रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर राजधानी रायपुर के चौबे कॉलोनी स्थित मायाराम सुरजन शासकीय कन्या उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कन्या उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय को स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल की तर्ज पर सर्वसुविधा युक्त स्कूल के रूप में विकसित किया जाएगा। यह स्कूल हिन्दी माध्यम का प्रदेश का प्रथम स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम स्कूल होगा। मुख्यमंत्री ने इस विद्यालय की छात्राओं को बापू की आत्मकथा ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ पुस्तक का वितरण कराने की घोषणा भी की।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर स्वामी आत्मानंद स्कूल के बच्चों की मौलिक रचनाओं पर केन्द्रित और एससीईआरटी द्वारा प्रकाशित ‘सेजेश रेन्बो’ पुस्तक का विमोचन किया। उन्होंने गोदना कला, पारंपरिक खिलौना निर्माण सहित अन्य कार्यों में अपनी प्रतिभा का उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली छात्राओं को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, स्कूल शिक्षा सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह, कलेक्टर रायपुर श्री सौरभ कुमार भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए उनके मोहनदास करमचंद गांधी से महात्मा गांधी बनने की यात्रा की विस्तार से जानकारी स्कूल छात्राओं को दी। मुख्यमंत्री ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी ने दक्षिण आफ्रिका के प्रवास के दौरान वहां अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की। इस दौरान उन्होंने अनेक कष्ट सहे लेकिन लोगों को उनके अधिकार दिलाने के अभियान से नहीं डिगे। बापू की दृढ़ता से अंग्रेजों को उनके सामने झुकना पड़ा।
दक्षिण आफ्रिका से भारत लौटने पर उन्होंने भारत का भ्रमण कर यहां की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति का अध्ययन किया और लोगों को अधिकार दिलाने के लिए अपना संघर्ष जारी रखा। महात्मा गांधी की संगठन शक्ति, उनके दृढ़ संकल्प, लोगों में उनके लोकप्रियता के कारण अंग्रेजों को भारत छोड़कर जाना पड़ा। मुख्यमंत्री ने महात्मा गांधी के जीवन से जुड़े रोचक प्रश्न भी बच्चों से पूछे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के 75वें वर्ष में आजादी की लड़ाई के मूल्यों, सिद्धांतों, आदर्शों तथा महात्मा गांधी की ग्राम-स्वराज की संकल्पना को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए नवा-रायपुर में भी वर्धा की तर्ज पर सेवा-ग्राम की स्थापना की जाएगी। नवा-रायपुर में लगभग 75 से 100 एकड़ भूमि पर विकसित होने वाले इस संस्थान में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने एवं आत्मनिर्भर-ग्राम की कल्पना को साकार करने के लिए सभी प्रकार के कारीगरों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाएगी।