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मंदिर निर्माण कार्य में रास्ता बना रोड़ा….

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महेश ठाकुर IRN.24

सोहागपुर-सूरजपुर ब्लॉक के नजदीक देवों की भूमि सोहागपुर के कन्हैया पटपर में एक बहुत ही सुन्दर और भव्य मंदिर का निर्माण कार्य तीन वर्षो से बहुत ही शांति पूर्वक चल रहा है

लेकिन अब मंदिर के लिए मटेरियल बालू,गिट्टी,सीमेंट लाने के लिए रास्ता रोका जा रहा है।मिली जानकारी अनुसार मंदिर जिस स्थान पर बन रहा है उस जगह की बहुत रोचक और लम्बी कहानी है बताया जाता है की लगभग 100 वर्ष पहले जब बैगा पूजा पाठ किया करते,बताया जाता है की उस कन्हैया पटपर जो की नदी के ठीक किनारे पर है जहां बैगा पूजा करने रोजाना आया करते थे, बताया यह भी जाता है की पूजा करने की लिए बैगा नदी में छलांग लगाकर नदी में जाता जिसका रास्ता पानी के अंदर से ही हुआ करता बताया यह भी जाता है कि बैगा जैसे ही नदी में पूजा करने के लिए कूदता इसके लिए भूगर्भीय मंदिर का दरवाजा खुल जाता और बैगा मंदिर के अंदर प्रवेश करता पूजा पाठ करता और जैसे बाहर निकलता फिर से दरवाजा बंद हो जाता।ये सुसने में बहुत ही काल्पनिक कहानी सा लगता है लेकिन यहां के लोगों का मान्यता है की यहां आज भी भूगर्भीय मंदिर है।और वहीं बुजुर्गो का यह भी कहना है की बहुत पहले उसी कन्हैया पटपर में रातों रात एक विशाल मंदिर रूपी आकर बन रहा था लेकिन उस समय किसी को कोई समझ नहीं आया की ये रातों रात क्या हो रहा है और उस गांव में अधिक आदिवासी बहुल के लोग रहते हैं जिनको समझ बूझ नही था और जिस प्रकार मंदिर का निर्माण होते देख लोगों को लगा की कोई हमारी जमीन को अपने कब्जे में कर रहा है और इसी सोच के साथ सभी लोग उस ईट को गिरा कर अपने अपने घर ले गए और अपने उपयोग में कोई कुआ बना लिया तो कोई घर का दीवाल बना लिया जिससे मंदिर बनना बंद हो गया।कुछ दिनों बाद जिन लोगों ने उस ईट को लेकर गए थे वे सभी बीमार पड़ना शुरू गए और साथ में उन्हें सपना भी आने लगा की इस प्रकार पूरे गांव में हल्ला मच गया और आनन फानन में उस ईट को फिर उसी स्थान में लेजाकर फेक दिया गया।कई बीमार लोग मर भी गए।

लेकिन अब जब सभी ग्रामवासी एक होकर उस पवित्र स्थान पर मंदिर निर्माण कर रहे हैं।जानकारी के मुताबिक जिस स्थान में मंदिर का निर्माण हो रहा है वह तीजू सिंह की निजी भूमि है वे मंदिर के लिए खुशी खुशी दान दे दिए।लेकिन अब सबसे बड़ी समस्या सामने यह है की जिस रास्ते से होकर बालू,गिट्टी,सीमेंट और भी मटेरियल मंदिर तक पहुंचना है उसी बीच में एक वनभूमि पट्टे की जमीन पड़ती है जिसे अपने जमीन में गाड़ी चलने से आपत्ति हो रही है।

अब मंदिर का कार्य एक बार फिर से रूका हुआ नजर आ रहा है।

अब देखने की बात यह होगी की पहले के लोग ना समझ थे की फिर आज के लोग।।मंदिर निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका मंदिर समिति की है जिसके समिति अध्यक्ष श्री रामसिंगार ठाकुर हैं साथ में ग्राम पंचायत पूर्व सरपंच श्री छक्केलाल सिंह का भी अहम भूमिका है उनके साथ निलेश राजवाड़े,बाबूलाल राजवाड़े,अवधेश गुप्ता,प्रेम सिंह,लिखन सिंह,टेकराम सिंह,सत्यनारायण ठाकुर,होलसाय राजवाड़े,अमेलाल,लोचन सिंह,बलबीर सिंह,मराई सिंह,शिवनारायण ठाकुर,श्यामलाल यादव,बाबूलाल सिंह,सुरेश सिंह,यसपाल राजवाड़े,सुखराम चौधरी,अनिल सिंह,लखन यादव इस प्रकार समस्त ग्रामवासी मंदिर निर्माण कार्य को पूरा करने के लिए इस वनभुमि पट्टे वाले से निवेदन किए की मंदिर निर्माण कार्य होने तक गाड़ी आने जाने दिया जाए, लेकिन उस भूमि स्वामी की नाती ने साफ तौर पे मना कर दिया मेरे जमीन में अब गाड़ी नहीं चलाना।अब सवाल ये उठता है की जीतने भी शासकीय भूमि को वन भूमि पट्टा दिया गया है क्या शासन ने सही किया है,सबसे पहले तो यह है कि जिसे भी वन भूमि पट्टा की भूमि मिली है क्या वे वास्तव में निर्धर गरीब थे देखा जाए तो जिसे भी जमीन मिला है वे या तो SECL कर्मचारी थे या फिर जिसके पास पर्याप्त जमीन और बल था केवल उन्हीं लोगों को वन भूमि पट्टा दिया गया है।समस्त ग्रामवासी इस विषय पर कलेक्टर के पास जाने की बात करते नजर आए।अब देखना यह होगा कि अब जो थोड़ा बहुत शासकीय भूमि बची है क्या उसे भी किसी जमींदारों के हवाले किया जायेगा सरपंचों के द्वारा

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