मोहिबुल हसन / भैयाथान विकासखण्ड के ग्राम पंचायत धरतीपारा में रोका-छेका कार्यक्रम का आयोजन किया गया। छत्तीसगढ़ में मान्यता है कि इस परंपरा के तहत एक ओर जहां किसानों के फसल को नुकसान होने से बचाया जाता है वही मवेशी भी सुरक्षित रहते हैं और दुर्घटना की आशंका भी कम हो जाती है छत्तीसगढ़ सरकार में मवेशियों को नियंत्रित रखने हेतु पुरानी परंपरा की शुरुआत छत्तीसगढ़ शासन द्वारा की गई है इस परंपरा में अहम भूमिका ग्राम पंचायत के सरपंच, पटेल और और पशुपालकों की रहती है। ग्राम पंचायत धरतीपारा में सरपंच, जनपद सदस्य, वार्ड पंच, कोटवार, पटेल, पशुपालक मालिको व अन्य ग्रामीण जन की उपस्थिति में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि माह जुलाई प्रारंभ से माह अक्टूबर अंत तक कोई भी ग्रामीण पशुओं को खुला नहीं छोड़ेगा अगर पशुपालक अथवा के साथ अथवा ग्राम में पशुओं को खुला छोड़ते हैं तो वह वंशीय पशुओं पर ₹251 वह छोटे जानवर बकरा-बकरी पर ₹51 का जुर्माना प्रति पशु निर्धारित किया गया। वह रोका-छेका समिति का गठन किया गया, भविष्य में औरों का ठेका समिति द्वारा वसूल किए हुए जुर्माने की राशि का उपयोग ग्राम पंचायत धरतीपारा के ग्रामीण जनों के द्वारा सर्वसम्मति से किसी भी सार्वजनिक विकास कार्य के लिए किया जाएगा। उक्त कार्यवाही का वाचन कृषि विभाग के कृषि विस्तार अधिकारी श्री जितेंद्र झा के द्वारा किया गया।