IRN24 राधे यादव ✍🏻
सूरजपुर, जिले के कई ग्राम पंचायत सचिव इन दिनों भारी दबाव में हैं। सचिवों ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि मुख्यमंत्री के आगमन पर जनपद सीईओ के निर्देश पर प्रत्येक पंचायत से लगभग पाँच–पाँच गाड़ियाँ मंगाई गई थीं। उस समय सचिवों ने वाहन मालिकों से गाड़ियाँ बुक कर कार्यक्रम में सहयोग दिया।
लेकिन अब गाड़ी मालिक लगातार सचिवों से किराए का भुगतान मांग रहे हैं।
सचिवों का कहना है कि पंचायत फंड से इस तरह का भुगतान करना संभव नहीं है। उनका साफ़ कहना है कि यह पूरा मामला जनपद सीईओ के निर्देश पर हुआ था, इसलिए भुगतान की जिम्मेदारी भी उन्हीं की बनती है।
एक सचिव ने पत्रकारों से चर्चा में कहा – “हमने तो केवल आदेश का पालन किया। गाड़ी मालिक रोज़ाना फोन कर रहे हैं और कह रहे हैं कि जब सीईओ ने गाड़ियाँ मंगवाई थीं तो पैसा भी वही दिलवाएँ। लेकिन आज तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है।”
उठते सवाल
पत्रकारों से बातचीत में सचिवों ने जनपद सीईओ की भूमिका पर कई सवाल खड़े किए हैं –
1.जब गाड़ियों की बुकिंग का आदेश जनपद सीईओ ने दिया था, तो भुगतान की व्यवस्था पहले क्यों नहीं की गई
2.अगर सचिवों को भुगतान करना ही था, तो उसके लिए कौन-सा बजट मद तय किया गया था?
3.क्या बिना वित्तीय स्वीकृति के सचिवों से गाड़ियाँ मंगाना नियमों का उल्लंघन नहीं है?
4.आखिर भुगतान में देरी क्यों की जा रही है, जबकि वाहन मालिकों का पैसा बकाया है?
सचिवों ने फिलहाल प्रशासन से कोई औपचारिक अपील नहीं की है, लेकिन पत्रकारों से चर्चा के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि अब गाड़ी मालिकों और सचिवों दोनों की निगाहें जनपद सीईओ की ओर टिकी हैं।