झीरम न्यायिक जांच रिपोर्ट सीधे राज्यपाल को सौंपे जाने को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मामले में सीधे केंद्र सरकार पर हमला बोला है। बघेल ने एसआइटी जांच के लिए फाइल राज्य सरकार को नहीं लौटाए जाने को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि आखिर केंद्र सरकार फाइल न लौटाकर किसको बचाना चाह रही है। सवाल यह है कि आखिर केंद्र सरकार किस तथ्य को छिपाना चाह रही है।
सीएम के सवाल
– एनआइए घटना के पीछे षड्यंत्र की जांच क्यों नहीं कर रही
– बार-बार आग्रह के बाद भी फाइल वापस क्यों नहीं दी जा रही
– गुड्सा उसेंडी का बयान अब तक क्यों नहीं दर्ज किया गया
– मौके पर मौजूद सभी गवाहों से बयान क्यों नहीं लिया गया
उन्होंने कहा कि हमको तो न्याय चाहिए, केंद्र सरकार जांच नहीं कर सकती तो हम करेंगे। राजधानी रायपुर में सोमवार को मीडिया से चर्चा करते हुए बघेल ने कहा कि एनआइए अपनी अंतिम जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर चुकी है। इसमें घटना को लेकर षड्यंत्र की जांच नहीं की गई है। हमने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस घटना की जांच के लिए एसआइटी गठित करने की घोषणा की थी। सरकार में आते ही हमने एसआइटी बना भी दी, लेकिन केंद्र सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री से प्रत्यक्ष मुलाकात के दौरान बार-बार आग्रह के बावजूद फाइल हमें नहीं लौटाई जा रही है।
उन्होंने सवाल किया कि आखिर फाइल लौटाने में केंद्र सरकार को दिक्कत क्या है। एनआइए की जांच में घटनास्थल पर जितने लोग थे उनमें कुछ लोगों का ही बयान लिया गया। एनआइए कोर्ट ने आत्मसमर्पण के बाद आंध्र प्रदेश की जेल में बंद गुडसा उसेंडी (नक्सली प्रवक्ता) का बयान लेने के लिए कहा था, लेकिन आज तक उससे पूछताछ नहीं की गई।
बता दें कि मई 2013 में बस्तर के झीरम घाटी में नक्सलियों ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला किया था। इस घटना में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल समेत कांग्रेस के अग्रिम पंक्ति के कई नेता मारे गए थे।
बघेल ने कहा कि नक्सलियों ने एलेक्स पाल मेनन (तत्कालीन सुकमा कलेक्टर) का अपहरण किया था। बाद में उसे छोड़ दिया गया। इसी तरह अपहरण की अन्य घटनाओं में भी नक्सलियों ने लोगों को जिंदा छोड़ दिया। बघेल ने सवाल किया कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल और उनके पुत्र दिनेश पटेल को ले गए, फिर उन्हें गोली क्यों मार दी।