मुख्यमंत्री समेत विधायकों और मंत्रियों की बढ़ेगी सैलरी, हंगामे के बीच विधानसभा ने विधेयकों पर लगाई मुहर
कर्नाटक विधानसभा ने मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों का वेतन और भत्ते बढ़ाने संबंधी विधेयकों को मंगलवार 22 फरवरी को मंजूरी दे दी. राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित मंत्री के. एस ईश्वरप्पा के बयान को लेकर उन्हें बर्खास्त करने की मांग कर रहे कांग्रेस विधायकों के विरोध के चलते विधानसभा की कार्यवाही लगातार पांचवें दिन बाधित हुई. इस कारण सत्र को पहले ही खत्म कर दिया गया. हालांकि इस दौरान दो विधेयकों को बिना चर्चा के ही पारित कर दिया गया.
सरकार पर पड़ेगा 92 करोड़ का बोझ हंगामे के बीच, सदन ने दो विधेयकों- कर्नाटक मंत्री वेतन एवं भत्ता (संशोधन) विधेयक, 2022 और कर्नाटक विधानमंडल वेतन, पेंशन और भत्ते (संशोधन) विधेयक, 2022 को पारित किया. इसके अलावा राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को बिना किसी चर्चा के स्वीकार कर लिया गया. सरकार ने विधेयकों को पेश करते हुए कहा था कि ये काफी लंबे समय से लंबित हैं और महंगाई बढ़ गई है. वेतन वृद्धि के परिणामस्वरूप प्रति वर्ष लगभग 92.4 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
किसकी सैलरी में कितनी बढ़ोतरी? मंत्रियों के वेतन और भत्तों संबंधी विधेयक में मुख्यमंत्री का वेतन 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये प्रति माह, मंत्रियों के वेतन को 40,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये और दोनों के लिए सहायक भत्ता तीन लाख रुपये से बढ़ाकर 4.50 लाख रुपये प्रतिवर्ष करने का प्रावधान है. इसमें मंत्रियों के आवास किराया भत्ते को 80,000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 1.20 लाख रुपये करने का भी प्रस्ताव है, जबकि आवास के रखरखाव और उद्यानों के रखरखाव संबंधी भत्ते को 20,000 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 30,000 रुपये कर दिया गया है. साथ ही उनके पेट्रोल खर्च को एक हजार से बढ़ाकर दो हजार लीटर कर दिया गया है. मंत्रियों के यात्रा भत्ते को बढ़ाकर प्रतिदिन 2,500 रुपये कर दिया गया है.
इस बीच, विधानमंडल के वेतन, पेंशन और भत्तों संबंधी विधेयक में विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद अध्यक्ष के मासिक वेतन को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये करने का प्रस्ताव है, जबकि नेता प्रतिपक्ष के मासिक वेतन को 40,000 रुपये से बढ़ाकर 60,000 रुपये करने का प्रावधान है. इसमें विधायकों और एमएलसी के वेतन को 25,000 रुपये से बढ़ाकर 40,000 रुपये प्रति माह करने का भी प्रस्ताव है. विधानसभा अध्यक्ष और विधान परिषद अध्यक्ष के लिए सहायक भत्ता तीन लाख रुपये से बढ़ाकर चार लाख रुपये प्रति वर्ष किया जाएगा. कर्नाटक सरकार के इस फैसले पर विपक्षी नेता हरि प्रसाद ने सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि, मुख्यमंत्री को इस मुद्दे पर चर्चा का वक्त देना चाहिए था. जब लोग कोरोना के चलते तकलीफ में हैं और इस हंगामे के बीच ऐसा बिल लाने की कोई जरूरत नहीं थी. इसके बावजूद जल्दबाजी में ये बिल लाया गया. इसे सदन में रखने की जरूरत नहीं थी.