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बसदेई चौकी की कार्रवाई पर उठे सवाल – जुए और धान चोरी के मामलों में ग्रामीणों में आक्रोश नाबालिग से मारपीट और ऋण पटाने जा रहे ग्रामीणों को पकड़ने पर भेदभाव का आरोप, निष्पक्ष जांच की उठी मांग

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इंडियन रिपब्लिक न्यूज़ डेस्क

ग्राम पंचायत सिरसी में हाल ही में बसदेई पुलिस चौकी द्वारा की गई दो कार्रवाइयों को लेकर ग्रामीणों में भारी असंतोष देखने को मिल रहा है। एक तरफ ताश खेलने के मामले में कार्रवाई हुई, तो दूसरी तरफ धान चोरी के मामले में स्थानीय युवक को छोड़ दिए जाने पर पुलिस की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

जुए के संदेह में ऋण पटाने जा रहे ग्रामीण भी उठाए गए

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बसदेई पुलिस को ताश खेलने की सूचना मिलने के बाद गांव में दबिश दी गई। जहां कुछ लोग ताश खेलते पाए गए, वहीं कुछ लोग जो स्वयं सहायता समूह (SHG) से ऋण पटाने के लिए जा रहे थे और रास्ते में एक दुकान पर रुके थे, उन्हें भी पुलिस ने पकड़कर चौकी ले जाया।

ग्रामीणों का कहना है कि इन लोगों का जुए से कोई संबंध नहीं था, फिर भी उन्हें जबरन उठाया गया। इस कार्रवाई को लेकर कई ग्रामीणों ने नाराजगी जताई है और कहा है कि पुलिस ने बिना उचित जांच के निर्दोषों को परेशान किया।

ग्रामीणों का गंभीर आरोप:

जब्त की गई राशि में गड़बड़ी पकड़े गए लोगों का कहना है कि जुआ फाड़ में लगभग 20 से 30 हजार रुपये थे, जो पुलिस द्वारा बरामद किए गए। लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में केवल ₹2800 ही जब्त दिखाया गया है। इस अंतर को लेकर ग्रामीणों ने चौकी पर वित्तीय पारदर्शिता में गंभीर अनियमितता का आरोप लगाया है।

नाबालिग के साथ मारपीट, लेकिन चौकी नहीं ले गई पुलिस

एक नाबालिग लड़के को भी पकड़ लिया, जो उस समय अपने घर के आसपास मौजूद था। ग्रामीणों के अनुसार, पुलिस ने उससे मारपीट की और बाद में बिना चौकी ले जाए वहीं छोड़ दिया। यह घटना ग्रामीणों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है और पुलिस पर कार्रवाई की मांग उठ रही है।

धान चोरी के मामले में मुख्य आरोपी को छोड़ना बना विवाद का कारण

गांव में कुछ दिन पहले हुई धान चोरी की शिकायत पर चार लोगों के नाम सामने आए थे, जिनमें रूपेंद्र कुशवाहा का नाम प्रमुख रूप से दर्ज था। ग्रामीणों के अनुसार, उन्हें चोरी करते देखा गया था और गांववालों ने उन्हें पकड़कर पुलिस को सौंपा।

इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें रात में ही क्यों छोड़ दिया गया, जबकि अन्य तीन आरोपियों को अगले दिन गिरफ्तार किया गया। अभी एक आरोपी अभी भी फरार है उमेश सिंह ग्रामीणों का कहना है कि यदि चारों आरोपी हैं, तो सभी पर समान कार्रवाई होनी चाहिए थी।

स्थानीय लोगों का आरोप है

“ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि पुलिस मामले को छिपाने की कोशिश कर रही है, इसलिए उन्होंने चौकी परिसर के सीसीटीवी फुटेज की जांच की मांग की है, जिससे यह साबित हो सके कि आरोपी वाकई में चौकी गया था या नहीं।”

ग्रामीणों की मांग – निष्पक्ष और न्यायसंगत जांच हो

इन घटनाओं के बाद गांव में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर लोगों में आक्रोश है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों को कानून के अनुसार दंड मिले, चाहे वह कोई भी हो।

पत्रकारिता पर भी बनी दबाव की स्थिति

मामले की रिपोर्टिंग कर रही इंडियन रिपब्लिक न्यूज़ की टीम को भी कुछ स्थानीय लोगों द्वारा विरोध का सामना करना पड़ा। कुछ ने कहा कि “गांव की बात बाहर नहीं जानी चाहिए।” लेकिन टीम ने स्पष्ट किया कि जब अन्याय हो रहा हो, तो उसे उजागर करना पत्रकार का कर्तव्य होता है।


निष्कर्ष:
बसदेई पुलिस की कार्यवाही ने कई स्तर पर सवाल खड़े किए हैं — नाबालिग से मारपीट, निर्दोषों की गिरफ्तारी और धान चोरी मामले में एक आरोपी को छोड़ना। ग्रामीणों की मांग है कि निष्पक्ष जांच हो और पुलिस की जवाबदेही तय की जाए।

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