भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा बसदेई का स्वामी आत्मानंद स्कूल: 91.71 लाख की लागत से बना भवन दरारों से जूझ रहा, जिम्मेदार मौन
(IRN.24…राधे यादव भैयाथान)
सुरजपुर बसदेई। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने और बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए शासन-प्रशासन करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की भेंट चढ़कर ये प्रयास जमीनी स्तर पर दम तोड़ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ के सुरजपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत बसदेई में सामने आया है, जहां 91.71 लाख रुपये की लागत से निर्मित स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम हायर सेकंडरी स्कूल भवन अपनी नींव से ज्यादा भ्रष्टाचार की मजबूत नींव पर खड़ा नजर आ रहा है।यह सवाल अब भी बना हुआ है कि क्या इस खबर के प्रकाशन के बाद प्रशासन अपनी आंखें खोलेगा और भ्रष्टाचार के इस खेल पर अंकुश लगाएगा..?
या फिर यह मामला भी जांच के नाम पर लीपापोती का शिकार हो जाएगा..? बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए यह जरूरी है कि दोषियों को बेनकाब कर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं। वहीं दूसरी तरफ इस मामले में संबंधित विभाग से पक्ष जानने की कोशिश की गई, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
निर्माण में लापरवाही, दीवारों में दरारें
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) संभाग सुरजपुर के तहत बने इस स्कूल भवन का निर्माण कार्य शुरू से ही विवादों में रहा है। भवन की गुणवत्ता इतनी घटिया है कि दीवारों में जगह-जगह बड़ी-बड़ी दरारें पड़ चुकी हैं। निर्माण शुरू होने के महज दो साल के भीतर ही भवन की दीवारें और छतें खोखली होने का सबूत दे रही हैं। बरसात में हालात और बदतर हो गए हैं, क्योंकि दीवारों में सीपेज की समस्या उजागर हुई है, जिससे बारिश का पानी कमरों में घुस रहा है।
स्थानीय ग्रामीणों और छात्रों ने इस लापरवाही पर गहरी नाराजगी जताई है। एक छात्र ने कहा, “जहां सैकड़ों बच्चे पढ़ने के लिए बैठेंगे, वहां इस तरह की गुणवत्ताहीन निर्माण चिंता का विषय है। भवन कभी भी ढह सकता है।” ग्रामीणों का आरोप है कि इंजीनियर और ठेकेदार की मिलीभगत से भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है, जिसके चलते स्कूल भवन हैंडओवर होने से पहले ही दम तोड़ रहा है।
लीपापोती से छिपाई जा रही खामियां
सूत्रों के अनुसार, जब भी भवन की खामियां उजागर होती हैं, ठेकेदार इंजीनियर के कहने पर दरारों पर लीपापोती कर पेंट-पॉलिश से उन्हें छिपाने की कोशिश करता है। ग्रामीणों का कहना है कि इंजीनियर और विभागीय अधिकारी कार्यस्थल पर शायद ही कभी आते हैं। मुख्यालय में बैठकर ही ठेकेदार को क्लीनचिट दे दी जाती है। जांच के नाम पर भी औपचारिकता पूरी की जाती है। सूत्रों ने बताया कि जांच टीम के पहुंचने से पहले ठेकेदार द्वारा खामियां छिपा दी जाती हैं, और फिर जांच रिपोर्ट में सब कुछ ठीक होने का दावा कर मामले को रफा-दफा कर दिया जाता है।
भ्रष्टाचार की मजबूत नींव, खतरे में बच्चों का भविष्य
स्वामी आत्मानंद स्कूल का निर्माण गरीब और मध्यम वर्ग के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से किया गया था, लेकिन भ्रष्टाचार की दीमक ने इसे खोखला कर दिया है। निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग और लापरवाही के चलते भवन की दीवारें और छतें पहले ही कमजोर हो चुकी हैं। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते इसकी जांच और मरम्मत नहीं की गई, तो भविष्य में बच्चों के साथ कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
जिम्मेदारों की चुप्पी, कार्यवाही के नाम पर खामोशी
आश्चर्य की बात है कि इतने गंभीर मामले में भी जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी चुप्पी साधे हुए हैं। जब मीडियाकर्मियों ने इस मामले में पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर और एसडीओ से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने फोन तक उठाना मुनासिब नहीं समझा। विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में उच्च अधिकारियों की भी मिलीभगत हो सकती है, जिसके चलते दोषी इंजीनियरों और ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
ग्रामीणों और छात्रों की मांग: हो सख्त कार्रवाई
ग्रामीणों और छात्रों ने मांग की है कि भवन की गुणवत्ता की उच्चस्तरीय जांच की जाए और दोषी इंजीनियरों व ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। उनका कहना है कि सरकार बच्चों के भविष्य के लिए लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, लेकिन भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते ये प्रयास बेकार हो रहे हैं।