IRN24,राधे यादव भैयाथान
सूरजपुर।
महिला एवं बाल विकास विभाग में एक चौंकाने वाला मामला उजागर हुआ है। एक महिला सहायिका को वर्ष 2015 से लेकर 2024 तक विभागीय अधिकारियों द्वारा लगातार आश्वासन दिए जाते रहे कि उसका नाम स्थायी सूची में जल्द शामिल हो जाएगा। लेकिन इतने वर्षों बाद भी उसका सपना अधूरा ही रह गया।महिला का कहना है कि हर साल परियोजना अधिकारी नए-नए वादे करते रहे —> “कभी कहा कि फाइल ऊपर भेज दी है, कभी कहा कि जल्द आदेश आ जाएगा। मैंने भरोसा किया, मेहनत करती रही, लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ।”सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वर्ष 2016-17 में उसके खाते में भुगतान भी आया, जिससे उसे लगा कि उसका नाम विभागीय रिकॉर्ड में शामिल हो गया है। लेकिन बाद में पता चला कि यह सिर्फ दिखावे के लिए था — उसके नाम पर किसी प्रकार की स्थायी नियुक्ति या लाभ दर्ज नहीं किया गया।महिला ने आंसू भरी आंखों से बताया —> “मैंने अपनी जिंदगी के नौ साल इस उम्मीद में लगा दिए कि एक दिन मेरा नाम जुड़ जाएगा। घर में सबको भरोसा दिलाया कि सरकार मेरे साथ है, पर आज समझ आ रहा है कि मैं सिर्फ झूठे भरोसों में जी रही थी।”गांव की अन्य महिलाएं भी इस घटना से गुस्से में हैं और सवाल उठा रही हैं कि अगर एक सहायिका को ही विभाग ऐसे बरगलाता रहा, तो गरीब और सामान्य महिला का हक कौन दिलाएगा?इस घटना ने महिला बाल विकास विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पीड़िता अब न्याय की उम्मीद में दर-दर भटक रही है।