*करीब 12 साल से अपना मूल पदस्थापना छोड़कर
*संलग्नीकरण में जिला पंचायत में काट रहे मजे
*शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी जिला पंचायत में संलग्न अपने कर्मचारियों को लेकर बेपरवाह है
सूरजपुर/IRN.24… सूरजपुर जिले का जिला पंचायत भी दोहरी नीति का एक और उदाहरण जिला पंचायत में सामने आया है, जिसमें करीब आठ माह से अधिक समयावधि गुजरने के बाद भी संलग्नीकरण समाप्त होने का आदेश जिन कर्मचारियों को जारी हुआ है उन्हें वापस उनके मूल कार्यालयों में वापस भेजा नहीं गया है। वहीं दूसरी तरफ इस मामले में जानकारी सार्वजनिक होने के बाद भी आमजनों के बीच जन चर्चा में उक्त विषय पर सीधे तौर पर जिला पंचायत सीईओ सूरजपुर पर कार्यालय संचालन में उदाशिनता बरतनें व काम-काज पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। इसके अलावा प्रदेश में बदली सरकार के द्वारा संलग्नीकरण समाप्त कर दी थी फिर भी कर्मचारी अपने मूल पद पर नहीं पहुंच पाए, जिसमें से सूरजपुर जिला पंचायत में संलग्नीकरण के तीन कर्मचारी अभी भी बने हुए, जहां संलग्न कर्मचारी अपने मूल विभाग में वापस नही जाना चाहते वहीं उन्हे जिला पंचायत कार्यालय से भी सह प्राप्त हो रहा है अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त हो रहा है जिसकी वजह से संलग्नीकरण समाप्ति आदेश को भी धता बता रहे हैं और अपनी मनमानी कर रहे हैंआपको बताते चलें की जिले के जिला पंचायत कार्यालय में शिक्षा विभाग के तीन स्कूलों से तीन लिपिक, तो वहीं जनपद पंचायत प्रतापपुर से उप अभियंता विगत कई वर्षों से संलग्न हैं और वह जिला पंचायत में ही कार्य कर रहे हैं वहीं फरवरी माह में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा ही उनका संलग्नीकरण समाप्त कर दिया गया है लेकिन आज दिनांक तक तीनो के तीनों जिला पंचायत में ही जमे हुए हैं और वहीं कार्य कर रहे हैं पूर्व पदस्थ मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सूरजपुर द्वारा चारों को उनके मूल पदस्थ संस्था में वापसी के लिए आदेशित किया गया था लेकिन फरवरी माह में आदेश जारी करने उपरांत जब तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ का तबादला हो गया और नए जिला पंचायत सीईओ ने कार्यभार ग्रहण कर लिया उन्होंने पूर्व जिला पंचायत सीईओ के जारी आदेश अनुसार चारों संलग्न कर्मचारियों जिन्हे उनके मूल पदस्थ कार्यालय संस्था के लिए कार्यभार मुक्त करने आदेशित किया गया था को कार्यभार मुक्त नहीं किया गया और वह आज भी जिला पंचायत में ही जमे हुए हैं। सूत्रों का कहना है की चारों जुगाड से 12 सालों से एक ही जगह संलग्न होकर काम कर रहे हैं जबकि संलग्नीकरण समाप्ति आदेश इस दौरान कई बार आया बावजूद इसके अभी भी सभी कर्मचारी जिला पंचायत में ही काम कर रहे हैं और उन्हे कोई हटा नहीं सकता ये उनका दावा है अपने मूल विभाग में अपनी सेवा न देकर जिला पंचायत का मोह आखिर क्या कारण हैआश्चर्य की बात यह तो यह है की जिला पंचायत में शिक्षा विभाग के लिपिक अपनी सेवा प्रदान कर रहे हैं जबकि शिक्षा विभाग और जिला पंचायत का अब शिक्षा संबंध का पुराना नाता ही समाप्त हो गया और शिक्षा विभाग जो पहले जिला पंचायत की तरफ ज्यादा विस्तृत था अब शिक्षा विभाग तक ही सिमट गया है। वैसे जिला पंचायत सूरजपुर में संलग्न शिक्षा विभाग के लिपिकों की बात की जाए तो यह कहा जा सकता है की ऐसा शायद ही कहीं और प्रदेश में देखने को मिलेगा जहां शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को वर्षों से जिला पंचायत में संलग्न कर रखा गया होगा। सुरजपुर जिला अपने आप में इकलौता जिला होगा जहां एक नहीं दो नहीं तीन तीन स्कूलों के लिपिकों को जिला पंचायत में संलग्न करके रखा गया हैसंलग्नीकरण समाप्ति आदेश का भी नहीं हुआ पालन, अब तक जमे जिला पंचायत में कर्मचारीजिला पंचायत सूरजपुर में संलग्न उक्त सभी कर्मचारियों का संलग्नीकरण समाप्त करने का आदेश फरवरी माह में ही जारी हुआ था वहीं तब से लेकर आज तक उक्त कर्मचारी वहीं जमे हुए हैं उन्हे भारमुक्त नहीं किया गया है। बताया जा रहा है की पूर्व जिला पंचायत सीईओ के द्वारा उन सभी का संलग्नीकरण समाप्त किया गया था और जिसमे से एक की वापसी हो गई थी पर अभी भी तीन जमे हुए है, अब जिला पंचायत के सीईओ अन्य हैं जिनके द्वारा तीनों को भारमुक्त नहीं किया जा रहा। अब जिला पंचायत सीईओ की क्या मजबूरी है या क्या उनकी ऐसी जरूरत है कार्यालय की जो उन्हे संलग्न कर्मचारी पर ही भरोसा है यह तो वही जाने वहीं यदि पूर्व सीईओ ने चारों को वापस मूल कार्यालय भेजने का आदेश जारी किया था तो यह भी कहना गलत नहीं होगा की उनकी आवश्यकता उन्हे महसूस नहीं हो रही थी इसलिए वह उन्हें वापस भेजने का आदेश जारी कर चुके थेशिक्षा विभाग के लिपिकों को लेकर शिक्षा विभाग क्यों है मौन,क्यों नहीं करता विभाग के लिपिकों की वापसी की मांगजिले के तीन स्कूलों के तीन लिपिक वर्षों से जिला पंचायत में संलग्न हैं,तीनों के द्वारा क्या जुगाड लगाया गया है संलग्न रहने के लिए यह तो वही जाने लेकिन तीनों अपने मूल विभाग की जगह अन्य विभाग में संलग्न होकर काम करने में ज्यादा खुश हैं। वैसे इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय क्यों मौन है वह क्यों अपने कर्मचारियों की वापसी की मांग नहीं करता यह बड़ा सवाल है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को अपने विभाग के उन लिपिकों की वापसी की मांग करनी चाहिए जो वर्षों से जिला पंचायत में जुगाड से संलग्न हैंक्या जिला पंचायत में है वेतन के अतिरिक्त अन्य कोई लाभ जिसके कारण नहीं लौट रहे अपने मूल कार्यालय में वहां संलग्न कर्मचारीजिला पंचायत में वर्षों से संलग्न कर्मचारी अपने मूल पदस्थ कार्यालय नहीं जाना चाहते और वह जिला पंचायत में ही पदस्थ रहना चाहते हैं यह देखने सुनने और जारी संलग्नीकरण आदेश की अवहेलना उपरांत समझा जा सकता है। अब सवाल यह उठता है की क्या जिला पंचायत में उन्हे वेतन के अलावा कोई अतिरिक्त लाभ मिल रहा है जिस वजह से वह वापस नहीं जाना चाहते अपने मूल पदस्थ कार्यालय में। अब वजह जो भी हो लेकिन आदेश की अवहेलना जो संलग्निकरण समाप्ति को लेकर जारी आदेश है वह तो होती नजर आ रही है और यह भी कहना गलत नहीं होगा कि जिले में कुछ कर्मचारी अपनी मनमानी कर रहे हैं वह अपने अनुसार कार्यालय का चयन कर काम करना पसंद कर रहे हैं और वह अपना मूल विभाग भी त्याग कर रहे हैं वहीं उनकी इस मनमानी को संरक्षण मिल रहा है। वैसे सवाल यह भी उठ रहा है की क्या ऐसी ही सुविधा मन अनुसार विभाग और कार्यालय चुनने की जिले के अन्य कर्मचारियों को भी मिलेगी या यह सुविधा इन्हीं चार लोगों के लिए है।क्या संलग्न तीन कर्मचारियों को मिला हुआ है राजनीतिक संरक्षण या वह अधिकारियों से जुगाड लगाकर वर्षों से हैं संलग्न जिले के जिला पंचायत कार्यालय में संलग्न तीन कर्मचारी किसका संरक्षण प्राप्त करके मनचाहे कार्यालय में कार्य कर रहे हैं यह एक बड़ा प्रश्न है वहीं सवाल यह भी है की क्या उन्हे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है या फिर उनका जुगाड अधिकारियों से है।वैसे राजनीतिक यदि उन्हे संरक्षण प्राप्त है तो उनका जुगाड काफी तगड़ा है क्योंकि वह दोनो दलों की सरकार में अपने अनुसार अपनी मनचाही जगह पर काम कर रहे हैं और उनका जुगाड कोई बिगाड़ भी नही पा रहा है वहीं यदि वह अधिकारियों से जुगाड बना रहे हैं तब भी उनकी काबिलियत जुगाड मामले में कम नहीं क्योंकि अलग अलग अधिकारियों के कार्यकाल में वह लगातार संलग्न ही चले आ रहे हैं।