राधे यादव भैयाथान
सूरजपुर/IRN.24…समिति प्रबंधक मनमानी करने पर उतारू है धान खरीदी की शुभारंभ करने पहुंचे एवं जिले के प्रभारी मंत्री दयाल दास बघेल ने सूरजपुर के किसानों को संबोधित करते हुए पूरे प्रदेश को यह संदेश दिया था कि धान बिक्री करने पहुंचे किसानों को समितियों में किसी भी प्रकार का कोई परेशानी ना हो। हमारे सरकार में प्रति बोरा निर्धारित मानक से ज्यादा धान न ली जाए, खरीदी केदो में किसी भी किसान को ₹1 रुपए का खर्चा देना नहीं पड़ेगा, किसी भी रूप में खरीदी प्रभारी व समिति प्रबंधकों की मनमानी बर्दाश्त नहीं की जाएगी लेकिन खाद्य मंत्री ने किसानों के नाम इस संदेश को ठेंगा दिखाते हुए खरीदी केंद्रों में खूब मनमानी की जा रही है। प्रबंधक किसानों को ठगने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
ठीक इसी तरह का मामला सूरजपुर जिले के रामनगर धान खरीदी केंद्रों में धान की मात्रा 40 किलो 700 ग्राम के जगह पर मानक से बढ़कर 41 किलो 200 ग्राम लिए जा रहे हैं।इतना ही नहीं किसानों से ही हमाली का पूरा काम कराया जा रहा है।हद तो तब हो गई जब एक 60 साल का बुजुर्ग किसान व्यक्ति फड़ में धान चढ़ाने गया था तभी उसका पैर फिसल गया और गिर गया मुंह में मामूली चोट आई समिति में प्राथमिक उपचार की सुविधा भी नई थी।
“रामनगर”समिति में पहुंचे तो वहां की स्थिति देख और भी दंग रह गए कई दर्जन किसान धान बेचने पहुंचे थे।समिति प्रबंधक द्वारा धान की बोरियों की सिलाई और फड़ तक पहुंचने का पूरा कार्य कराया जा रहा था । आपको ज्ञात होगी बीजेपी सरकार के द्वारा किसानों को किसी भी प्रकार का कोई परेशानी ना हो इसके लिए सरकारी समितियों को पर्याप्त मजदूरों की व्यवस्था करने निर्देश दिए थे। किसानों को एक रुपए पैसा, अधिक न लेने के बड़े निर्देश दिए गए हैं बीजेपी की डबल इंजन की सरकार ₹12 रूपये प्रति कुंटल की दर से मजदूरी की रकम भी दी जा रही है। समिति प्रबंधकों की माने तो जिले में धान खरीदी की शुरुआत होते ही केंद्र में धान का बंपर आवक होने की वजह से समितियां में खरीदी के लिए जगह नहीं बची ।है धान का उठाव नहीं होने से समिति प्रबंधक की परेशानियां बढ़ गई है। लेकिन वजह चाहे जो भी हो आखिर हमेशा किसानों के साथ ही छलावा क्यों होता है। इसमें किसानों की क्या गलती उठाओ संबंधित मामलों को बहाना बनाकर प्रबंधक किसानों को शोषण क्यों कर रहे हैं नियमों की बात करें तो समितियों में पेय जल, शौचालय, प्राथमिक उपचार कीट कई जगहों पर उपलब्धि नहीं है। कब तक समितियों में किसान ठगे जाते रहेंगे या फिर किसानों से धान की मात्रा अधिक लेने का मामला आता रहेगा किसानों से रुपए लिए जाने की वर्षों से चली आ रही प्रथा को जिला प्रशासन के द्वारा इन भ्रष्ट प्रबंधकों के ऊपर कब तक करवाही होता है यह तो देखने वाली बात होगी।