रायपुर । छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र गले महीने 07 मार्च से शुरू होगा। बजट सत्र 07 मार्च से 25 मार्च तक चलेगा।इस दौरान कुल 13 बैठकें होंगी। छत्तीसगढ़ बनने के बाद से अब तक विधानसभा का यह सबसे छोटा बजट सत्र होगा ।इसी कारण से सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच ज़ुबानी जंग शुरू हो गई है।
भाजपा का वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि अविभाजित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ दोनों विधानसभाओ से जुड़े अपने अनुभव के आधार पर वह कह सकते है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के संसदीय इतिहास में इतना छोटा बजट सत्र कभी नहीं आहूत किया है । बृजमोहन ने कहा कि भूपेश बघेल सरकार छत्तीसगढ़ की गौरवशाली संसदीय परंपराओं की हत्या कर रही है, बजट सत्र में पहले कम से कम 30 बैठकें होती थीं, लेकिन इस सत्र में केवल 13 बैठक ही रखी गई हैं । बृजमोहन ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से कोई भी सत्र वक़्त पर पूरा नहीं हुआ है । पूर्व मंत्री अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस सरकार प्रदेश में लोकतंत्र की संसदीय परंपराओं को तोड़कर उसे धूमिल करने का काम कर रही है।बृजमोहन अग्रवाल का कहना है कि बघेल सरकार विपक्ष के सवालों से भाग रही है।
विपक्ष के आरोपों पर कांग्रेस सरकार का अपना अलग ही तर्क है। संसदीय कार्यमंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि अगर बजट सत्र समय से पहले ही खत्म हो रहे हैं , तो इसके लिए केवल विपक्ष ही जिम्मेदार है। चौबे ने कहा कि मैं कोई सुझाव नहीं देना चाहता , लेकिन जब विपक्ष के साथी सदन में चर्चा नहीं करेंगे, तो कार्यवाही कैसे चल पायेगी ? रविंद्र चौबे का कहना है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष भी अलग गुटों में बंटा हुआ है। विधानसभा में बृजमोहन अग्रवाल, शिवरतन शर्मा ,अजय चंद्राकर अलग अलग नजर आते हैं । ऐसा कई दफा हो चुका है कि विपक्ष 15 मिनट चर्चा करता है ,लेकिन 20 मिनट तक वाक आउट करता है।
इस बार छत्तीसगढ़ की पांचवीं विधानसभा का तेरहवां सत्र पहले फरवरी में होने वाला था ,लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे फरवरी की जगह मार्च में आयोजित करने का फैसला लिया गया है। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री से लेकर बाकी के विधायकों की व्यस्तता के चलते भी सत्र को आगे बढ़ाया गया था। गौरतलब है कि 7 मार्च को ही यूपी विधानसभा चुनाव केआखरी चरण के लिए मतदान होना है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते साल 1 मार्च 2021 को 97,106 हजार करोड़ पेश किया था, जिसमे विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर पर अधिक फोकस था। इस साल राज्य के बजट में 10 प्रतिशत का इजाफा होने का अनुमान लगाया जा रहा है, अगर ऐसा होता है तो बजट का आकर 10 हजार करोड़ तक पहुंच जायेगा। गौर करने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ सरकार पर फिलहाल 70 हजार करोड़ के कर्ज का भार है, जिसके और बढ़ने के स्पष्ट आसार दिखाई दे रहे हैं।