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बाल विवाह रोकथाम के संबंध में किया गया कार्यशाला का आयोजन

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बाल विवाह रोकना हम सभी की जिम्मेदारीः कलेक्टर श्री व्यास

सूरजपुर/IRN.24… आज जिला पंचायत सूरजपुर के सभागार में जिला प्रशासन एवं यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान एवं कलेक्टर रोहित व्यास के नेतृत्व में बालविवाह रोकथाम के संबंध में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जिला कार्यक्रम अधिकारी रमेश साहू, युनिसेफ के प्रतिनिधि अभिषेक सिंह (सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन के विशेषज्ञ), सीएमएचाओ आर.एस.सिंह, पुलिस विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी, महिला विकास विभाग के कर्मचारी, युनिसेफ के प्र्रतिनिधि सहित जिला प्रशासन के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में कलेक्टर रोहित व्यास ने बाल विवाह को अभिशाप बताते हुए कहा कि हम सभी को इस अभिशाप से मुक्ति पाने के लिए लगातार कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि इस जिले को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए केवल एक विभाग नहीं बल्कि जिला प्रशासन के सभी विभागों को साथ मिलकर समन्वय के साथ काम करना होगा। उन्होेंने कहा कि बाल विवाह से लड़कियों को स्वास्थ्य समस्या के साथ-साथ अन्य कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। लड़कियों की शिक्षा इससे बुरी तरह प्रभावित होती है। उन्होंने महिला सशक्तिकरण की दिशा में बालविवाह को धब्बा बताया। कम उम्र में विवाह, कम उम्र में गर्भधारण न केवल मां के लिए अपितु होने वाले बच्चे के लिए भी हानिकारक वातावरण निर्मित करता है। इससे मां एवं बच्चे को कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न हो सकती है। कम उम्र में लड़को के विवाह से उन पर परिवार की जिम्मेदारी आ जाती है जिसका सही तरीके से निर्वहन वे नहीं कर पाते हैं उन्होंने कहा कि महिलाएं एवं पुरूष जब शारीरिक और मानसिक दोनों रूप में परिपक्व हो जाती हैं तभी उनका विवाह करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बालविवाह घरेलु हिंसा को भी बढ़ावा देती है। अपरिपक्व मानसिकता की स्थिति में पति-पत्नि जीवन के सही निर्णय लेने में असमर्थ होते हैं। ऐसे में पूरे परिवार को विवाद की स्थिति से गुजरना पड़ता है। बालविवाह समस्या के निवारण के लिए कलेक्टर व्यास ने कहा कि इसके लिए जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन के साथ पूरे समाज के लोगों को मिलकर कर कार्य करना होगा। इसके लिए सभी लोगों को इस बालविवाह के नुकसान के प्रति जागरूक करना होगा। उन्होंने इस सामाजिक अभिशाप से मुक्ति के लिए जनपद पंचायत एवं ग्राम पंचायत स्तर के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को विशेष रूप से कार्य करने के लिए कहा है। उन्होंने बताया कि पंचायत की पहुंच गांव-गांव तक होती है जिसके कारण बाल विवाह मुक्त जिला बनाने में पंचायततो की भूमिका अहम हो सकती है। उन्होंने समाज के सभी जाति, वर्ग, धर्म एंव संप्रदाय के लोगों से अपील करते हुए कहा कि आओ सभी मिलकर बालविवाह जैसी प्रथा को जड़ से खत्म करें। कार्यशाला में युनिसेफ के प्रतिनिधि श्री अभिषेक सिंह (सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन के विशेषज्ञ) ने सभी कों संबोधित करते हुए कहा कि किसी लड़की या लड़के की शादी 18 साल से कम उम्र में नहीं होना चाहिए।

बाल विवाह बचपन को नष्ट करने के साथ-साथ बच्चों के सभी अधिकारों को भी खत्म कर देता है। यह लड़कियों और लड़कों दोनों पर दुष्प्रभाव डालता है। परंतु इससे लड़कियों अधिक प्रभावित होती हैं। यह सीधे रूप में उनके परिवार और समुदाय को प्रभावित करता है। बालविवाह और किशोरावस्था में गर्भधारण होने से लड़कियों केा गंभीर स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ता है। मानसिक रूप से सुदृढ़ नहीं होने से परिवार में हिंसा की संभावना बढ़ जाती है। इससे उन बच्चों का शिक्षा और स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित होता है। श्री सिंह ने शिक्षा को बालविवाह रोकने की दिशा में कारगर उपाय बताते हुए बाल विवाह संरक्षण के लिए बने कानूनों को भी सख्ती से लागू करना आवश्यक बताया। साथ ही उन्होंने इसके लिए निरंतर लोगों में जागरूक फैलाना बेहद आवश्यक बताया। किशोरियों के सशक्तिकरण के लिए यह अत्यंत महत्त्वूपर्ण है कि उनका विवाह कानूनी उम्र के बाद हो ।इस कार्यशाला में महिला बाल विकास, स्कूल शिक्षा , पंचायत, स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण विभाग सहित विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ -साथ पुलिस विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को युनिसेफ के प्रतिनिधियों के द्वारा बालविवाह रोकथाम के संबंध में विस्तृत चर्चा के माध्यम से महत्वपूर्ण जानकारी दी गई। साथ ही इस कार्यशाला में उपस्थित सभी लोगों के द्वारा बालविवाह को समाप्त करने की दिशा में अपने सुझाव दिए गए एवं उस पर चर्चा की गई। इसके अलावा इस अवसर पर युनिसेफ एवं जिला प्रशासन द्वारा बालविवाह को रोकने के लेकर की जा रही कार्यवाही के साथ-साथ संभावित परिस्थितियों से कारगर तरीके से निपटने के लिए भी विस्तृत चर्चा की गई।

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