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राष्ट्रीय पोषण माह सितम्बर 2024 एवं समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम अंतर्गत कार्यशाला हुआ आयोजित

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सूरजपुर/IRN.24… महिला एवं बाल विकास मंत्रालय नई दिल्ली के द्वारा 1 से 30 सितम्बर 2024 तक राष्ट्रीय पोषण माह के आयोजन किये जाने के संबंध में निर्देशित किया गया है। उक्त आदेश के तारतम्य में कलेक्टर श्री रोहित व्यास के निर्देशन में आज कलेक्ट्रेट सभा कक्ष सूरजपुर में आयोजित किया गया। उपरोक्त संबंध में अन्य विभागों से समन्वय करते हुए आंगनबाड़ी केन्द्रों में जारी दिशा-निर्देशों अनुसार गतिविधियों का आयोजन कर ऑनलाईन प्रविष्टि किया जाना है। उक्त संबंध में आज जिले के सभी परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों की बैठक लेकर उन्हें अन्य विभागों से समन्वय कर आवश्यक कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। साथ ही अति गंभीर कुपोषित बच्चों का समुदाय आधारित पोषण प्रबंधन विषय पर युनिसेफ के जिला समन्वयक श्री संयम शर्मा के द्वारा परियोजना अधिकारियों एवं पर्यवेक्षकों को विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया जिससे वे इस संबंध में बेहतर कार्य कर सकें। ’’राष्ट्रीय पोषण माह 2024’’- पोषण अभियान अंतर्गत 01 सितम्बर 2024 से 30 सितम्बर 2024 तक ’’राष्ट्रीय पोषण माह 2024’’ के आयोजन के संबंध में निर्देश प्राप्त हैं। जनसमुदाय तक स्वास्थ्य पोषण एवं स्वच्छता संबंधित व्यापक प्रचार एवं प्रभावी व्यवहार परिवर्तन हेतु जन आंदोलन के रूप में प्रतिवर्ष ’’राष्ट्रीय पोषण माह’’ का आयोजन किया जा रहा है । भारत सरकार महिला एवं बाल विकास द्वारा इस वर्ष भी 01 सितम्बर 2024 से 30 सितम्बर 2024 तक ’’राष्ट्रीय पोषण माह 2024’’ का आयोजन किया जाना है । पोषण माह 2024 का मुख्य उद्देश्य पोषण पंचायतों को सक्रिय करना है इस हेतु ग्राम स्तर पर सरपंच एवं ग्राम पंचायतों को गतिविधियों का आधार बनाते हुए जन आंदोलन की जनभागीदारी के रूप में परिवर्तित करना है ।

सी-सेम योजना संचालन का उद्देश्य-  जन्म से 5 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में उचित पोषण एवं स्वास्थ्य देखभाल बच्चे के श्रेष्ठ बुद्धि तथा विकास हेतु अनिवार्य है।  जीवनकाल के प्रथम 1000 दिवस के दौरान यह और भी महत्वपूर्ण होता है, क्योकि बच्चों में होने वाली वृद्धि एवं विकास की दर इस काल में सबसे तेज होती है। इस दौरान बच्चों में पोषण की कमी तथा संक्रमण के कारण उनका शारीरिक वृद्धि एवं विकास बाधित होने व कुपोषण के शिकार होने की सम्भावना अधिक होती है। सामान्य पोषण स्तर वाले बच्चों की तुलना में अति गंभीर कुपोषित बच्चों के बीमारियों के कारण मृत्यु होने की संभावना 9 से 10 गुना होती है। अतः बच्चों में कुपोषण रोकने के लिए प्रदेश में एकीकृत प्रयास की आवश्यकता है। चिन्हित अति गंभीर कुपोषित (सैम) बच्चों को उनकी आवश्यकता अनुसार संस्थागत पोषण पुनर्वास केंद्र एवं सामुदायिक स्तर पर पोषण प्रबंधन एवं प्रतिबंधात्मक उपाय किये जाये, जिससे उन्हें विशेष पोषण एवं स्वास्थ्य देखभाल कर सामान्य पोषण की स्थिति में लाने का प्रयास किया जा सके। 2025 के लिए छह वैश्विक पोषण लक्ष्यों में से एक सैम बच्चों के प्रतिशत को 5 से कम करने और बनाए रखना नीति आयोग ने भी अपने राष्ट्रीय पोषण रणनीति में माना है. एक लंबी अवधि के परिपेक्ष्य में, राष्ट्रीय पोषण रणनीति और पोषण अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) का उद्देश्य 2030 तक कुपोषण के सभी रूपों को कम करना है। वैश्विक साक्ष्यों के आधार पर 85 से 90 प्रतिशत बिना किसी चिकित्सा जटिलता वाले अति गंभीर कुपोषित बच्चों का समुदाय स्तर पर प्रबंधन किया जा सकता है। सैम के साथ  चिकित्सा जटिलताओं वाले 10-15 प्रतिशत बच्चों को अस्पताल- आधारित उपचार की आवश्यकता होती है, जिसके लिए राज्य में 100 पोषण पुनर्वास केंद्र हैं। छत्तीसगढ़ एन एफ एच एस 5 के अनुसार 18.9 प्रतिशत पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चे अति गम्भीर कुपोषण के शिकार है। बच्चे दुबलेपन (वेसिटंग) के शिकार हैं एवं 7.5 पॉँच वर्ष से कम उम्र के दुबले लैंसेट पत्रिका 27 जुलाई 2020 के अनुसार अनुमानित है की कोविड-19 के कारण मध्यम एवं अति गंभीर कुपोषित बच्चों में बार बार बीमार होने एवं संक्रमण लगने का खतरा बना रहता है, जिससे मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। विश्वव्यापी साक्ष्यों के आधार पर समुदाय स्तर पर बिना चिकित्सीय जटिलता वाले अति गंभीर कुपोषित बच्चों को समुदाय पर पौष्टिक आहार, एंटीबायोटिक, दवाइयां एवं निगरानी द्वारा सफलतापूर्वक सामान्य पोषण पर लाया जा सकता है।     उक्त बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी, समस्त बाल विकास परियोजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षक उपस्थित रहे।

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