशीष यादव, गुलशन दास, अमृत यादव, नरेश कुमार, संजय यादव, पुरषोत्तम, राय सिंह, सुरेंद्र, विनोद कुमार, मोहिंद्रा, रविन्द्र, चिंता, फेकू प्रमुख रूप से शामिल थे।
किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, सचिव प्रशांत झा, दीपक साहू, जय कौशिक ने मांग की है कि प्राथमिकता के साथ एसईसीएल के अधीनस्थ कार्य कर रही आउटसोर्सिंग कंपनियों में 100% कार्य विस्थापित बेरोजगारों को उपलब्ध कराया जाए। उनका आरोप है कि विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है, जबकि उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की नैतिक जिम्मेदारी एसईसीएल की है। एसईसीएल प्रबंधन के इस असंवेदनशील रवैये के खिलाफ उन्हें खदान बंदी आंदोलन करने को बाध्य होना पड़ेगा।
इधर छत्तीसगढ़ के कोरबा में गर्मियों का मौसम आने से पहले ही खनन प्रभावित गांवों में भीषण जल संकट मंडराने लगा है। कोरबा जिले के मड़वाढोढ़ा, पुरैना और बांकी बस्ती गांव में भूमिगत खनन के कारण पेयजल संकट के साथ निस्तारी की समस्या भी पैदा होने लगी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए ग्रामीण अब इस चिंता में पड़ गए है कि गर्मी बढ़ने के साथ उन्हें पीने के लिए भी पानी मिल पायेगा कि नहीं। समस्या का कारण कोयला खनन कार्य करने वाली एसईसीएल की लापरवाही और उसका गैरजिम्मेदाराना रवैया माना जा रहा है,यही वजह है कि अब ग्रामीण आंदोलन के रास्ते पर बढ़ रहे हैं।
जलसंकट की इस समस्या को लेकर माकपा का कहना है कि एसईसीएल केवल अपने मुनाफे के लिए काम कर रही है। उसने जमीन खनन के लिए इलाके में जिन किसानों ली थी , उनकी समस्याओं से उसका अब कोई सरोकार नहीं है,इसलिए कोरबा का यह हिस्सा जल संकट की भीषण त्रासदी झेल रहा है। माकपा नेताओं ने इस मामले में ग्रामीणों के साथ मिलकर कोरबा महाप्रबंधक को ज्ञापन सौंपा है और जल संकट दूर न होने की स्थिति में मुख्यालय के घेराव की चेतावनी दी है ।