इंडियन रिपब्लिक / बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि की विवादित दवा ‘कोरोनिल’ अब हरियाणा सरकार की मुफ्त कोविड किट का हिस्सा होगी और होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना संक्रमितों को यह दवा दी जाएगी। हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने सोमवार शाम यह ऐलान करते हुए कहा कि राज्य में कोरोनिल की एक लाख किट मुफ्त में बांटी जाएंगी। इसका आधा खर्च पतंजलि और आधा खर्च हरियाणा सरकार के कोविड राहत कोष से आएगा।
हरियाणा सरकार ने कोरोनिल को ये मंजूरी भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) की आपत्ति के बावजूद दी है।फरवरी में दवा के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन की उपस्थिति में लॉन्च किए जाने पर IMA ने कड़ी आपत्ति जताई थी और पूछा था कि खुद एक डॉक्टर होकर हर्षवर्धन देश के सामने गलत तरीके से तैयार की गई एक अवैज्ञानिक दवा का समर्थन कैसे कर सकते हैं।
फरवरी में लॉन्च के समय रामदेव ने कोरोनिल को लेकर कई झूठे दावे भी किए थे। उन्होंने कहा था कि कोरोनिल के पास सर्टिफिकेट ऑफ फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट (COPP) है और इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस सर्टिफिकेट मिला हुआ है। हालांकि WHO ने उनके इन दावों को गलत बताया था और बयान जारी कर कहा था कि उसने कोरोना की किसी पारंपरिक दवा की न तो समीक्षा की है और न ही किसी को प्रमाणित किया है।
गौरतलब है कि हरियाणा सरकार ने कोरोनिल बांटने का यह ऐलान ऐसे समय पर किया है जब एलोपैथी पर रामदेव के बयानों को लेकर बवाल मचा हुआ है।
अपने एक बयान में एलोपैथी को बेकार बताते हुए उन्होंने कहा था कि लाखों लोगों की मौत एलोपैथी की दवा खाने से हुई है और उनकी मौत का कारण एलोपैथी है। एक अन्य बयान में उन्होंने वैक्सीन की दो खुराकें लगने के बावजूद 1,000 डॉक्टरों के मरने का झूठा दावा किया था।
IMA ने इन टिप्पणियों का कड़ा विरोध करते हुए हर्षवर्धन को रामदेव के खिलाफ कदम उठाने का अल्टीमेटम दिया था। उसने चेतावनी दी थी कि अगर स्वास्थ्य मंत्रालय रामदेव के खिलाफ केस नहीं करता है तो वे मामले को कोर्ट ले जाएंगे। इस चेतावनी के बाद हर्षवर्धन ने रामदेव को पत्र लिखकर उनके बयान को आपत्तिजनक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया था और उनसे इसे वापस लेने को कहा था। इसके बाद रामदेव ने अपने बयान वापस ले लिया था।