रायपुर। छत्तीसगढ़ में अंबिकापुर, रायगढ़, जगदलपुर शासकीय मेडिकल कालेज समेत दुर्ग जिला अस्पताल में जल्द ही आईबैंक खोलने की तैयारी है। इसके लिए शासन से स्वीकृति प्रदान कर दी है। प्रत्येक आईबैंक के लिए 50-50 लाख रुपये शासन द्वारा दिए गए हैं। वहीं उपकरण खरीदने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इधर रिम्स और श्रीशंकराचार्य मेडिकल कालेज ने भी आईबैंक खाेलने के लिए आवेदन दिया है, जिसकी मंजूरी शासन स्तर पर दे दी गई है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में तीन शासकीय और तीन प्राइवेट कुल छह आइबैंक हैं। नए आईबैंक खुलने के बाद नेत्रदान व इसके बाद आंखों के स्टोरेज की और बेहतर व्यवस्था हो पाएगी। ट्रांसप्लांट की सुविधा भी बेहतर होगी। बता दें कि राज्य में हर साल 300 से अधिक नेत्रदान होते हैं। लेकिन वर्ष 2020-21 में 14 नेत्रदान ही हुए हैं।
राज्य में 1069 लोगों को चिह्नित किया गया है, जिनमें विभिन्न कारणों से कार्निया खराब होने की वजह से आंखों की रोशनी नहीं है। अब नेत्रदान नहीं होने की वजह से इनकी आंखों की रोशनी नहीं लौटाई जा सकी है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा आईबैंक खोलने के साथ ही नेत्रदान को लेकर जागरूकता को वृहद पैमान पर चलाने की तैयारी में है।
अधिकारियों ने बताया कि राज्य देश का पहला राज्य है, जहां बाहर से कार्निया मंगाने की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है। इसके लिए प्रति कार्निया स्वास्थ्य विभाग 6,000 रुपये देता है, लेकिन वर्तमान में बाहर से भी कार्निया नहीं मिल पा रहा है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश में चार शासकीय आईबैंक खोलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। प्रत्येक के लिए 50-50 लाख रुपये का बजट स्वीकृत है। वहीं दो प्राइवेट आईबैंक को भी अनुमति दी गई है। नेत्रदान जरूरत के हिसाब से कम हो रहा है। इसे लेकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा। -डाक्टर सुभाष मिश्रा, राज्य नोडल अधिकारी, अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम