विनोद गुप्ता / भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बाल्को) ने उत्पादन प्रक्रियाओं की निरंतरता और कार्बन फुट प्रिंट कम करने की दिशा में सदैव ही अत्याधुनिक तकनीकों को प्रोत्साहित किया है। अपने पाट लाइन-एक में बाल्को ने वैश्विक मानदंडों के अनुरुप ऊर्जा की खपत कम करने में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। वर्तमान में यह स्तर 12862 किलोवाट प्रति मीट्रिक टन है। भारत तथा खाड़ी देशों के अन्य एल्यूमिनियम उद्योगों के मुकाबले बाल्को की विशिष्ट ऊर्जा खपत सबसे कम है। इस लक्ष्य को हासिल करने के साथ ही बाल्को के कार्बन फुट प्रिंट में कमी आई है। ऊर्जा खपत कम करने के लिए बालको ने अत्याधुनिक तकनीकें स्थापित करने के साथ ही आंतरिक तौर पर नवाचार किए गए।
एल्यूमिना पाउडर को पिघलाकर एल्यूमिनियम गर्म धातु स्मेल्टर संयंत्र में तैयार किया जाता है, यहां पाट लाइन में अनेक पाट या इलेक्ट्रोलिटिक सेल की श्रृंखला होती है। इस महत्वपूर्ण उपलब्धि पर बाल्को के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक अभिजीत पति ने कहा कि अपने समस्त प्रचालनों में संसाधनों के अधिकतम उपयोग और अत्याधुनिक तकनीकों की मदद से बाल्को सतत विकास के लिए कटिबद्ध है। बाल्को देश की उन प्रमुख कंपनियों में शामिल है, जहां प्रचालन दक्षता में बढ़ोत्तरी के लिए स्मार्ट एवं डिजिटल तकनीकें अपनाई गई हैं। इन तकनीकों की मदद से उत्पादकता में वृद्धि के साथ ही सुरक्षित कार्य शैली को बढ़ावा मिला है।
कार्बन फुट प्रिंट लगातार कम करने और हरित एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए बाल्को नवाचार को निरंतर प्रोत्साहित कर रहा है। बालको को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जा रहा है ताकि कंपनी आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सतत योगदान सुनिश्चित कर सके। विशिष्ट ऊर्जा की खपत कम करने के लिए बाल्को ने डिजिटल एवं स्मार्ट तकनीकों को अपनाने के साथ ही नवाचार को प्रोत्साहित करते हुए पाट की डिजाइन में बदलाव किया हैं। थर्मल माडलिंग के साथ ही ग्रेफीटाइज्ड पाट का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऊर्जा की खपत घटाने के साथ ही बाल्को ने विशिष्ट जल खपत में पिछले स्तर के मुकाबले 170 फीसदी की कमी की है। यह उपलब्धियां पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति कटिबद्धता का द्योतक है।