सूरजपुर जिले के प्रतापपुर विकासखंड अंतर्गत छुही पारा प्राथमिक विद्यालय में सफलतापूर्वक संचालित हो रहा है मुहल्ला क्लास।
सूरजपुर ,डॉ प्रताप नारायण सिंह: छत्तीसगढ़ राज्य में प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों के लिए वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप कम होने के बाद मुहल्ला क्लास शिक्षा की गाड़ी को पटरी पर लाने एक जबरदस्त मुहिम साबित हो रही है। शायद पिछले 2 सालों में प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों की शिक्षा उनका स्मरण समाप्त सा हो गया है। मिडिल, हाई, और हायर सेकेंडरी के विद्यार्थी तो किसी तरह ऑनलाइन इत्यादि के माध्यम से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं, किंतु प्राथमिक स्तर के छोटे विद्यार्थी सारी स्मृतियों को भूल चुके हैं, ऐसे में छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों हेतु मोहल्ला क्लास के संचालन की अनुमति कोविड-19 गाइडलाइन के पालन के साथ निश्चित ही मील का पत्थर साबित हो रही है।
इसी तारतम्य में सूरजपुर विकासखंड अंतर्गत नगर पंचायत जरही में संचालित प्राथमिक विद्यालय छुहीपारा में मोहल्ला क्लास का सफल संचालन यहां पदस्थ शिक्षक, शिक्षिकाओं के माध्यम से हो रहा है। यह वही प्राथमिक शाला है जहां से छात्रों का चयन नवोदय विद्यालय के लिए भी होता आया है। मुहल्ला क्लास का असर इस कदर है कि कई बड़े निजी नामचीन विद्यालयों के प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों के पालक अब शासकीय प्राथमिक विद्यालयों का रुख कर रहे हैं इसकी मुख्य वजह है छत्तीसगढ़ शासन की शिक्षा नीति और शिक्षा की गुणवत्ता जो अन्य पालकों को भी प्रभावित कर रही है। इसी शिक्षा नीति और शिक्षा की गुणवत्ता को प्रबल बनाने प्रदेश में बलरामपुर जिले के तत्कालीन कलेक्टर अवनीश कुमार शरण ने अपनी 5 वर्षीय बच्ची का दाखिला शासकीय प्राथमिक शाला में कराया था और वीआईपी कल्चर से दूर अन्य अफसरों के लिए भी एक मिसाल पेश की थी। निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ की शिक्षा नीति पूरे देश के लिए एक बेहतर पर्याय बन सकती है यदि हमारे समस्त प्राथमिक स्तर के शासकीय शिक्षक गण अपनी शैक्षणिक महत्ता को सत प्रतिशत क्रियान्वित करने लगे और शासन से भी यह उम्मीद करनी होगी कि शिक्षकों को जो प्राथमिक स्तर के शिक्षक हैं उन्हें शैक्षणिक कार्यों के अलावा अन्य कार्यों में ना लगाएं जिससे शिक्षा के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ उम्दा प्रदर्शन कर सके। प्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में अभी काफी मेहनत तथा मॉनिटरिंग करने की जरूरत है।