विनिवेश पर एक्टिव सरकार:चर्चा में BPCL और BEML में सरकारी हिस्सेदारी बेचने का प्लान; जानिए कंपनियों के ग्राहकों और कर्मचारियों पर कैसा होगा असर?
विनिवेश यानी सरकारी कंपनियों में अपना हिस्सा बेचकर पैसा जुटाने का सरकार का प्लान रफ्तार में है। एक बार फिर बता दें कि आजादी के बाद से सरकारी कंपनियों में हिस्सा बेचने में मोदी सरकार अव्वल है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मोदी सरकार अपने सात साल के कार्यकाल में 131 कंपनियों में हिस्सेदारी बेच चुकी है। इससे सरकार के खजाने में अभी तक करीब 3.51 लाख करोड़ रुपए आए। लेकिन विनिवेश के बाद कंपनियों, उनके कर्मचारियों का क्या होगा और इससे आए पैसे से आपको सीधे तौर पर कैसे फायदा मिलेगा…इन्हीं सब सवालों के जवाब हम देने की कोशिश कर रहे हैं।
पहले ये बात कि आज विनिवेश पर हम चर्चा क्यों कर रहे हैं? तो बता दे कि विनिवेश की चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि आज भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (BEML) के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (EoI) की आखिरी तारीख है। यानी इस कंपनी में हिस्सा खरीदने वाली कंपनियां जो अर्जी देंगी, उनके लिए आज आखिरी दिन है। कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 54.03% है, जिसमें 26% हिस्सेदारी के लिए आवेदन मांगे गए हैं।
BPCL अपना नॉन-कोर एसेट्स बेचेगी
वहीं पेट्रोल-डीजल बेचने वाली कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड को लेकर भी सरकार अहम फैसला लेने वाली है। खबर है कि कंपनी के नॉन-कोर एसेट्स पहले बेचे जाएंगे। नॉन-कोर एसेट्स यानि कंपनी के नाम पर कोई जमीन, किसी दूसरी कंपनी में हिस्सेदारी जैसी चीजें आती हैं और जिनका सीधा ताल्लुक कंपनी के बिजनेस से नहीं होता है। इन एसेट्स को बेचने से BPCL को 12-15 हजार करोड़ रुपए मिल सकते हैं। वैसे सरकार भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) में अपनी 52.98% हिस्सेदारी बेच रही है।
विकास की रफ्तार बढ़ाने के लिए विनिवेश की जरूरत
आर्थिक मामलों के जानकार अर्नब पंड्या ने कहा कि सरकार को देश चलाने के लिए पैसों की जरूरत होती है। ये पैसा सरकार टैक्स के जरिए वसूलती है, लेकिन इतनी रकम से विकास कार्यों का हो पाना संभव नहीं, तो सरकार पैसा जुटाने के लिए सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचती और रकम जुटाती है। इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब किसी घर में खर्च चलाना मुश्किल होता है, तो लोग अपने पुराने निवेश से पैसा निकाल लेते हैं। ऐसा ही सरकार भी करती है।
विनिवेश के लक्ष्य में BPCL अहम पड़ाव
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल बजट में कहा है कि अगले वित्त वर्ष (2021-22) के लिए सरकार विनिवेश के जरिए 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाएगी। इससे पहले सरकार वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान विनिवेश का लक्ष्य 2.10 लाख करोड़ रुपए हासिल करने में नाकाम रही। विनिवेश के लिहाज से नए वित्त वर्ष में BPCL की भूमिका काफी अहम है। सरकार कंपनी में हिस्सेदारी बेचकर 80 हजार करोड़ रुपए जुटाना चाहती है। लेकिन सरकार की इस योजना के चलते BPCL के ग्राहकों और कर्मचारियों पर क्या असर होगा समझने से पहले विनिवेश की जरूरतों को समझते हैं।
BPCL में हिस्सेदारी बेचने पर ग्राहकों का क्या?
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने BPCL के सब्सिडाइज्ड LPG ग्राहकों को इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) को ट्रांसफर करने की योजना बनाई है। हालांकि इसमें करीब 3 से 4 साल का समय लग सकता है। लेकिन इससे BPCL को खरीदने वाली कंपनियों की संभावित अड़चन को दूर किया जा सकेगा। कंपनी के पास लगभग 7.3 करोड़ LPG ग्राहक हैं। BPCL के खरीदारों में वेदांता लिमिटेड सहित 3-4 कंपनियां शामिल हैं। इसमें अन्य कंपनियों का मान सामने नहीं आया है।
प्राइवेट होती कंपनियों के कर्मचारियों पर स्थिति साफ नहीं
2019 के पब्लिक इंटरप्राइजेस सर्वे के मुताबिक भारत में सरकारी कंपनियों की संख्या 348, जिनमें करीब 15 लाख कर्मचारी काम करते हैं। इसमें से 10.4 लाख स्थायी कर्मचारी हैं। एक्सपर्ट्स की माने तो अगले कुछ सालों में सरकारी कंपनियों की संख्या सिमटकर महज दो दर्जन बचेगी। लेकिन इन कंपनियों के विनिवेश से कर्मचारियों की स्थिति क्या होगी इस पर अभी मामला साफ नहीं। उदाहरण के तौर पर BPCL को ही लें तो कंपनी में करीब 20 हजार कर्मचारी हैं। कंपनी ने पिछले साल जुलाई में अपने कर्मचारियों के लिए वॉलेंट्री रिटायरमेंट स्कीम (VRS) का विकल्प भी दिया। अगर BEML की बात करें तो कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 6,200 से ज्यादा है।