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विकासखंड ओड़गी में राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के तहत समस्त स्कूलों में नेत्रदान पखवाड़े का किया गया आयोजन

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चश्मा वितरण कर जनजागरूकता अभियान चलाकर लोगों को किया गया जागरूक

सूरजपुर/IRN.24… कलेक्टर रोहित व्यास एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. के. डी. पैकरा के निर्देशन में एवं जिला नोडल/ सहायक नोडल अंधत्व व (खण्ड चिकित्सा अधिकारी) डॉ. बंटी बैरागी व सखन आयाम ( “विकासखंड कार्यक्रम प्रबंधक ) के मार्गदर्शन मेंराष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के तहत भारत शासन के मंशानुरूप नेत्रदान संग्रहण के लिए एवं नेत्रदान के प्रति जन जागरूकता हेतु प्रति वर्ष 25 अगस्त से 8 सितम्बर तक 39वां नेत्रदान पखवाडा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ओड़गी के अंतर्गत विभिन्न स्कूलों में मनाया जा रहा है । राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम के ब्लॉक नोडल नेत्र सहायक अधिकारी ऋतुराज सिन्हा ने बताया कि नेत्र दान पखवाड़ा का मुख्य उद्देश्य लोगों में नेत्र दान के प्रति जागरूकता फैलाना है, जिससे अधिक से अधिक कार्निया संग्रहित हों और कार्नियल जनित अंधत्व से पीड़ित व्यक्ति को कार्नियल प्रत्यारोपण कर रोशनी दी जा सकें। साथ ही कार्नियल बिमारी से बचने के लिये प्रयास, जैसे कि आँख को चोट से बचाना, केमिकल इन्जरी से बचना, बच्चों को नुकीले खिलौना से बचाना, इत्यादि। पूरी विश्व में 1.5 करोड़ व्यक्ति कार्नियल जनित अंधत्व से पीड़ित हैं जिन्हे नेत्र दान से प्राप्त कार्निया से रोशनी दी जा सकती है। जो जागरूकता के अभाव में नहीं मिल रहा है। उन्होंने सभी से अपील की है कि नेत्रदान जागरूकता अभियान के संबंध में विद्यालय के छात्र छात्राओं को बताया गया की नेत्रदान एक महान पुनीत कार्य है जो जन सहयोग से जागरूकता लाकर ही पूरा किया जा सकता है,शासन द्वारा नेत्रदान को घोषणा मुक्त कर दिया गया है,नेत्र दाता को कोई भी घोषणा पत्र नहीं भरना पड़ता है,बताया कि एक व्यक्ति के नेत्रदान से दो अन्य व्यक्तियों की आंखों की रोशनी वापिस लाई जा सकती है जिसकी आंखो की दृष्टि पटल खराब हो चुकी है उसमें कार्निया प्रत्यारोपण से रोशनी आ जाती है नेत्रदान मृत्यु के 6 घंटे बाद तक किया जा सकता है नेत्रदान निकालने की प्रक्रिया में नेत्र विभाग की टीम द्वारा घर में आकर नेत्रदान की प्रक्रिया बहुत ही आसानी से पूरी कर ली जाती है। इस दौरान स्कूलों में बच्चों का नेत्र परिक्षण किया गया तथा पाए गए दृस्टिदोष बच्चो को चस्मा वितरण किया गया। इस जागरूकता अभियान में शिक्षकों का विशेष योगदान रहा।

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