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एक गॉव का ऐसा मोहल्ला जहाँ हमेशा ही होता है पक्ष पात और कागजों में विकाश

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महेंद्र देवांगन / कसकेला / सुरजपुर ब्लॉक का एक ऐसा गॉव है जहाँ अधिकतर कागजों में ही विकास होता है हकीकत में नई पिछले 10 सालों का पंचायत का कार्ययोजना देखा जाए तो ऐसा नई होगा कि पंचायत में किसी प्रकार का समस्या हो ,किन्तु जमीनी स्तर से जांच किया जाए तो विकास के नाम से कार्य केवल ना के बराबर ही हुवा है लेकिन पता नई किसी भी अधिकारी द्वारा किस स्तर से जांच कर फण्ड रिलीज़ करते है,, जी हाँ हम बात कर रहे है ग्राम पंचायत कसकेला की जहाँ कार्य ना के बराबर ही होता है इस ग्राम पंचायत के तीतर खांड मोहल्ला की जिसका आने जाने का रोड ऐसा की पशु भी जाने को इतराये कुछ जगह बरसात के दिनों में कीचड़ से परेशान तो कुछ जगह बड़े बड़े नुकीले दार पथरीली पत्थर से जहाँ चलना तो दूर मोटरसाइकिल से जाने से भी डर लगता है कि कही पंचर ना हो जाये, कुछ वार्ड वाशी के बात करने से पता चला कि कई बार सचिव सरपंच को कॉल करके बताया गया है किंतु आज कल करके टालते जाते है ये कहकर की फण्ड ही नई है किंतु वार्ड वाशी ये जानना चाहते है पिछली कार्यकाल में हर राशनकार्ड धारी घर टेक्स 100 रुपये के आसपास दिया,तथा कसकेला का इतना बड़ा बाजार से जो बाजार टेक्स वशूलते ही ओ कहाँ जाता है , और कहा यूज करते है हद की बात तो ये है कि पंचायत प्रतिनिधियों के पास मूलभूत का पैसा 8 से 10 गाड़ी मुरुम तक के लिए नई है क्या, पिछली कार्य योजना में इस मोहल्ला में सीसी रोड,तथा पक्की नाली दर्शाया गया है ,जो एक ये सवालिया निशान है,न ही पीने का पानी का उचित व्यवस्था है जहाँ कुछ हैंडपम्प भी है तो जहा पर है वह के नागरिकों द्वारा एकाधिकार दिखाते है ,वार्ड क्रमांक 03 के पंच भी है तो उससे इस मामले से कोई मतलब नई होता है आये दिन नशे में धुत रहता है,परेशानी तो हर गांव में है कुन्तु पक्षपात शायद ही होता होगा ,किन्तु तितरखाण्ड हमेशा से ही पक्षपाती का शिकार होता आया है इस मुहल्ले के आबादी लगभग 700 के आस पास है मिडिल स्कूल व प्राइमरी स्कूल संचालित होता है बच्चे भी काफ़ी ज्यादा है खेलने के लिए मात्र एक छोटा सा ग्राउंड ,जो कि बाउन्ड्री न होने के कारण काफी गन्दगी भी आस पास के लोग कर देते है ,इस पर किसी भी प्रतिनिधि का कोई ध्यान तक नई दिया गया,होगा भी क्या साहब कोई इनके कार्य स्वरूप पर आवाज उठाएगा दो चार दिन फार्मेलिटी के लिए जांच करने आएंगे बस लीपापोती करके फाइल दबा कर रख देंगे इससे ज्यादा और कुछ हो भी नई सकता,यहाँ 100 प्रतिशत शौचालय बन कर odf भी हो गया जमीनी स्तर से जांच किया जाएगा तो 50 प्रतिशत भी नई बना होगा,ये होता कियूं है कियूँ जी हमारे अधिकारी ही भ्रष्ट है सभी को लिफाफा चाहिए, जो हर कार्यों में बंधा रहता है,तब हम सोचते है कि गांव का विकास क्यों नई हो पाता इस लिए नई हो पाता कियूँ कि गांव के विकास से ज्यादा तो हम सब अपना विकास के बारे में सोचते है।

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