एस.एम .पटेल
बलरामपुर
जिले में मलेरिया मुक्त अभियान व मच्छरदानी वितरण कार्यक्रम का प्रभावी असर देखने को मिला है, फलस्वरूप विगत वर्षों में मलेरिया की बीमारी में निरंतर कमी आई है। मलेरिया एपीआई की दर कम करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा वृहद कार्ययोजना तैयार कर गंभीरता से उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के परिणाम स्वरूप ही यह सफलता हासिल हुई है। पिछले कुछ वर्षों में सभी 1 एपीआई से ऊपर वाले विकासखण्डों में दवा उपचारित मच्छरदानी वितरण किया गया है व इस वर्ष शासन के दिशा-निर्देशानुसार 5 एपीआई से ऊपर वाले विकासखण्डों रामानुजगंज, बलरामपुर, वाड्रफनगर, कुसमी मे डी.डी.टी. दवा का छिड़काव भी किया जा रहा है। जिले में मलेरिया बीमारी को रोकने के लिए 16 जून 2021 से 31 जुलाई 2021 तक मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान भी चलाया गया था, जो इस बीमारी को दूर करने में मील का पत्थर साबित हुआ है। शासन के महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लिनिक योजना ने भी जिले के दूरस्थ गांवों से बाजार आने-जाने वाले लोगों को चिकित्सा सुविधा पहुंचाने के साथ-साथ मलेरिया उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाट-बाजार क्लीनिक में बुखार से पीड़ित मरीजों का मलेरिया जाँच व उपचार किया जा रहा है, जिससे दूरस्थ अंचल के गांव भी मलेरिया मुक्त हो रहे हैं।
वर्तमान में जिले में विशेष पिछड़ी जनजाति समूह पण्डो व पहाड़ी कोरवा सहित अन्य समुदायों के लिए भी विकासखण्ड स्तर में शिविर लगाये गए हैं अब तक विभिन्न क्षेत्रों में लगाये गये 549 स्वास्थ्य शिविर के माध्यम से 16 हजार 383 लोग लाभान्वित हुए हैं। खास बात यह है कि अब तक कुल 9 हजार 755 लोगों का मलेरिया जांच किया गया जिसमें एक भी मलेरिया के रोगी नहीं मिले। स्वास्थ्य विभाग प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 में 11 हजार 08 मलेरिया के रोगी थे, वहीं वर्ष 2020 में कुल 444 मलेरिया के रोगी मिले हैं। वर्ष 2017 में जहां एपीआई दर 13.5 तथा वर्ष 2020 में एपीआई दर 0.5 था, वर्तमान में जिले में माह सितम्बर तक कुल 152 मलेरिया के रोगी मिले हैं व एपीआई दर 0.2 है। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के भौगोलिक परिदृश्य व 03 राज्यों से सीमा साझा करने के दृष्टिगत मलेरिया के मामलों में आयी बड़ी उपलब्धि के रूप में देखी जा सकती है।
Prev Post