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रामपुर में जल जीवन मिशन योजना का बुरा हाल, बनने के साथ ही टूटने लगा चबूतरा, घटिया निर्माण छिपाने पोत रहे सीमेंट का घोल…

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सूरजपुर(राहुल जायसवाल-IRN.24)

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत घर-घर में पानी आपूर्ति के लिए बनाए जा रहे चबूतरा निर्माण में गुणवत्ता से खेल किया जा रहा है। ग्रामीण इलाके में मानक को ताक पर रखकर निर्माण किया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी है। दरअसल, सूरजपुर जिला मुख्यालय के समीप ग्राम रामपुर में जल जीवन मिशन योजना के तहत पानी टंकी का निर्माण किया जा रहा है। इसके माध्यम से लोगों के घरों तक पानी आपूर्ति हो सके, इसलिए घर-घर में नल के साथ चबूतरा बनाया जा रहा है। लेकिन विभागीय अधिकारियों द्वारा निर्माण कार्यों को गंभीरता से नहीं लेने की वजह से जमीनी स्तर पर घटिया निर्माण हो रहा है। सीमेंट के घोल से छिपा रहे घटिया निर्माणग्राम पंचायत रामपुर के ग्रामीणों का आरोप है कि चबूतरा निर्माण में ढलाई के दौरान सीमेंट का उपयोग कम किया गया, मानक के अनुरूप सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया। जिससे चबूतरा में सिर्फ बालू ही नजर आ रहा था। इसके बाद प्लास्टर में भी यही हाल रहा। अंत में सीमेंट का मोटा घोला चढ़ाकर अंदर के घटिया निर्माण पर लेप लगा दिया गया। पीएचई विभाग के एक अधिकारी के अनुसार चबूतरा निर्माण में ढाई बोरा सीमेंट का उपयोग कर काम कंपलीट करना है। लेकिन रामपुर में जिस तरह से काम हो रहा है उसे देखकर लगता नहीं है कि मानक के अनुसार सीमेंट का सही उपयोग हो रहा है। ऐसे में जल जीवन मिशन के चबूतरों की जिंदगी ज्यादा दिन रहेगी, ये सोचना गलत होगा। बनने के साथ ही टूटने लगे गांव में जल जीवन मिशन योजना के तहत पानी आपूर्ति के लिए जो चबूतरा निर्माण किया गया है। इसमें कुछ चबूतरों की स्थिति बनने के साथ ही दयनीय हो गई है। बॉर्डर टूटने लगे है। इससे गुणवत्ता की पोल खुल रही है। अब तक पानी टंकी नहीं बन सका है और पानी की सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है। लेकिन इससे पहले चबूतरा दम तोड दे रहे है। इस मामले को लेकर जब पीएचई विभाग के एसडीओ श्री मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि, अगर ढाई बोरी सीमेंट से कम में चबूतरा निर्माण कराया जा रहा है तो ये गलत है। साथ ही उन्होंने कहा कि चबूतरा में सीमेंट का घोला नहीं मारना है, अगर ऐसा तो वो ख़ुद हथौड़ी लेकर तोड़ देंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि ऐसा होगा तो कार्रवाई होगी। अब देखना होगा की वे खुद हथौड़ी से तोड़ते हैं या ढाक के तीन पात वाली कहानी चरितार्थ करते हैं।

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