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जनता की कटेगी जेब तभी पूरे होंगे चुनावी वादे, कांग्रेस बीजेपी की घोषणाओं की वजह से कितने हजार करोड़ की पड़ेगी मार छत्तीसगढ़ की जनता को

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सूरजपुर -IRN.24

रायपुर– छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा ने जनता से बड़े-बड़े वादे किए हैं ।इसमें धान की अधिक कीमत, तेंदूपत्ता पर बोनस, महिलाओं को एक निश्चित राशि और रसोई गैस पर सब्सिडी के साथ अन्य घोषणाएं शामिल हैं ।कांग्रेस ने किसानों और महिलाओं व सहायता समूह का कर्ज माफ करने का भी वादा किया है। अर्थशास्त्री और प्रदेश के अर्थव्यवस्था को करीब से समझने वाले नौकरशाह भी मान रहे हैं। कि इस घोषणा पर अमल का सीधा असर प्रदेश सरकार के वित्तीय अनुशासन पर पड़ेगा प्रदेश का राजस्व व्यय बढ़ेगा। इसकी पूर्ति के लिए सरकार को राजस्व आए बढ़ाना पड़ेगा, इसका असर जनता की जेब पर पड़ेगा।*जानिए क्या है कांग्रेस और भाजपा के चुनावी वादे*छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ कांग्रेस और प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा दोनों ही पार्टियों ने जनता से जमकर वादे किए हैं प्रदेश में जिसकी भी सरकार बने घोषणा पत्र पर अमल करने में बजट का बड़ा हिस्सा खर्च होगा दोनों पार्टियों की घोषणा पत्र के आधार पर एनपीजी के अर्थशास्त्रियों और बजट के जानकारों ने बताई*कांग्रेस की प्रमुख घोषणाएं*किसानों का कर्ज माफ, ₹3200 प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी, केजी से पीजी तक शिक्षा मुक्त, भूमिहीन मजदूरों को₹10000 सालाना, महिलाओं को सालाना 15000 रुपए ,महिला समूह का कर्ज माफ ,सभी वर्ग की महिलाओं को रसोई गैस पर ₹500 की सब्सिडी, 200 यूनिट तक बिजली मुक्त देते रहेंगे ,तेंदूपत्ता संग्रह को प्रति मानक बड़ा ₹6000 ,तेंदूपत्ता संग्रह को ₹6000 का सालाना बोनस भी, 17.5 लाख गरीब परिवारों को घर, युवाओं को कर्ज पर सब्सिडी 50 फ़ीसदी ,गरीबों को 10 लाख अरब रुपए तक का मुक्त इलाज ,66000 से अधिक वाहन मालिकों का 726 करोड रुपए माफ

भाजपा की प्रमुख घोषणाएं

शादीशुदा हर महिला को सालाना ₹12000, बीपीएल परिवार की महिलाओं को ₹500 में रसोई गैस ,पीएम आवास योजना के तहत 18 लाख घर ,तेंदू पत्ता की खरीदी 5500 प्रति मानक बोरा में करेंगे, अतिरिक्त संग्रह करने वाले को 4500 रुपए अलग से बतौर बोनस देंगे ,गरीबों को 10 लख रुपए तक की इलाज की सुविधा ,कॉलेज जाने वाले बच्चों को बस की सुविधा ,अयोध्या में बना रहे राम मंदिर का निःशुल्क दर्शन

छत्तीसगढ़ सरकार पर अभी कितना है कर्ज

छत्तीसगढ़ देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है ।जहां की सरकार वित्तीय अनुशासन का पूरा पालन करती है । इसके बावजूद प्रदेश सरकार पर कर्ज का भार लगातार बढ़ रहा है। इसी वर्ष जुलाई में संपन्न हुए विधानसभा के सत्र के दौरान सरकार की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार 30 जून 2023 की स्थिति में सरकार पर 86264 करोड़ का कर्ज है। 5 महीने में 3 से 4 हजार करोड रुपए का कर्ज और बढ़ा है। अनुमान यह है, कि कर्ज की राशि बढ़ाकर अब 90 हजार करोड रुपए तक पहुंच चुकी है ।इस कर्ज के एवज में सरकार हर साल एक बड़ी राशि ब्याज के रूप में भरना पड़ रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में सरकार ने 5819.81 करोड रुपए ब्याज भर रहे है । इसके पहले वाले वित्तीय वर्ष में यह आंकड़ा 6144.24 करोड़ था।

घोषणाओं की वजह से कितना बढ़ेगा छत्तीसगढ़ का बजट

कांग्रेस और भाजपा दोनों पार्टियों की घोषणाओं पर अमल की स्थिति में राज्य के बजट पर सालाना 20 से 30 हजार करोड रुपए का भार बढ़ जाएगा किसानों की कर्ज माफी के लिए लगभग 10 हजार करोड रुपए से ज्यादा की जरूरत पड़ेगी। महिला समूह का कर्ज़ 250 करोड़ के आसपास होगा। 3.55 लाख भूमिहीन कृषि मजदूरों को हर साल 10000 रुपए देने के लिए हर साल 355 करोड रुपए की जरूरत पड़ेगी धान के लिए लगभग 10 हजार करोड़ की जरूरत होगी महिलाओं को हर साल 15000 रुपए बांटने के लिए हर साल 8 से 9 करोड रुपए खर्च का अनुमान है। प्रदेश में 12.94 लाख परिवार तेंदुपत्ता एकत्र करते हैं। तेंदूपत्ता संग्रहण के एवज में उन्हें 517 करोड रुपए बोनस के रूप में 776 करोड रुपए और देना पड़ेगा रसोई गैस पर सब्सिडी पर अन्य योजनाओं पर खर्च इसके अतिरिक्त हैं।

राजस्व बढ़ाने के लिए कहां-कहां टैक्स लगा सकती है राज्य सरकार

छत्तीसगढ़ में ईंधन पेट्रोल,डीजल व अन्य बिजली ,शराब और जमीन के पंजीयन रजिस्ट्री पर उपकार या सेस वसूल रही है सेंट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स ( जीएसटी )लागू होने के बाद प्रदेश सरकार के पास टैक्स लगाने के लिए गुंजाइश लगभग समाप्त हो चुकी है। ऐसे में प्रदेश सरकार अपना राजस्व बढ़ाने के लिए कुछ जगहों पर उपकर लगा सकती है। बजट के जानकारी के अनुसार सरकार गौण खनिज ( रेत ,बंजरी, साधारण मिट्टी, ग्रेनाइट , कंकड़ इमारती पत्थर , जिप्सम और ईट आदि शामिल हैं) पर टैक्स बढ़ सकती है ।बिजली और शराब से भी राजस्व बढ़ाने पर सरकार विचार कर सकती है ।सरकारी जमीनों को बेचकर भी राजस्व जुटाने का प्रयास कर सकती है। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार

चुनावी घोषणाओं पर जानिए क्या कहते हैं अर्थशास्त्री

पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर और अर्थशास्त्री डॉक्टर जेएल भारद्वाज के अनुसार निश्चित रूप से घोषणाओं को अमली जामा पहनाने के लिए सरकार को अतिरिक्त बजट की जरूरत पड़ेगी लेकिन यह भी बात है । कि सरकार की सभी घोषणाओं को एक साथ लागू नहीं की जा सकेगी, क्योंकि उसे जनादेश 5 वर्ष के लिए मिला है। इसके बावजूद लोकसभा चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण घोषणाओं को अगले तीन-चार महीने में लागू करना ही पड़ेगा सरकार जिस भी पार्टी की बने अगर वह अपनी घोषणाओं पर अमल करेगी तो उसकी वित्तीय भार बढ़ेगा ऐसे में सरकार राजस्व की पूर्ति के लिए टैक्स के नए रास्ते खोजेगी इसका असर सीधे तौर पर आम जनता की जेब पर पड़ेगा।

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