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युक्तियुक्त करण नियम में है भारी विसंगति :- रंजय सिंह

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सूरजपुर/IRN.24… छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा ने कहा है कि युक्तियुक्तकरण की दोषपूर्ण नीति से शिक्षा विभाग में शिक्षा की गुणवत्ता गिरेगी, अतिशेष शिक्षकों के समायोजन की सोच शिक्षा विभाग की सही है लेकिन शिक्षा विभाग इस बात का जवाब दें कि शाला के सेटअप हेतु निर्धारित पद के अतिरिक्त पोस्टिंग करने वाले अधिकारी कौन है,? अधिकारियों ने गलती क्यों किया,? क्या ऐसे अधिकारियों को चिन्हांकित कर कार्यवाही किया जाएगा,? जिन्होंने शाला विशेष में पद रिक्त नहीं होने के बाद भी पदोन्नति या ट्रांसफर में ज्यादा संख्या में शिक्षकों को पदस्थ किया।किसी भी शाला में सेवारत शिक्षकों का कोई दोष नहीं है क्योंकि उनकी पदस्थापना शिक्षा विभाग के अधिकारियों के द्वारा ही किया गया है सेटअप के विपरीत युक्तियुक्तकरण का नियम शिक्षकों को स्वीकार नहीं है, सेटअप शिक्षा विभाग के शालाओं में पद का मूल आधार है अतः 2008 को जारी सेटअप का समुचित क्रियान्वयन हो, युक्तियुक्तकरण के दोषपूर्ण व विसंगतिपूर्ण बिंदुओं को शिक्षा विभाग अलग करें, इसके बाद शिक्षकों की व्यवस्थापन के विषय में सोंचे,,और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आखिर किन अधिकारियों के द्वारा अतिरिक्त संख्या में शिक्षकों की पद स्थापना शालाओं में की गई ऐसे अधिकारियों की जिम्मेदारी तय किया जावे।छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री रंजय सिंह,प्रदेश प्रचार सचिव अजय सिंह, प्रदेश संगठन सचिव मुकेश मुदलियार, जिलाध्यक्ष भूपेश सिंह ने मुख्यमंत्री जी से अपील किया है कि दोषपूर्ण युक्तियुकरण नीति पर पुनर्विचार करें, दोषपूर्ण व अव्यवहारिक युक्तियुक्तकरण नीति का पूरे प्रदेश के शिक्षक विरोध कर रहे है ।प्राथमिक शाला में पांच कक्षा है नए व्यवस्था में दो शिक्षक ही रहेंगे ,यहां समझ से परे है कि एक शिक्षक शासन के पत्र व्यवहार के साथ अन्य जानकारी तैयार करने में व्यस्त रहते है ऐसी स्थिति में कैसे पांच क्लास को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकती है ।प्राथमिक में पांच कक्षा होने के कारण शिक्षक ज्यादा होना अति आवश्यक है तभी गुणवत्ता आ सकती है।छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने मांग किया है सेटअप का शालाओ में पालन किया जावे, शालाओ में शिक्षकों के पद कम करने से निजी शालाओ को लाभ होगा, शालाओ के सेटअप में पदस्थ शिक्षकों का किसी भी प्रकार से दोष नहीं है सेटअप से छेड़छाड़ उचित नहीं है ।नीति में सबसे बड़ी विसंगति तो यही है कि प्रत्येक शाला में एक-एक पद न्यूनतम छात्र संख्या पर कम किया गया है साथ ही एक ही परिसर के शालाओं को सम्बद्ध करने कहा गया है, इससे शाला का प्रबंध कमजोर होगा और इस नियम के तहत सम्बद्ध शालाओ के प्रधान पाठक पद को खत्म किया जा रहा है, इससे आने वाले समय में शिक्षकों की पदोन्नति नही होगी ।*युक्तियुक्तकरण पर आवश्यक तथ्य –*1. प्राचार्य, व्याख्याता, शिक्षक, प्रधानपाठक (प्राथमिक/पूर्व माध्यमिक) के पदों पर पहले पदोन्नति किया जावे।2. 2008 के सेटअप में मिडिल स्कूल में न्यूनतम छात्र संख्या पर एक प्रधान पाठक एवं चार शिक्षक पदस्थ करने का नियम बनाया गया था, और इसी के आधार पर भर्ती व पदोन्नति विभाग द्वारा की गई है, एक पद घटाने से एक शिक्षक तो स्वमेव अतिशेष हो जाएंगे यह नियम व्यवहारिक नही है,तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उलंघन है, अतः 2 अगस्त 2024 के युक्तियुक्तकरण नियम में न्यूनतम विद्यार्थी संख्या पर भी एक प्रधान पाठक एवं चार शिक्षक का सेटअप स्वीकृत किया जावे।3. 2008 के सेटअप में प्राथमिक शाला में न्यूनतम छात्र संख्या पर एक प्रधान पाठक व दो सहायक शिक्षक का पद स्वीकृत किया गया था, वर्तमान में एक पद कम कर दिया गया है यह व्यवहारिक नही है, तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उलंघन है, अतः 2 अगस्त 2024 के युक्तियुक्तकरण नियम में न्यूनतम विद्यार्थी संख्या पर एक प्रधान पाठक एवं दो सहायक शिक्षक का सेटअप स्वीकृत किया जावे।4. प्रधान पाठक का पद समाप्त करने वाला इस युक्तियुक्तकरण नियम से सहायक शिक्षक व शिक्षक की पदोन्नति 50% तक कम होगी, इससे शिक्षकों के पदोन्नति के अवसर कम होंगे जो पूर्णतः अनुचित है। 5. प्रत्येक प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक शाला का स्वतंत्र अस्तित्व हो जिसके नियंत्रण व शिक्षण व्यवस्था के लिए स्वतंत्र प्रधान पाठक जरूरी है, इससे सहायक शिक्षक व शिक्षकों को पदोन्नति भी मिलेगी।6. बालवाड़ी संचालित स्कूलों में बालवाड़ी 1 व प्राथमिक 5 कुल 6 कक्षा के संचालन हेतु न्यूनतम संख्या में भी 1 अतिरिक्त सहायक शिक्षक दिया जावे। 7. युक्तियुक्तकरण नियम 2 अगस्त 2024, जिसके क्रियान्वयन हेतु 28 अप्रैल 2025 को जारी आदेश से शाला में पदों की संख्या कम किया गया है इससे नई भर्ती नही होने से प्रशिक्षित बेरोजगारों के साथ भी अन्याय होगा।8. स्वामी आत्मानंद शालाओ में प्रतिनियुक्ति के शिक्षकों व शालाओ पर नियम की प्रभावशीलता पर बड़ा प्रश्नचिन्ह है।9. युक्तियुक्तकारण से उच्चतर विद्यालय में काम का बोझ बढ़ जाएगा जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पालन सही तरीके से नही हो पायेगा। इस पूरी प्रकिया में समय / शासकीय सम्पत्तियो (रिक्त भवन जो खंडहर हो सकता है) एवं छात्रों के भविष्य पर कुठाराघात होगा।10. एक ही परिसर में उच्चत्तर शाला में निचले शाला को मर्ज करना स्वतंत्र शाला के नियंत्रण व शिक्षण व्यवस्था पर विपरीत असर डालेगा।11. प्राथमिक शाला व माध्यमिक शाला में न्यूनतम शिक्षक संख्या घटाया गया है इससे इन शालाओ के शिक्षण स्तर में गिरावट आएगा।12. बस्तर संभाग के विभिन्न जिलों में संचालित पोटा कैबिन में विभागीय सेट-अप स्वीकृत किया जावे।13. जिस शाला में अतिथि शिक्षक कार्यरत है उन्हें अतिशेष से मुक्त रखा जाना आपत्तिजनक है।14. स्कूल शिक्षा विभाग भविष्य में भी शिक्षा व्यवस्था से जुड़े मामलों में एकतरफा आदेश निर्देश जारी करने से पहले कर्मचारी संगठनों से चर्चा कर सर्वसम्मत व प्रभावी कदम उठाए।

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