यूपी। उत्तर प्रदेश (UP) के 26 अरब के पीएफ घोटाले (PF Scam) मामले में सीबीआई (CBI) ने यूपी के 3 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी है. इस घोटाले के तार पूर्ववर्ती सपा सरकार तक भी पहुंच सकते हैं, क्योंकि घोटाले की शुरुआत उसी समय हुई थी. इन अधिकारियों से पहले एक चरण में पूछताछ की गई थी. इस पूछताछ के दौरान इस घोटाले में इन लोगों की भूमिका सामने आई है. लिहाजा सीबीआई ने अब उत्तर प्रदेश प्रशासन को पत्र लिखकर इन अधिकारियों के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी है. ध्यान रहे कि बड़े नौकरशाहों के खिलाफ जांच करने के पहले सीबीआई को धारा 17 ए के तहत संबंधित सरकार से अनुमति लेनी होती है. इन अधिकारियों में आलोक कुमार फर्स्ट, अर्पणा यू आदि शामिल हैं. इस मामले में आरोप है कि तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर यूपीपीसीएल का पैसा डीएचएफएल नामक कंपनी में लगा दिया गया था. यह मामला पहले उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने दर्ज किया था. बाद में मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी. मामले की जांच जारी है और अब नौकरशाहों के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी गई है.
क्या है पीएफ घोटाला? यूपी पॉवर कॉर्पोरेशन के कर्मचारियों की भविष्य निधि (पीएफ) के करीब 2600 करोड़ रुपये को अनियमित तरीके से निजी संस्था डीएचएफएल में निवेश किया गया था. इसे लेकर कई आरोपियों की गिरफ्तारी भी की गई थी. करीब दो साल से अधिक समय से इस मामले में कार्रवाई चल रही है. पहले उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने इसकी जांच की थी, बाद में सीबीआई को मामला सौंप दिया गया था.