सूरजपुर (न्यूज डेस्क) रोम का क्रूर शासक था नीरो जिसने अपने मां-बाप तक को मरवा दिया और जब रोम तबाह हो रहा था जल रहा था तब वह बांसुरी बजा रहा था जी हां यह कहावत सूरजपुर जिला अस्पताल में चरितार्थ होती नजर आ रही है क्या उस मासूम बच्चे का कोई कसूर था कि वह एक दुर्घटना के बाद दर्द से कराह रहा था और तुगलकी शासक जिस पर अब तक निर्वाचन आयोग का डंडा पड़ जाना चाहिए था उसकी एक महिला कर्मी उस मासूम के दर्द से बेपरवाह होकर मोबाइल पर व्यस्त रही,,,,,
सूरजपुर के जिला अस्पताल में लापरवाही की तस्वीरें सामने आना कोई नई बात नही है ,,,,आये दिन इन्ही लापरवाहियों के कारण चिकित्सालय परिसर में विरोध प्रदर्शन देखे को मिल ही जाते है ,,, लेकिन तमाम अव्यवस्थाओं के बीच भी दोषियों पर कोई कार्यवाही ना होने से इनके हौसले दिन ब दिन बुंलद होते जा रहे है ,,,,, ऐसा ही एक मामला सूरजपुर से आया है,, जहां देर शाम एक स्थानीय मीडियाकर्मी का पुत्र सड़क दुर्घटना में घायल हो गया था,,,जिसे परिजन लेकर उपचार के लिए जिला चिकित्सालय पहुँचे थे,,, लेकिन इमरजेंसी ड्यूटी में तैनात नर्स मयंका राजवाड़े ने डॉक्टर के निर्देश के बाद भी बच्चे को इंजेक्शन लगाना उचित नही समझा और परिजनों को कई घंटों तक नियम कानून के उलझनों में उलझाए रखा,,,, इस दौरान चेहरे व पैरों पर चोट लगने से बच्चा लम्बे समय तक स्ट्रेचर में पड़ा ही कराहता लेकिन स्टाप नर्स को उस पर दया नही आई ,,,,परिजनों ने केजुअल्टी में ड्यूटी कर रही स्टॉफ नर्स, मयंका राजवाड़े से बार बार घायल बच्चे को डॉक्टर द्वारा लिखे गए इंजेक्शन लगाने कहा, लेकिन इस पर बिना ध्यान दिए वह अपने फोन में व्यस्थ रही , जिसके बाद परिजनों ने सीएमएचओ डॉ0 आर एस सिंह को जानकारी दी, जिसपर सीएमएचओ ने स्टॉफ नर्स से बात कराने की बात करते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया, वहीँ दूसरी ओर थक हार कर परिजन घायल बच्चे को लेकर एमसीएच हॉस्पिटल बिल्डिंग पहुँचे जिसके बाद उसके दर्द का इंजेक्शन लग सका,,जहाँ मामले की जानकारी अन्य मीडियाकर्मियों को लगी तो उन्होंने सीएमएचओ से बात कर स्टॉफ नर्स के विरुद्ध कार्यवाही करने की बात कही,,,अब देखने वाली बात होगी कि ऐसी लापरवाही के सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग दोषी के ऊपर क्या कार्यवाही करता है,,,,,