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साढ़े 8 साल बाद सामने आया छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित एडसमेटा मुठभेड़ का सच

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रायपुर । छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित एडसमेटा मुठभेड़ का सच सामने आ गया है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में साल 2013 को बीजापुर के एडसमेटा में मुठभेड़ हुई मुठभेड़ की जांच के लिए गठित किये गए न्याययिक जांच आयोग की रिपोर्ट को सदन में पेश किया गया। न्यायिक जाँच आयोग रिपोर्ट के मुताबिक मुठभेड़ फर्जी थी और घटना में जान गंवाने वाले सभी 8 व्यक्ति माओवादी नहीं बल्कि ग्रामीण थे।

लगभग साढ़े 8 साल बीत जाने के बाद यह साफ़ हो पाया है कि बीजापुर के एडसमेटा में हुई मुठभेड़ फर्जी थी। दरअसल 17 मई 2013 की रात को छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले बीजापुर के एडेसमेट्टा गांव में सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में 8 माओवादियों को मार गिराने का दावा किया था। इस कथित मुठभेड़ में मारे जाने वाले ग्रामीणों में 4 बच्चे भी शामिल थे।

छत्तीसगढ़ विधानसभा में पेश की गई जांच रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 17 मई 2013 की रात को एडसमेटा में ग्रामीण अलाव जलाकर स्थानीय त्यौहार “बीज पंडुम ” मना रहे थे। तभी वहां से गुजर रहे सुरक्षाबलों ने जवानों ने आग की रौशनी के इर्द-गिर्द लोगों का जमावड़ा देखकर उन्हें नक्सली समझ लिया, और घबराहट में ग्रामीणों पर फायरिंग शुरू कर दी ,जिससे 8 लोगों की मौत हो गई थी। जांच रिपोर्ट में साफ़ तौर पर लिखा गया है, सुरक्षाबलों की तरफ से ग्रामीणों पर की गई गोलीबारी अपनी आत्मरक्षा के लिए नहीं की गई थी।

जांच आयोग की घटना के संबंध में ऐसे कोई भी तथ्य नहीं मिले हैं, जिससे यह साफ़ पता चलता हो कि ग्रामीणों की तरफ से सुरक्षाबलों पर किसी प्रकार का कोई हमला किया गया हो । न्यायिक जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट में यह माना है कि सुरक्षाबलों की टफ से की गई फायरिंग ग्रामीणों को पहचानने में हुई चूक और घबराहट की वजह से हुई है। साथ ही रिपोर्ट में आयोग ने यह भी माना है कि अगर सुरक्षाबलों के पास पर्याप्त सुरक्षा उपकरण, आधुनिक संचार के माध्यम और सही प्रशिक्षण होता , तो एडेसमेट्टा की घटना को रोका जा सकता था।

बीजेपी का क्रूर और आदिवासी विरोधी चेहरा सामने आ गया है:मरकाम

एड़समेटा मामले में कोंडगांव विधायक और छत्तीसगढ़ कांग्रेस कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि रिपोर्ट सामने आने के बाद एक बार फिर से बीजेपी की तत्कालीन रमन सरकार का क्रूर और आदिवासी विरोधी चेहरा सामने आ गया है। मरकाम ने कहा कि जांच रिपोर्ट ने यह सच सामने ला दिया है कि आदिवासी ग्रामीणों के हुए नरसंहार के लिये तत्कालीन रमन सरकार दोषी थी। मरकाम ने कहा कि भाजपा में अगर जरा भी नैतिकता बची है, तो उनकी प्रभारी पुरंदेश्वरी अपन बस्तर प्रवास के दौरान इस क्रूर और अमानवीय कृत्य के लिये जनता से माफी मांगनी चाहिए ।

मोहन मरकाम ने आगे कहा कि एड़समेटा में 4 नाबालिको समेत 8 लोगों की हत्या की जांच के लिये पीड़ितों को न्याय दिलवाने के लिए 2013 में कांग्रेस तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल की अगुवाई में राजभवन गयी थी। कांग्रेस के इस कदम के बाद ही घटना की सच्चाई को जानने के लिए न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया था।

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