सूरजपुर/ भटगांव, डॉ प्रताप नारायण सिंह: पुलिस विभाग ही एक ऐसा विभाग है जो अक्सर कर्तव्य परायणता की पराकाष्ठा के बावजूद हाशिए पर ही रहता है, तनिक सी चूक यदि पुलिसिंग में हुई तो बड़े-बड़े हेड लाइन जैसे, पुलिस बनी मूकदर्शक, पुलिस के रात्रि गश्त की खुली पोल, पुलिस पस्त चोर मस्त, आदि वाक्यों से नवाजा जाता है।एक पुलिसकर्मी ने अपने सिपाहियाना समय की एक कहानी बताई थी यह कहानी 16 बरस पहले की है जब वे कोतवाली थाना अंबिकापुर में पदस्थ थे उस दौरान जब वह एक वारंटी को पकड़ने अपनी मोटरसाइकिल में बेत का डंडा बांधे महामाया पारा पहुंचे,तो उक्त वारंटी एक कमरे में तांत्रिक नुमा माहौल बनाए मंत्रों का उच्चारण कर रहा था जब बाहर से आवाज लगाई तो उस वारंटी ने बड़बड़ाना शुरू किया। इसके बाद भी बिना डरे मेरे सिपाही मित्र ने उसका हाथ पकड़ा और खींचते हुए बाहर निकालने लगे वह शोर करने लगा और चिल्लाने लगा कुछ इस तरह चाबथे, चाबथे चांटी,,,, चाबथे,,, भागरे,, भागरे,,, भूर्र,,,तत्काल उन्होंने बेत के डंडे से उसकी झड़ाई शुरू की दूसरे ही पल उसका सारा भूतिया खूमार उतर गया और उसे बाइक पर बैठाकर वे थाने ले आए, तब उस वारंटी ने एक शब्द कहा था की पुलिस के डंडे से मेरा भूत भाग गया।
सिपाही जी आज ऐसी ही एक कहानी भटगांव थाना अंतर्गत जरही में चरितार्थ हुई चोर स्थानीय जंगलपारा निवासी जय बाबा बकासुर डेयरी के संचालक विपिन चौधरी रोज की तरह अपनी बाइक घर के बाहर ही खड़ी कर सो गए थे रात्रि करीब 2:00 बजे चोरों ने उनकी बाइक का लॉक तोड़कर पार कर दिया सुबह जब उठे तो देखा बाइक गायब है पुलिस को सूचना देने से पहले उन्होंने आसपास खोजा उनकी बाइक बनारस मुख्य मार्ग कांटा घर के सामने लावारिस हालत में मिली लॉक टूटा हुआ था वहां के रहवासियों ने उन्हें बताया कि रात को करीब 2:00 बजे भटगांव पुलिस गश्त की गाड़ी सायरन बजाते हुए आ रही थी जिसे सुनकर चोरों ने यहां बाइक खड़ी कर दी और भाग निकले फिलहाल चोरों की पहचान नहीं हो पाई है।
वर्तमान समय जब पूरी मानवता वैश्विक महामारी कोरोना की मार झेल रही है इस परिस्थिति में इन्हीं पुलिस वालों के कंधों पर सारी जिम्मेदारी लाद दी गई है कंटेनमेंट जोन बनाना हो, मास्क की चेकिंग करनी हो, अपराधों पर नियंत्रण करना हो, या दिनभर चौक चौराहों में कड़कड़ाती धूप में ड्यूटी करनी हो, ऐसे पुलिसकर्मियों की कद्र समाज में होनी चाहिए ताकि अच्छे पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों का मनोबल इस प्रतिकूल परिस्थिति में ना टूटे। किंतु पुलिस आज अपराधियों के लिए भी थर्ड डिग्री इस्तेमाल नहीं कर सकती कई कस्टोडियल मौतों ने दुर्दांत अपराधियों के प्रति भी पुलिस के हाथों खुद हथकड़ी लगा दी है इसके लिए विभाग के ही कुछ अधिकारी व कर्मचारी जिम्मेदार हैं जिन्होंने कई बार पुलिस की छवि को धूमिल भी की है, किंतु क्या है इसके लिए सभी पुलिस वाले दोषारोपण के भागीदार हैं शायद नहीं। इसलिए एक कलमकार की कोशिश हमेशा यह होनी चाहिए की पुलिस की कमियों को उजागर करने के साथ-साथ अच्छे कार्यों के लिए पुलिस का मनोबल भी बढ़ाएं।