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हाथियों ने ढहाया बुजुर्ग दंपति का घर, बाल बाल बची जान, ग्रामीणों में आक्रोश ,वन विभाग पर लग रहा लापरवाही का आरोप

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सूरजपुर/ हाथियों ने जिस जगह को तोड़ा वहीं पर सो रहे थे बुजुर्ग दंपति, मचा था अफरातफरीडर के साए में गुजरा रात, जाग जाग कर किए सवेरा- स्थानीय ग्रामीण हुवे परेशानप्रतापपुर वन विभाग की घोर लापरवाही की वजह से एवं सही मॉनिटरिंग हाथियों पर निगरानी नहीं होने के वजह से बाल बाल बच्चे ग्रामीणसूरजपुर जिले का वन परिक्षेत्र प्रतापपुर अंतर्गत ग्राम पंचायत पार्वतीपुर के कोड़ाकूपारा बघराडांड में स्थित फुलजन लकड़ा के घर को दतैल हाथीयो ने रात में ढहाया किसी तरह से जान बचाकर भाग्य ग्रामीण हाथियों के हमले और उत्पादन से ग्रामीणों में आक्रोशज्ञात हो कि बीते रात लगभग फूलजन लकड़ा पत्नी ललिता दोनों दंपति अपने घर के कमरे में सो रहे थे अचानक लगभग 1:30 बजे के आसपास तीन दतैल हाथीयो ने उत्पाद मचाना शुरू किया और हाथियों के धमक से ग्रामीण दंपति रात सहमे रहे अचानक घर की दीवाल को तोड़कर घर में रखे बर्तनों को पैरों से कुचला जिसको देखकर बुजुर्ग दंपति काफी डर सहम गए थे क्योंकि हाथियों को भगाने का कोई भी साधन नहीं थाहाथियों ने जहां पर घर तोड़ उसी जगह दोनों पति-पत्नी सो रहे थे जिसका फासला महज एक हाथ के आसपास ही बचा था अगर थोड़ा इधर उधर होता तो घर की दीवार बुजुर्गों के ऊपर गिर जाता और फिर बड़ा हादसा हो जाता कहीं ना कहीं वन विभाग की जिम्मेदारी है कि लोगों की सुरक्षा समय पर करे लेकिन विभागीय अधिकारी कर्मचारी जंगल किनारे बसे लोगों की सुरक्षा देने में नाकाम और असफल हो रहे हैं जिसका खामियाजा ग्रामीणों सहित बुजुर्ग दंपतियों को उठाना पड़ रहा क्षेत्र में हाथियों का आतंक इस कदर फैला है कि चारों तरफ भय का माहौल निर्मित हैस्थानिक ग्रामीणों का क्या कहनाहम लोगों का घर जंगल के किनारे पर है जहां आए दिन हाथियों का आतंक की यातनाएं झेल रहा आखिर कब तक इस तरह हम गांव वाले डर के साए में रात गुजारते रहेंगे प्रशासन द्वारा कोई ठोस और व्यापक पहल आख़िर क्यों नहीं किया जा रहा हम लोग रात को सो नहीं पाए जाग जाग कर गुजरना पड़ रहा घर के समीप जंगल है जिसमें हमारा गांव बसा जिसमें हाथियों से बराबर खतरा बना रहता है कब किधर से आ जाए हाथी और हमला कर दे भगवान ही जाने कभी-कभी तो दिन में ही हाथियों का दल गांव में आ जाता है इससे हमारे गांव में अपना तफरी मत जाती है*पीड़ित व्यक्ति सहित स्थानीय ग्रामीणों की मांग*प्रशासन से मांग करते हैं घरों के आसपास लाइट की व्यवस्था करते हुए कंटीला तार लगाया जाए ताकि हम अपने घर में सुरक्षित महसूस कर सकें हर वक्त डर के साए में कितना दिन रहेंगे हमारे पास ना पटाखा ना टॉर्च है जिससे हाथी को डराया और भगाया जा सके हम लोग काफी लाचार और बेबस महसूस कर रहे प्रशासन से मांग कर हैं गंभीरता से हमारी बातों को सुनते हुए सुरक्षा की दृष्टि से देखते हुए हाथी भगाने का सामान मुहैया कराया जाए ताकि आपातकालीन स्थिति में हम अपनी सुरक्षा कर सकें और हाथियों के आतंक से अपनी जान सकेरात्रि कालीन हुए हाथियों का आतंक और आक्रमण की वजह से बुजुर्ग दंपति बाल बाल बच्चे किसी तरह से अपनी जान बचाकर गिरते मारते भाग कर अपनी जान बचाईवही तीनों दसे हाथियों पर वन विभाग किसी प्रकार का निगरानी और काबू कर पाने में असमर्थ है वही वन विभाग के खोखले दावे अब सामने आ रहे हैं। खतरनाक हो चुके तीनों डिटेल हाथी सरकार के द्वारा ट्रेंकुलाइज कर कॉलर आईडी लगानी थी वही वन विभाग इसमें भी लापरवाही बरसते हुए यह बता दिया कि हाथी अभी नार्मल है। क्योंकि वन विभाग और रेस्क्यू टीम इन हाथियों से खुद डरती है और इनको जंगल के अंदर ढूंढ पाने में असमर्थ हो जाते हैं जिसके वजह से इन हाथियों ने न जाने कई दर्जन लोगों की जान ले लिया है उसके बावजूद भी वन विभाग के खोखले दवा लोगों के जान मन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैआज अगर यह दंपति भाग कर अपना जान नहीं बचते तो शायद आज जिनका शव वन विभाग को एवं ग्रामीणों को प्राप्त होता जो हाथियों के मृत व्यक्ति में दो लोग और शामिल हो जाते हैंहम हमला होने के बाद में ग्रामीणों में भारी आक्रोश है वही वन विभाग पर जमकर अपनी भड़ास निकालते हुए हाथियों से सुरक्षा दिलाने की मांग सरकार से कर रहे हैं ग्रामीण किस तरह से भाई और आतंक के बीच में अपना जीवन बसर कर रहे हैं यह सिर्फ गरीब जनता ग्रामीण जानती है

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