डॉ. प्रताप नारायण: एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रमेंद्र कुमार एवं एटक की राष्ट्रीय महासचिव कामरेड अमरजीत कौर के निर्देशानुसार 26 मई 2021 को एटक यूनियन के द्वारा पूरे देश में काला फीता लगाकर नारेबाजी करते हुए काला दिवस मनाया जाएगा । उपरोक्त बातें एटक एसईसीएल के महासचिव कामरेड हरिद्वार सिंह ने जानकारी देते हुए कहा कि 26 मई 2014 को एनडीए की मोदी सरकार ने शपथ लिया था और उसी दिन से देश की जनता के लिए काला दिवस शुरू हो गया था। देश के सभी वर्ग किसान, मजदूर, नौजवान, छात्र, महिलाए आदि आज बेहाल है। मजदूरों के 44 श्रम कानूनों को खत्म कर सरकार ने 4 लेबर कोड पारित कर दिया है, मजदूरों के अधिकार खत्म किए जा रहे हैं, देश के सरकारी उपक्रमों को पूंजीपतियों के हाथों बेचा जा रहा है। कर्मचारियों को 35 वर्ष की सेवा या 50 वर्ष की आयु के बाद जबरन रिटायर करने की योजना सरकार ला रही है, रात्रि पाली में महिलाओं को ड्यूटी करने का कानून पास कर दिया है, कोल इंडिया को कई कंपनियों में बांटने की योजना चल रही है, 11वे वेतन समझौता के लिए जेबीसीसीआई-XI का गठन करने के लिए सरकार ने पत्र तो जारी कर दिया लेकिन अभी तक कमेटी का गठन नहीं हुआ है, ठेका मजदूरों का शोषण किसी से छुपा नहीं है, आज भी ठेका मजदूरों को कोल इंडिया की हाई पावर कमेटी द्वारा निर्धारित बढ़ा हुआ वेतन नहीं मिल रहा है, सीएमपीएफ को ईपीएफ में विलय करने की योजना है, किसानों को ज़मीन अधिग्रहण के बदले रोजगार नहीं देने की योजना आदि ऐसी मजदूर व उद्योग विरोधी नीतियां वर्तमान की केंद्र सरकार बना रही है। भारत सरकार कोविड-19 की आड़ में देश के मजदूर वर्ग पर लगातार प्रहार कर रहा है। देश की अर्थव्यवस्था आज सबसे नीचे चली गई है। किसान तीनों कृषि कानून के खिलाफ सड़कों पर हैं, देश के सभी सार्वजनिक उपक्रम का निजीकरण किया जा रहा हैं, रोजगार खत्म हो गए हैं, महंगाई ने सारी सीमाओं को पार कर दिया है पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर के पार हो गया है, खाने का तेल 170 से 200 प्रति लीटर पहुंच गया है, दाल 100 रुपए के ऊपर है, आदि ।
कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा कि यह सरकार मजदूरों की नहीं बल्कि पूंजीपतियों की सरकार है, यह सरकार ने स्वयं ही सिद्ध कर दिया है। कोविड-19 महामारी के इस भयावह समय में भी कोल इंडिया के कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर पूरी तत्परता से कोयला निकाल रहें हैं, ताकि देश अंधेरे में ना जाए। आज देश के बड़े बड़े उपकरण, अस्पतालों की बड़ी बड़ी मशीनें सब बिजली से ही चल रही हैं अगर कोयला मजदूर कोयला नहीं निकालेगा तो देश में विद्युत आपूर्ति ठप हो जायेगी। कोरोना काल में भी कोल इंडिया में कोयला उत्पादन बंद नही रहा। बिना किसी अतिरिक्त लाभ के कोयला कर्मचारी तन मन से कार्य कर रहे हैं। संगठन के मांग करने के बाद भी कोयला मजदूरों को कोई अतिरिक्त लाभ नहीं दिया गया। अभी संगठन ने मांग किया है की कोविड-19 से मृत्यु होने पर कोयला मजदूर एवं ठेका मजदूर को दिल्ली सरकार का अनुकरण करते हुए एक करोड़ रुपए एक्सग्रेसिया/अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाए। इन्ही सब बातो को लेकर 26 मई को एटक यूनियन के द्वारा पूरे एसईसीएल में काला दिवस मनाया जायेगा। एसईसीएल के सभी क्षेत्रों के एटक यूनियन के नेताओं को इस बावत दिशा निर्देश दिया जा चुका है। कामरेड सिंह ने एटक संगठन के कार्यकर्ताओं, समस्त कोयला मजदूरों से अपील किया है कि 26 मई को काला दिवस मनाने में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले और कार्यक्रम को सफल बनाएं। कामरेड सिंह ने अन्य संगठन के साथियों से भी अपील किया है कि वर्तमान केन्द्र सरकार की मज़दूर विरोधी व उद्योग विरोधी नीतियों का मुकाबला सभी संगठन के द्वारा मिलकर ही किया जा सकता है। इसीलिए हमें आपसी मतभेदों को भुलाकर एकजुट रहना होगा। तभी कोल इण्डिया को बचाया जा सकेगा।