नहीं थम रहा अवैध रेत का कोराबार:पुलिस के संरक्षण में निकल रहे रेत से ओवरलोड ट्रक।
अधिकारी नहीं कर रहे हैं कार्रवाई:रेत से भरे ओवरलोड ट्रक व डंपर बन रहे हादसे का कारण।
पप्पू मिश्रा भटगांव
भटगांव/:– क्षेत्र की सड़कों पर रेत के ओवरलोड वाहनों का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। रेत के स्टॉक से बेरोकटोक चलने वाले वाहनों से सड़कों की दिनोंदिन हालत बदतर होती जा रही है। ओवरलोड वाहनों के कारण हर समय हादसे की आशंका बनी हुई है।
खनन ठेकेदारों की ओर से अंबिकापुर- बनारस रोड स्थित गांव भैसमुंडा, केवरा, दवंकरा मे रेत के स्टॉक लगाए गए हैं। जहां से परिवहन नियमों की अनदेखी कर ओवरलोड वाहनों का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा हैं। रेत के ओवरलोड वाहन क्षेत्र की सड़कों पर दिन-रात सरपट दौड़ रहे हैं।
इसके बावजूद परिवहन विभाग द्वारा ओवरलोड वाहनों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही। इसके अतिरिक्त रेत के ओवरलोड वाहनों से उड़ती रेत और धूल ग्रामीणों के लिए बड़ी परेशानी बनी हुई है। वहीं, सड़कों की हालत भी दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही हैं। सड़कों में गड्ढे बन रहे हैं। ये हादसों का बड़ा कारण बन रहे हैं। इससे सरकार को राजस्व की हानि पहुंचाई जा रही है। इसके बावजूद परिवहन विभाग या फिर प्रशासनिक अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
हादसा हुआ तो जिम्मेदार कौन
पुलिस व परिवहन विभाग की ओर से परिवहन नियमों का पालन सुनिश्चित कराने हेतु तमाम अभियान चलाए जाते हैं। इसके तहत कार्रवाई भी की जाती है। रेत स्टॉक से बेरोकटोक दौड़ने वाले अधिकतर वाहन बिना नंबर प्लेट नजर आते हैं। इन पर प्रभावी कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है। वाहनों में रेत ऊपर तक भरी रहती है। ओवरलोडिंग के कारण हादसे का खतरा बना रहता है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि रेत के बिना नंबर प्लेट चल रहे ओवरलोड वाहनों से यदि कोई हादसा हुआ, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।
अफसर नही करते कार्रवाई
ओवरलोड रेत से भरे डंपर शासकीय कार्यालय के सामने से बेखौफ होकर प्रति दिन निकलते है। लेकिन ओवर लोड रेत से भरे इन डंपरों पर प्रशासनिक अफसरों के द्वारा कोई कार्रवाई नही की जाती है। हालांकि कभी कभार दिखावे के लिए रेत से भरे डंपराें पर चैकिंग के नाम पर रोका जाता है। तथा बगैर कार्रवाई के चलता कर दिया जाता है।
तिरपाल से ढंकते हैं रेत से भरी ट्राॅली
बता दें कि यहां से निकलने वाले रेत के ट्राॅलियों को तिरपाल से ढंक दिया जाता है। पूरी रात भैसमुंडा और केवरा घाटो से बडे़ पैमाने पर रेत का अवैध कारोबार चल रहा है। इनमें अधिकांश ट्राॅलिया बिना नंबर के होते हैं।
अफसरों की मिलीभगत से हो रहा है रेत का परिवहन
ओवरलोड रेत व बगैर लायल्टी के रेत का परिवाहन करने वालो पर स्थानीय प्रशासन ही नही खनिज विभाग के जिला स्तरीय अफसर भी मेहरवान है। बताया जा रहा है कि अफसरों की सांठगांठ से ही रेत का अवैध कारोबार धडल्ले से जारी है।
ट्रैक्टर ट्राॅलियों से भी होता है रेत का परिवहन
क्षेत्र में सुबह के समय भी अनेक की संख्या में रेत से भरी ट्रक आती है। इनके पास भी ना तो रायल्टी होती है और ना ही वाहन के वैध कागजात । इसके बाद भी रेत का काला कारोबार बेखौफ चल रहा है ।
ओवरलोड वाहनों की तेज गति बन रही जानलेवा
रेत से भरे ओवरलोड वाहन को जल्द से जल्द तय स्थान पर पहुंचाने के लिए चालक द्वारा अंधगति से वाहन को हाइवे पर दौड़ाया जाता है। अंबिकापुर से बनारस मार्ग होने से अक्सर क्रांसिंग के दौरान हादसे की संभावना बनती है। ओवरलोड वाहन का चालक गति को धीमी नहीं करता है ऐसा में सामने से आ रहा दो पहिया या चार पहिया वाहन उसी चपेट में आ जाता है या तेज गति के कारण खुद चालक अपना नियंत्रण वाहन से खो बैठता है और बड़ा हादसा हो जाता है।
आदर्श आचार संहिता के मध्य नजर जगह-जगह लगे चेक पोस्ट फिर भी बेधड़क दौड़ रहे हैं ओवरलोड गाड़ियां
छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव के मध्य नजर आचार संहिता लगा हुआ है जहां सीमावर्ती क्षेत्र पर आवागमन की साधनों के जांच पड़ताल के लिए चेक पोस्ट बनाया गया है जहां स्पष्ट आदेश जारी हुआ है कि हर एक गाड़ियों की जांच पड़ताल कर ही उसे छोड़ जाए फिर भी ऐसी स्थिति में यदि जिले से ओवरलोड रेता से भरी गाड़ियां बेरोकटोक मेन रोड पर दौड़ती हुई दूसरे राज्य में प्रवेश कर रही है यह सोचना लाजमी है कि किसके संरक्षण में हो रहा है क्या इनके लिए आदर्श आचार संहिता लागू नहीं होता क्या इन गाड़ियों का जांच पड़ताल नहीं करना चाहिए अगर किया जाता है तो फिर यह गाड़ी है दूसरे सीमावर्ती राज्यों में कैसे प्रवेश कर रहे हैं।
जिले का खनिज विभाग बना मूकदर्शक
सूरजपुर जिले में आमतौर पर आप छोटे-मोटे गाड़ियों पर ही खनिज विभाग के द्वारा कार्रवाई करते हुए पाएंगे जहां ग्रामीण क्षेत्र से लोग अपने मूलभूत सुविधाओं के लिए रेत का उठाव ट्रैक्टर ट्रालियों में करते हैं उन्हीं पर खनिज विभाग की नजर पड़ती दिखाई देती है आमतौर पर खनिज विभाग की नजर बड़े गाड़ियों पर कभी नहीं पड़ती जिस पर खनिज विभाग कार्यवाही करती दिखाई दे अगर इस विषय पर किसी के द्वारा सूचना देना संभव होता है तो खनिज विभाग के द्वारा कभी फोन रिसीव नहीं किया जाता जहां खनिज विभाग के द्वारा पत्रकारों से स्पष्ट दूरी बनाकर रखी गई है जहां फोन उठाना उनके लिए संभव ही नहीं।