मोहिबुल हसन / दतिमा मोड़। कोरोना पीड़ित होने की बात सुनते ही जब अपने भी साथ छोड़ देते हैं तब भी एंबुलेंस कर्मी पीछे नहीं हटते हैं बल्कि बिना डरे, बिना थके वो अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाकर असली कोरोना योद्धा बनकर उभरे हैं। आमतौर पर तो लोगों की यही धारणा है कि वह अपनी ड्यूटी कर रहे हैं, लेकिन कोरोना जैसी भयावह बीमारी में वह कोई न कोई बहाना कर छुट्टी भी ले सकते हैं पर ऐसा नहीं करते। चाहे 108 हो या फिर 102 अथवा कोरोना संक्रमितों के लिए बनाई गई विशेष एंबुलेंस किसी भी कर्मचारी ने अपने कर्तव्यों से मुहं नहीं मोड़ा। इसी का परिणाम रहा कि लगभग सूरजपुर जिले में एक हजार से अधिक कोरोना पीड़ितों को विभिन्न क्षेत्रों से लाकर कोविड हॉस्पिटल में पहुंचाकर उनके प्राणों की रक्षा की। इसके अलावा इस संकटकाल में 500 से अधिक गंभीर रूप से बीमार लोगों को त्वरित सूचना पाकर उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया।
इनकी रही महती भूमिका, हर किसी ने सराहा- एंबुलेंस 108 के जिले के प्रबंधक लोकेश्वर जंघेल के अलावा ईएमटी ओमप्रकाश कुशवाहा, ईएमटी अजय साहू, ईएमटी प्रियंका दुबे, ईएमटी निज़ाम अंसारी ,शिवनाथ,दख़ल समेत अन्य कर्मचारियों ने कोरोना संकटकाल में पीड़ितों के मददगार बने इसलिए उनके कार्यो की लोग सराहना भी कर रहे हैं।
मौत का खौफ नहीं, मुस्कुराते हुए मरीजों को एंबुलेंस से ले जाते हैं अस्पताल- कोरोना को लेकर चल रहे प्रयासो में 108 एम्बुलेंस के स्टॉफ की भी प्रमुख भूमिका है। कोरोना पॉजिटिव मरीजो को अस्पताल छोडऩे, क्वोंरेटाइन के लिए ले जाने का काम निरंतर कर रहे है। इन लोगो ने महीनों से परिवार से भी दूरी बना रखी है। मरीजो व संदिग्ध को ले जाने का काम 108 एम्बुलेंस ही कर रही है।
लगातार कर रहे हैं ड्यूटी- वही ओड़गी लोकेशन पर तैनात 108 एम्बुलेंस के एमटी प्रियंका दुबे, एमटी निज़ाम अंसारी व वाहन चालक रामरतन देवांगन, फुलेंद्र यादव 12-12 घण्टे लगातार ड्यूटी कर रहे है। प्रियंका दुबे ने बताया कि ओड़गी ब्लॉक बहुत बड़ा है हमें बिहारपुर तक के मरीजों को लेकर जिला मुख्यालय सूरजपुर व रेफर आपातकाल में मेडिकल कॉलेज अम्बिकापुर तक इलाज के लिए मरीजों के लेकर आना होता है यह सफ़र काफी कठिनाई भरा होता है, अगर बात करें दूरी की तो बिहारपुर से सूरजपुर लगभग 100 किलोमीटर व अम्बिकापुर 160 किलोमीटर है। मरीज को उसके लोकेशन से हॉस्पिटल तक पहुँचने में बहुत समय लगता है यदि इस बीच मरीज़ की स्तिथी गम्भीर है तो पूरे देख भाल के साथ एम्बुलेंस में उपलब्ध सेवाएं प्रदान करते हुए हॉस्पिटल तक पहुँचाया जाता है।
प्रियंका दुबे ने बताया कि एक बार बिहारपुर से एक मरीज को लेकर सूरजपुर आरहे थे बीच रास्ते में जंगलों के बीच गाड़ी पंचर हो गयी मोबाइल कवरेज एरिया से बाहर था हमलोगों ने मरीज़ को गाड़ी में चिकित्सा सुविधा देना प्रारंभ कर दिया किसी तरह जिले के प्रबंधक तक यह बात पहुँची तो वे अपने निजी वाहन से आकर मरीज को हॉस्पिटल लेकर गए जिससे उसकी जान बच सकी। हमलोगों के परिवार के लोग परेशान रहते है। उन्हें समझाया है कि लोगो को इलाज के लिए पहुंचाना जरुरी है। रोजाना एम्बुलेंस को सेनेटाइज भी किया जा रहा है। लोगों से अपील है कि आपकी सेवा के लिए हम घर से बाहर है। कृपया आप लोग घर पर ही रहे और प्रशासन की पूरी मदद करे।
24 घंटे सेवा में जिले में एंबुलेंस- कोरोना संकट काल में 108 की 9 व एएलएस की एक एंबुलेंस 24 घंटे जिले के नागरिकों की सेवा में तत्पर रही हैं। सूचना मिलने के चंद मिनटों में एंबुलेंस कर्मी अपनी टीम के साथ पहुंचकर पीड़ितों की मदद में जुटे रहे। ड्यूटी नहीं सेवाभाव के रूप में सभी एंबुलेंस कर्मचारी कार्य पर डटे रहे। कोरोना से भय जरूर मन में आता है, लेकिन कर्तव्य का बोध होते ही डर भी मन से निकल जाता है। इसके बाद पूरी टीम कोरोना के साथ अन्य पीड़ितों की सेवा में लगी रहती है।