Omicron cases and risk in India: कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर दक्षिण अफ्रीका की एक नई रिपोर्ट सामने आई है. दक्षिण अफ्रीका ने नवंबर के आखिरी हफ्ते में इस वायरस को लेकर दुनिया को आगाह करना शुरू किया था. इस नए वैरिएंट को लेकर पूरी दुनिया में चिंता का माहौल है. भारत में भी ओमिक्रॉन के दो केस मिल चुके हैं. ये दोनों केस कर्नाटक में मिले हैं और इनमें से एक मरीज तो यूएई भी चला गया है. अब दक्षिण अफ्रीका के शुरुआती डेटा के आधार पर गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी हुई है जिसमें ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर कई बातें सामने आई हैं. इस स्टडी को मेडिकल प्री प्रिंट सर्वर पर अपलोड कर दिया गया है. हालांकि, इसकी समीक्षा अभी नहीं हुई है.
दक्षिण अफ्रीका के 9 में से 5 प्रांत में मौजूद है ओमिक्रॉन अब तक दक्षिण अफ्रीका के 9 प्रांत में से पांच प्रांत में ओमिक्रॉन के मामले सामने आ चुके हैं. हालांकि, वायरस के इस वैरिएंट के पूरे दक्षिण अफ्रीका में मौजूद रहने की संभावना है. ओमिक्रॉन से रिइंफेक्शन का खतरा तीन गुना ज्यादा इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा और बीटा की तुलना में तीन गुना ज्यादा रिइंफेक्शन फैला सकता है. यानी जो लोग कोविड-19 से पहले संक्रमित हो चुके हैं, उनके भी फिर से इंफेक्ट होने का खतरा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 27 नवंबर तक कोविड पॉजिटिव हुए 28 लाख लोगों में 35,670 लोगों के दोबारा संक्रमित होने का अनुमान है. कोविड से संक्रमित होने के 90 दिनों बाद अगर किसी शख्स की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो इसे रिइंफेक्शन माना जाता है. कई वैज्ञानिक पहले भी कह चुके हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में ज्यादा म्यूटेशन हैं जिसकी वजह से ज्यादा संक्रामक हो सकता है.
दक्षिण अफ्रीका में जारी इस रिपोर्ट के मुताबिक, ओमिक्रॉन वैरिएंट डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है और इस पर वैक्सीन का असर पूरी तरह से नहीं होता है. हालांकि, वैक्सीन अब भी खतरनाक बीमारी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान कर रही है. ओमिक्रॉन वैरिएंट कितनी तेजी से फैल रहा है? इसे लेकर अब तक खुलासा नहीं हो पाया है क्योंकि दक्षिण अफ्रीका हर हफ्ते इकट्ठे किए गए कुल सैंपल के एक छोटे हिस्से पर ही जीनोम सीक्वेंसिंग कर रहा है. दक्षिण अफ्रीका में अब तक ओमिक्रॉन केसों की कुल संख्या को लेकर भी कोई आंकड़ा सामने नहीं आया है. हालांकि, दक्षिण अफ्रीका में पिछले कुछ समय से कोरोना केस के दोगुने मामले सामने आ रहे हैं और हर रोज लगभग आठ से साढे़ आठ हजार के आसपास कोरोना केस के मामले आ रहे हैं.
दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टरों ने पहले कहा था कि उन्हें ओमिक्रॉन के मामलों में हल्की बीमारियां मिली हैं. लेकिन वैज्ञानिक कह रहे हैं कि अभी यह तय करना जल्दबाजी होगी कि क्या आगे जाकर ओमिक्रॉन केवल सामान्य दिक्कतों का कारण बनेगा. ओमिक्रॉन के लक्षण काफी हल्के थे क्योंकि ज्यादातर मामले कम आयु वर्ग के लोगों में रिपोर्ट किए गए थे लेकिन अब ज्यादा उम्र के लोग भी इस वेरिएंट के शिकार बन रहे हैं. KRISP जीनोमिक्स इंस्टीट्यूट के संक्रामक रोग विशेषज्ञ रिचर्ड लेसेल्स ने कहा कि ये वेरिएंट कितना घातक हो सकता है, इसका अंदाजा इसलिए भी लगाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन्हें कोरोना वैक्सीन लग चुकी है. ऐसे में इन लोगों की इम्युनिटी बेहतर हो चुकी है और इससे ये पता लगाना मुश्किल हुआ है कि कोरोना का नया वेरिएंट कितना खतरनाक है.