IRN24,बिलासपुर: रेडी टू ईट मामले में छत्तीसगढ़ सरकार को हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बिलासपुर हाईकोर्ट ने रेडी टू ईट फूड को लेकर बनाई छत्तीसगढ़ शासन की नयी व्यवस्था को सही बताया है। जस्टिस आरसीएस सामंत ने महिला स्व सहायता समूहों की तरफ से दायर करीब 287 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद प्रदेश में अब रेडी टू ईट खाद्य सामग्री के उत्पादन का काम ऑटोमैटिक मशीन से कराए जाने का रास्ता साफ हो चुका इै। इससे पूर्व अदालत ने सभी पक्षों की सुनवाई के पश्चात फैसला सुरक्षित रख लिया था।
भूपेश बघेल सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों को बांटे जाने वाले रेडी टू ईट खाद्य सामग्री के वितरण का कार्य केंद्रीयकृत करने का फैसला लिया है। पहले यह काम महिला स्व सहायता समूह के जरिये करवाया जाता था । सरकार के इस फैसले के खिलाफ 5 महिला स्व सहायता समूहों ने कोर्ट मे जनहित याचिका दायर की थी। इसके साथ ही अलग-अलग स्व सहायता समूह की तरफ से कुल 287 याचिकाएं दायर की गई थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने फैसला आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया था।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों में वितरित किये जाने वाली रेडी टू इट फूड को अब स्वचलित मशीन से उत्पादन करने का फैसला लिया है। बीते साल 22 नवंबर को हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। सरकार का मानना है कि इस व्यवस्था से आहार की व्यवस्था और गुणवत्ता में सुधार होगा।भूपेश बघेल सरकार ने कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा था कि प्रदेश में पूरी तरह से रेडी टू ईट योजना में काम कर रही महिला स्व सहायता समूहों को बाहर नहीं किया गया है। महिलाएं इसका निर्माण का काम नहीं करेंगी, लेकिन फूड का परिवहन और वितरण की जिम्मेदारी उनके ही पास ही रहेगी। भोजन बनाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार ने राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम को सौंपी गई है। इससे पोषण आहार की गुणवत्ता को पहले से बेहतर बनाने की भी बात कही है।