रायगढ़। यदि आपको हरे भरे पेड़ चाहिए तो दूसरे नंबर की खिड़की से रायगढ़ रेंजर छोटेलाल डनसेना से संपर्क कीजिए….। यह महाशय मौखिक रूप से लोगों को गुलाब गार्डन के पेड़ काटने की अनुमति प्रदान कर रहे हैं। ऐसा हम नहीं बल्कि यहां से पेड़ काट कर ले जाने वाले लोग और स्वयं रेंजर साहब भी कुछ इसी अंदाज में बता रहे हैं।
दरअसल शनिवार की दोपहर दिनदहाड़े कई महिलाएं और पुरुष अपने सिर पर बल्लियां और हाथों में टांगी लेकर सूर्य विहार कॉलोनी से निकल रही थी। जब उनसे पूछा गया कि ये हरी-भरी बल्लियां कहां से लाई जा रही है, तो उन्होंने बताया कि रेंजर साहब से पूछ कर इन बल्लियों को रोज गार्डन से काट कर पीछे से ले जा रहे हैं। जब उनसे पूछा गया की क्या इसकी अनुमति उन्होंने किसी से ली है तो उन्होंने बताया कि उनके पास लिखित नहीं बल्कि मौखिक अनुमति है।
रेंजर डनसेना को लगाया फोन तो रेंजर ने कहा बनाने दो वीडियो मैं देख लूंगा…
अवैध कटाई कर ले जाई जा रही बल्लियों को जब मीडिया की ओर से वीडियो शूट किया जाने लगा तो महिलाओं ने रेंजर डनसेना को मोबाइल पर कॉल किया और उन्हें बताया कि कोई वीडियो बना रहा है तब रेंजर ने कहा कि बनाने दो मैं हूं सब संभाल लूंगा। लकड़ियों की अवैध कटाई करने वाले लोगों ने बताया कि वो स्वयं फॉरेस्ट विभाग के कर्मचारी हैं इसलिए रेंजर साहब ने अनुमति दे दी है। जब रेंजर पेड़ काटने से नहीं रोक रहे हैं तो किसी को इस मामले में दखल देने की क्या जरूरत है। यद्यपि महिलाओं का कहना एकदम सही था कि जब वन के रक्षक ही पेड़ कटाई करवा रहे हो तो जंगल का तो भगवान ही मालिक है।
अब पेड़ कटवाने वाले रेंजर क्या दलील देते हैं
इस संबंध में जब रायगढ़ रेंजर डनसेना से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि हां यह सही है कि मैंने उन्हें रोज गार्डन से लकड़ियों को ले जाने की अनुमति मौखिक रूप से दी थी लेकिन हरे पेड़ों को काटने के लिए नहीं कहा था। बल्लियों को ले जाने वाले लोग हमारे कर्मचारी हैं और उनके घर में शादी है इसलिए मंडप बनाने के लिए बल्लियां ले गए होंगे। जब रेंजर से यह पूछा गया कि क्या यह सुविधा सभी शहर वासियों के लिए आप की ओर से उपलब्ध है तब उन्होंने कहा कि मैं इसको दिखवाता हूं।