68 लाख का “घोटालेबाज” मनरेगा सोनहत के ऑपरेटर पर कब होगी वसूली और बर्खास्तगी की कार्रवाई,,दो मामले हुए थे उजागर,,एक पर अफसरों ने की मांडवाली तो दूसरे में हुआ था बर्खास्त
(IRN.24…राधे यादव भैयाथान)
कोरिया जिले के सोनहत मनरेगा का बहुचर्चित फर्जी एफटीओ मामला । जिसको अंजाम देने वाला । संतोष साहू जिसने अपने व्यक्तिगत खातों सहित अपने घर के सदस्यों और कई करीबियों के खातों में कुल राशि करीब 80 लाख के आस पास फर्जी तरीके से अलग अलग कार्यों और मटेरियल सप्लाई के नाम पर डाला था । और जिस मामले पर जांच भी हुई थी। परंतु उसी समय मनेरगा में पदस्थ संतोष साहू और खड़गवां मनरेगा में कार्यरत महिला कर्मचारी के द्वारा । जिले में पदस्थ एक कर्मचारी को फंसाने की साजिश के तहत उस कर्मचारी का कूट रचित तरीके से दोनों ने मनरेगा का जॉब कार्ड बनाया और जिस तरीके से खुद के और अपने करीबियों के खाते में फर्जी तौर पर मनरेगा का पैसा डालता था। उसी तरीके से संतोष साहू ने उक्त कर्मचारी के खाते में एक हजार के आसपास की राशि चुपचाप डाल दिया और संतोष साहू ने समझा की उसने उक्त कर्मचारी को जाल में फंसा दिया। परंतु हुआ उसके उलट संतोष साहू अपने ही जाल में फंस गया । और फिर विभागीय जांच में दोषी पाया गया और बर्खास्तगी का शिकार हुआ । परंतु उन दिनों संतोष साहू तत्कालीन अधिकारियों के लिए शायद सुनहरा अवसर साबित हुआ । क्यों की संतोष साहू दोनों मामलों में घिर गया था । और कहावत चरितार्थ हुई की जैसे एक हत्या हो या दो, फांसी तो एक ही बार होगी ,,। ऐसे ही हालत निर्मित हो गए थे ।और शायद तत्कालीन अफसरों ने इसी का फायदा उठाया और संतोष साहू को जॉबकार्ड मामले में दोषी करार देते हुए बर्खास्त कर दिया और फर्जी एफ टी ओ मामले में राशि की वसूली ना करते हुए मामले में लीपापोती कर दी गई । परंतु अब जब वर्तमान में संतोष साहू ने उच्च न्यायालय के आदेश पर फिर से मनरेगा सोनहत में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पुनः बहाली ले ली है तो । क्या एक बार फिर से संतोष साहू पर बर्खास्तगी सहित वसुली की कार्रवाई होगी या फिर इस पूरी लीपापोती का ठीकरा तत्कालीन मनेरगा के अफसरों और सीईओ जिला पंचायत पर फूटेगा ।