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मेरे रग रग में बसा है संविधान और पुलिस ध्वज इनका अपमान नहीं सहूंगी चाहे कोई कितना भी षड्यंत्र कर ले- प्रीति साहू

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बलरामपुर (प्रांजल सिंह) समाज में एक और जहां महिला और पुरुष को समान अधिकार वर्तमान के साथ-साथ कर्तव्य बोध दिया गया है किंतु जब एक महिला अपने अच्छे कार्य शैली और मेधावी होने के बावजूद किसी साजिश का शिकार हो तो ये बात बहुत निंदनीय है और बात हो उस विभाग की जो देश की आंतरिक सुरक्षा की कमान संभाले हो तब यह बेहद ही निंदनीय बन जाता है और विभाग के लिए सूक्ष्म जांच का विषय भी।
दरहसल बलरामपुर कोतवाली में पदस्थ तेज तर्रार महिला प्रधान आरक्षक प्रीति साहू के खिलाफ अभी कुछ लोगों द्वारा एक एजेंडे के तहत जातिगत बात करने की बात फैलाई जा रही है। जो बिलकुल ही गलत है
इस मामले में प्रीति साहू का साक्ष्य के साथ कहना है कि मेरे खिलाफ जो जातिगत बात करने का आरोप है वो सिर्फ द्वेष वश लोगों द्वारा किया जा रहा है और गलत तरीके से बात फैलाई जा रही है जो बिल्कुल गलत है मैं विगत 18 सालों से विभाग में कार्यरत हूं और इस समय अवधि में मेरे तमाम आदिवासी दोस्त,सहकर्मी और अधिकारी कर्मचारी रह चुके हैं लेकिन कभी ऐसा कुछ नही हुआ इसलिए ये सभी आरोप निराधार हैं।
बात सिर्फ इतनी है कि दिनांक 18 सितंबर को जब मैने देखा कि महिला नगर सैनिक द्वारा पुलिस के ध्वज को नियमविरुध तरीके से बिनासलामी और अपूर्ण गणवेश के उतारने का प्रयास किया जा रहा है, तो मैंने इस बात पर महिला नगर सैनिक को रोकते हुए आरक्षक सूरज से नियमानुसार ध्वज को सम्मान पूर्वक उतरवा लिया जिसके बाद महिला नगर सैनिक अपना गुस्सा दिखाते हुए अपनी मर्यादा से बाहर आकर अभद्रता से पेश आने लगी और कहा की तुम लोग नगर सैनिकों को क्या समझते हो, मैं तुम्हे देख लूंगी,मीडिया में प्रचार प्रसार कर छवि धूमिल कर दूंगी,और आदिवासी समाज में जाके तुम्हारे लिए नारे बाजी करवाऊंगी ,सहित आदिवासी एक्ट में फसाने की धमकी देते हुए विभाग से निकलवा दूंगी जैसी बातें कहीं
इस प्रकार मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का प्रयास किया जा रहा है जबकि मैने ईमानदारी पूर्वक सिर्फ अपनी ड्यूटी निभाई है, इस प्रकार यदि कोई गलत काम करेगा और रोकने पर अन्यथा आरोप लगाये और सीनियर जूनियर का महत्व भी न समझे इसे अनुशासन हीनता के श्रेणी में रखा जाता है ।

प्रीति साहू ने अपने उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया है कि उनके द्वारा किसी प्रकार का मारपीट गाली गलौज नही किया गया है। ये बातें उनकी छवि खराब करने के लिए अलग-अलग माध्यम से एक षड्यंत्र के तहत फैलाई जा रही है। अब देखना होगा कि विभाग उनकी कर्तव्य परायणता का आकलन कैसे करता है।

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