छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने परसा कोल ब्लॉक में खनन को मंजूरी दे दी है
, इसके साथ ही हसदेव अरण्य के आदिवासियों के अपने गांव और जंगलों और देव स्थानों को बचाने के लिए संघर्ष बढ़ गया है। सरगुजा की परसा खदान से प्रभावित होने वाले हरिहरपुर गांव में बीते 56 दिनों से आदिवासियों का धरना जारी है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ समाज सेवी इस मामले में बड़े आंदोलन की तैयारी में हैं।वे इसे राष्ट्रीय मुद्दा बना कर सरकार को घेरने की तैयारी में हैं। इधर आदिवासी कभी सरकार से गुहार लगाते है ,तो कभी भगवान से की किसी तरह उनका गांव,जंगल सलामत रहे।ग्रामीणों का विरोध जारी
सरगुजा के परसा कोयला खदान से प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि, छत्तीसगढ़ सरकार ने कोयला खनन परियोजना को फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव के आधार पर आगे बढ़ाया है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कभी भी किसी खनन परियोजना को स्वीकृत नहीं किया है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने 6 अप्रैल को परसा कोल ब्लॉक में खनन परियोजना के लिए वन स्वीकृति जारी की थी। परसा खदान राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित की गई है। सरकार की तरफ से खनन को हरी झंडी दिए जाने के बाद भी आदिवासियों का संघर्ष अब भी जारी है। खदान से प्रभावित गांव साल्ही, हरिहरपुर और फतेहपुर के ग्रामीण विरोध जारी रखे हुए हैं।